मायावती का समान नागरिक संहिता पर पहली बार आया बयान, चुनावी बॉन्ड और चंदे को लेकर भी किया बड़ा दावा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर पहली बार समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूपी में अन्य राज्यों में भी रोजगार वह विकास की बजाय भाजपा द्वारा विवादित एवं विभाजनकारी मुद्दों की तरह समान नागरिक संहिता को चुनावी मुद्दा बनाना खास नहीं किंतु गुजरात में इसको चुनावी मुद्दा बनाने से इस चर्चा को बल मिलता है कि वहां भाजपा की हालत वास्तव में ठीक नहीं है।

मायावती का समान नागरिक संहिता पर पहली बार आया बयान, चुनावी बॉन्ड और चंदे को लेकर भी किया बड़ा दावा

देश के दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।  बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर पहली बार समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यूपी में अन्य राज्यों में भी रोजगार वह विकास की बजाय भाजपा द्वारा विवादित एवं विभाजनकारी मुद्दों की तरह समान नागरिक संहिता को चुनावी मुद्दा बनाना खास नहीं किंतु गुजरात में इसको चुनावी मुद्दा बनाने से इस चर्चा को बल मिलता है कि वहां भाजपा की हालत वास्तव में ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले पर कोई निर्णय अभी न किया जाए क्योंकि इसे वह 22वें लॉ कमीशन को सौंपेंगे। बावजूद इसके गुजरात विधानसभा चुनाव में ऐसा क्या होने जा रहा है जिससे भाजपा उम्मीद विचलित होकर झुक रही है। 

बसपा प्रमुख मायावती ने इसपर एक आंकड़ा देते हुए बीजेपी पर बड़े आरोप लगाए हैं।  मायावती ने ये आरोप ट्विटर पर एक ट्वीट के जरिए लगाया है। मायावती ने रविवार को ट्वीट कर लिखा, "चुनाव को प्रभावित करने के लिए जनता की नजर से अज्ञात श्रोतों से प्राप्त अकूत धन का इस्तेमाल कितना उचित? ताजा आंकड़े बताते हैं कि गुजरात व हिमाचल विधानसभा आमचुनाव से पहले चुनावी बांड की गुप्त फण्डिंग की मार्फत 545 करोड़ रुपये के चन्दे दिए गए हैं. यह धन कहां जा रहा है?"

उन्होंने बीते दिनों में यूपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. गैर-मान्यता प्राप्त के सर्वे पर कहा था, "यूपी सरकार द्वारा विशेष टीम गठित करके लोगों के चन्दों पर आश्रित प्राइवेट मदरसों के बहुचर्चित सर्वे का काम पूरा, जिसके अनुसार 7,500 से अधिक ’गैर-मान्यता प्राप्त’ मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं।  ये गैरसरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते तो फिर इनमें दखल क्यों?"