मायावती ने किया अखिलेश का समर्थन, अपने ट्विटर हैंडल से कही ये बात
सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बसपा सुप्रीमो मायावती का साथ मिला और करीब 3 साल बाद उन्होंने अखिलेश के पक्ष में कोई बात कही.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. वहीं सोमवार को सत्र के पहले दिन ही समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला था. मार्च को लखनऊ पुलिस ने रोक दिया था, जिसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है.
बता दें, विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी ने बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार के विरोध में पार्टी कार्यालय से विधानसभा तक पैदल मार्च का आयोजन किया, लेकिन अनुमति नहीं मिलने की वजह से पुलिस ने इसे रोक दिया. इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बसपा सुप्रीमो मायावती का साथ मिला और करीब 3 साल बाद उन्होंने अखिलेश के पक्ष में कोई बात कही.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन ट्वीट किए और अखिलेश यादव या समाजवादी पार्टी का नाम लिए बिना बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. समाजवादी पार्टी के नेताओं को पैदल मार्च के दौरान रोके जाने को लेकर मायावती ने बीजेपी को घेरने की कोशिश की और कहा कि धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है.
मायावती ने सपा के पैदल मार्च के समर्थन और उसे रोकने पर बीजेपी सरकार को घेरते हुए एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, "विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता और जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना बीजेपी सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है. साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी और विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक."
दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा, 'इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है, वह अनुचित और निन्दनीय. यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग.
मायावती ने तीसरे ट्वीट में कहा, 'महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है.'
इससे पहले भी सोमवार सपा द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर ही बीएसपी चीफ ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, "यूपी विधानसभा मानसून सत्र से पहले बीजेपी का दावा कि प्रतिपक्ष यहाँ बेरोजगार है, यह इनकी अहंकारी सोच व गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करता है. सरकार की सोच जनहित व जनकल्याण के प्रति ईमानदारी और वफादारी साबित करने की होनी चाहिए, न कि प्रतिपक्ष के विरुद्ध द्वेषपूर्ण रवैये की."
वहीं मायावती ने कहा, "यूपी सरकार अगर प्रदेश के समुचित विकास व जनहित के प्रति चिन्तित व गंभीर होती तो उनका यह विपक्ष-विरोधी बयान नहीं आता, बल्कि वे बताते कि जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, गड्डायुक्त सड़क, बदतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था में नजर आने वाला सुधार किया है व पलायन भी रोका है."
बता दें कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव में हार के बाद दोनों पार्टियां अलग हो गई थीं. अब मायावती के ट्वीट के बाद एक बार फिर इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या अखिलेश यादव और मायावती एक बार फिर साथ आएंगे.