चिकित्सा शिक्षा विभाग का फैसला: उत्तर प्रदेश में अब नहीं खुलेंगे नए एएनएम कॉलेज, जानिए ये कारण

यूपीटीएसयू ने संस्तुति दी कि भविष्य में न तो एएनएम कोर्स के लिए कॉलेज खोले जाएं और न ही इनकी सीटें बढ़ाई जाएं। यह बात भी सामने आई कि विभिन्न अस्पतालों में एएनएम का कोर्स करने वालों को भिन्न पदों पर कार्य करना पड़ता है। ऐसे में इस कोर्स के बेरोजगारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 

चिकित्सा शिक्षा विभाग का फैसला: उत्तर प्रदेश में अब नहीं खुलेंगे नए एएनएम कॉलेज, जानिए ये कारण

उत्तर प्रदेश में अब सहायक नर्स एंड मिडवाइफ (एएनएम) कॉलेज नहीं खुलेंगे। पहले से चल रहे कॉलेजों को उच्चीकृत किया जाएगा। यहां जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएएनएम) और बीएससी नर्सिंग कोर्स चलाया जाएगा। इस संबंध में सभी कॉलेज संचालकों को निर्देशित किया गया है।

बता दे कि उत्तर प्रदेश में करीब 587 कॉलेजों में एएनएम कोर्स चल रहा है। हर साल 18 हजार छात्राएं दो वर्षीय एएनएम कोर्स करके निकलती हैं। उत्तर प्रदेश टेक्नीकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) की ओर से कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि एएनएम कोर्स करने वालों को सरकारी एवं निजी क्षेत्र में रोजगार नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में एएनएम कोर्स करने वाले बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।

यूपीटीएसयू ने संस्तुति दी कि भविष्य में न तो एएनएम कोर्स के लिए कॉलेज खोले जाएं और न ही इनकी सीटें बढ़ाई जाएं। यह बात भी सामने आई कि विभिन्न अस्पतालों में एएनएम का कोर्स करने वालों को भिन्न पदों पर कार्य करना पड़ता है। ऐसे में इस कोर्स के बेरोजगारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 

इस स्थिति को देखते हुए जून माह में हुई उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी शासी समिति की बैठक में इस कोर्स को स्थगित करने का फैसला लिया गया है। इस संबंध में मेडिकल फैकल्टी के सचिव डा. आलोक कुमार ने सभी प्रधानाचार्यों एवं प्रबंधकों को भी निर्देश जारी कर दिया है।

प्रदेश में चल रहे एएनएम कॉलेज संचालकों को संसाधन बढ़ाते हुए कॉलेजों को उच्चीकृत करने और यहां बीएससी नर्सिंग कोर्स शुरू करने के लिए कहा गया है। जिन कॉलेजों में संसाधन कम होंगे, उन्हें जीएनएम में तब्दील किया जाएगा।

फैकल्टी में एएनएम कोर्स के लिए करीब एक हजार से ज्यादा आवेदन किए गए हैं। इन आवेदनों पर कार्यवाही स्थगित कर दी गई है। इतना जरूर है कि पहले से आवेदन करने वाले कॉलेज प्रबंधन यदि जीएनएम और बीएससी नर्सिंग में तब्दील करना चाहते हैं तो उन्हें वरीयता दी जाएगी।

एएनएम कोर्स दो साल है, जबकि जीएनएम तीन साल और बीएएससी नर्सिंग चार साल का कोर्स है। 12वीं उत्तीर्ण छात्राओं को दो वर्ष के एएनएम कोर्स में मेरिट में आधार पर दाखिला दिया जाता है। यह बेसिक डिप्लोमा स्तर का नर्सिंग कोर्स है। सिर्फ महिलाओँ के लिए है। 

जीएनएम तीन वर्षीय कोर्स है। यह छात्र-छात्राएं दोनों कर सकती हैं। जीएनएम के बाद पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग कोर्स कर सकते हैं। जबकि चार वर्षीय बीएससी नर्सिंग भी छात्र-छात्राओं दोनों के लिए हैं। बीएससी नर्सिंग के बाद एमएससी और पीएचडी अस्पताल ही नहीं शैक्षिक संस्थानों में शिक्षक के रूप में भी नौकरी हासिल की जा सकती है। 

आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बताया कि बीएससी नर्सिंग की मांग ज्यादा है  प्रदेश सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा ऐसे कोर्स चलाए जाएं, जिसे पूरा करते ही डिग्रीधारियों को रोजगार मिल जाए। अब बीएससी नर्सिंग छात्र-छात्राओं की मांग ज्यादा है। इसलिए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। एएनएम का दायरा सीमित है, इसलिए इसे रोका जा रहा है।