ज्ञानवापी केस में मुग़ल शाशक औरंगजेब की इंट्री, मुस्लिम पक्ष का बयान- मस्जिद का मालिक है आलमगीर

श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने बताया जिस वक्त मस्जिद का निर्माण हुआ उस वक्त मुगल शासक औरंगजेब का शासन था। इस संपत्ति पर भी औरंगजेब का नाम आलमगीर के तौर पर दर्ज है। उसके द्वारा ही यह संपत्ति दी गई, जिस पर मस्जिद बनाई गई है

ज्ञानवापी केस में मुग़ल शाशक औरंगजेब की इंट्री, मुस्लिम पक्ष का बयान- मस्जिद का मालिक है आलमगीर

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में मुगल बादशाह औरंगजेब की एंट्री हो गई है. जिला कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से दिए गए जवाब में मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद की जमीन औरंगजेब की संपत्ति है. श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने बताया जिस वक्त मस्जिद का निर्माण हुआ उस वक्त मुगल शासक औरंगजेब का शासन था। इस संपत्ति पर भी औरंगजेब का नाम आलमगीर के तौर पर दर्ज है। उसके द्वारा ही यह संपत्ति दी गई, जिस पर मस्जिद बनाई गई है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें पूरी होने के बाद आज बुधवार को हिंदू पक्ष आपत्ति पर जवाब दाखिल करेगा. 

मंगलवार को ज्ञानवापी प्रकरण में करीब दो घंटे की बहस में मुस्लिम पक्ष की ओर से मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताए जाने के लिए तमाम दलीलें दी गईं। इसमें मुगल शासक औरंगजेब का बार-बार जिक्र भी किया। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता शमीम अहमद ने न्यायालय में 25 फरवरी 1944 का प्रदेश शासन का एक गजट भी प्रस्तुत किया। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन वक्फ कमिश्नर ने वक्फ संपत्तियों की एक सूची बनाई थी और इसमें ज्ञानवापी का नाम सबसे ऊपर था।

ज्ञानवापी केस में मुग़ल शाशक औरंगजेब की इंट्री, मुस्लिम पक्ष का बयान- मस्जिद का मालिक है आलमगीर-NewsAsr

इसी रिपोर्ट को शासन ने वक्फ बोर्ड को भेजा था और वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कर शासन ने इसका गजट कराया था। उन्होंने बताया कि वक्फ संपत्ति के लिए यह आवश्यक है कि उसे कोई देने वाला होना चाहिए। रिपोर्ट में साफ तौर पर जिक्र है कि इस संपत्ति को आलमगीर बादशाह ने वक्फ को समर्पित की। अदालत में अधिवक्ता ने यह कहा कि मुस्लिम प्रजा ने औरंगजेब को आलमगीर नाम दिया था। 1291 फसली का खसरा-खतौनी दाखिल किया गया है, उसमें मालिक के तौर पर आलमगीर का नाम दर्ज है। अधिवक्ता ने वक्फ एक्ट 1995 का जिक्र करते हुए कहा कि वक्त की संपत्ति के मामलों पर सुनवाई का अधिकार सिविल न्यायालय को नहीं है। इसलिए वादी पक्ष की ओर से दाखिल यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। 

मस्जिद पक्ष ने अपने प्रतिउत्तर में ज्ञानवापी के वक्फ संपत्ति होने की दलील दी. मंदिर पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन के मुताबिक, मस्जिद पक्ष ने ज्ञानवापी के वक्फ होने की बात कही लेकिन जब वक्फ से जुड़े कागज मांगे गए तो उन्होंने औरंगजेब का जिक्र किया. वकील विष्णुशंकर जैन के मुताबिक, मस्जिद पक्ष ने ये कहा कि उस वक्त औरंगजेब हिंदुस्तान के बादशाह थे. औरंगजेब ने ये संपत्ति कब्जा की थी. चूंकि वो बादशाह थे इसलिए सारी संपत्ति बादशाह की होती है. बतौर बादशाह औरंगजेब ने ज्ञानवापी संपत्ति वक्फ में तामील कर दी थी.

हालांकि हिंदू पक्ष की ओर से पूर्व में यह दावा किया जा चुका है कि यह संपत्ति हिंदू मंदिर काशी विश्‍वनाथ (आदिविश्‍वेश्‍वर) की ही थी। जिसे मुगल बादशाह द्वारा तोड़कर मस्जिद बनाया गया था। मस्जिद में जो भी सामग्री का प्रयोग हुआ वह मंदिर का ही हिस्‍सा था। इसी मामले में अदालत ने एडवोकेट कमिश्‍नर की कार्रवाई करते हुए मस्जिद की जांच की और तहखानों सहित दीवारों और वजूखाने की पड़ताल की तो वजूखाने में शिवलिंग सहित दीवारों पर हिंदू प्रतीकों का निर्माण पाया गया था।