Full Report: अविश्वास प्रस्ताव गिरा, PM ने विपक्ष को लताड़ा कहा - ये 'इंडिया' नहीं घमंडिया, 2024 में हम सभी रिकॉर्ड तोड़ेंगे

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने विपक्ष को जमकर लताड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और नए विपक्षी गठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के साथियों के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। 

Full Report: अविश्वास प्रस्ताव गिरा, PM ने विपक्ष को लताड़ा कहा - ये 'इंडिया' नहीं घमंडिया, 2024 में हम सभी रिकॉर्ड तोड़ेंगे

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने विपक्ष को जमकर लताड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और नए विपक्षी गठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के साथियों के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। 

कुछ ही दिन पहले बंगलुरू में आपने मिल-जुलकर करीब 1.5-2 दशक पुराने UPA का क्रिया कर्म किया है, उसका अंतिम संस्कार किया है। लोकतांत्रित व्यवहार के मुताबिक मुझे आप लोगों से सहानुभूति व्यक्त करनी चाहिए थी। 

मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि आज मैं देख रहा हूं कि आपने तय कर लिया है कि एनडीए और भाजपा 2024 के चुनाव में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर भव्य विजय के साथ जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी। 

आइए जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा-

मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष द्वारा लाए गे अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर एक के बाद एक करारे तंज कसे। पीएम ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए विपक्ष को पांच साल भी कम पड़ गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसे चर्चा की? आपके दरबारी भी सोशल मीडिया पर बहुत दुखी हैं। मजा देखिए। फील्डिंग विपक्ष ने लगाई, लेकिन चौके-छक्के यहीं (सत्तापक्ष) से लगे। इधर तो सेंचुरी हो रही है, लेकिन विपक्ष नो बॉल पर ही चर्चा करता जा रहा है। मैं विपक्ष के साथियों से यही कहूंगा कि तैयारी करके क्यों नहीं आते जी? थोड़ी मेहनत कीजिए। मैंने पांच साल दिए थे आपको तैयारी के लिए।  

रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता ने हमारी सरकार के प्रति बार-बार जो विश्वास जताया है, वे आज देश के कोटि-कोटि नागरिकों का आभार व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुआ हूं। कहते हैं कि भगवान बहुत दयालु है और भगवान की मर्जी होती है कि वो किसी न किसी माध्यम से अपनी इच्छा की पूर्ति करता है। मैं इसे भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि विपक्ष प्रस्ताव लेकर आया। 2018 में भी यह ईश्वर का ही आदेश था, जब विपक्ष के मेरे साथी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। उस समय भी मैंने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव हमारी सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है, बल्कि ये उन्हीं (विपक्ष) का फ्लोर टेस्ट है। हुआ भी यही।

उन्होंने आगे कहा कि जब मतदान हुआ, तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने वोट भी वो जमा नहीं कर पाए थे। इतना ही नहीं, जब हम सब जनता के पास गए तो जनता ने भी पूरी ताकत के साथ इनके लिए नो-कॉन्फिडेंस घोषित कर दिया और चुनाव में एनडीए को भी ज्यादा सीटें मिलीं और भाजपा को भी ज्यादा सीटें मिलीं। यानी एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है।

उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि सत्र की शुरुआत के बाद से ही विपक्ष ने गंभीरता के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया होता। बीते दिनों दोनों सदनों ने जनविश्वास बल, डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल यहां पारित किए और। ऐसे बिल भी थे कि जो हमारे मछुआरों के हक में थे, जिसका फायदा केरल के मछुआरों को होना था। केरल के सांसद तो इस पर अच्छे से हिस्सा लेते थे, राजनीति ऐसी हावी है कि उन्हें इसी बिल की चिंता नहीं है। हिंदुस्तान साइंस पावर के रूप में कैसे उभरे, उससे जुड़े बिल पर भी आपका ऐतराज? डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल भी देश के युवाओं के जज्बे से जुड़ा हुआ था। आने वाला समय तकनीक से चलेगा, आज डेटा को एक प्रकार से सेकेंड ऑयल, सेकेंड गोल्ड के रूप में माना जाता है। उस पर गंभीर चर्चा की जरूरत थी, लेकिन राजनीति आपके लिए प्राथमिकता थी। 

पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता ने उन्हें जिस काम के लिए यहां भेजा है, उस जनता का भी विश्वासघात किया गया है। विपक्ष के कुछ दलों ने उनके आचरण और उनके व्यवहार से सिद्ध कर दिया है कि उनके लिए देश से बड़ा दल है। देश से पहले प्राथमिकता दल है। मैं समझता हूं कि आपको गरीब की भूख की चिंता नहीं है, सत्ता की भूख ही आपके दिमाग में सवार है। आपको देश के युवाओं के भविष्य की परवाह नहीं, अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता है। इन्होंने एक दिन सदन चलने भी दिया, लेकिन किस काम के लिए? अविश्वास प्रस्ताव के लिए और अपने कट्टर भ्रष्ट साथियों की शर्त पर मजबूर होकर जुटे। 

प्रधानमंत्री ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसे चर्चा की? आपके दरबारी भी सोशल मीडिया पर बहुत दुखी हैं। मजा देखिए। फील्डिंग विपक्ष ने लगाई, लेकिन चौके-छक्के यहीं (सत्तापक्ष) से लगे। इधर तो सेंचुरी हो रही है, लेकिन विपक्ष नो बॉल पर ही चर्चा करता जा रहा है। मैं विपक्ष के साथियों से यही कहूंगा कि तैयारी करके क्यों नहीं आते जी? थोड़ी मेहनत कीजिए। मैंने पांच साल दिए थे आपको तैयारी के लिए। 2018 में मैंने कहा था कि तैयारी करके आना। क्या हाल है आपका? क्या दारिद्र है? विपक्ष के हमारे साथियों को दिखास की, छपास की इच्छा रहती है, स्वाभाविक है। आप ये मत भूलिए कि देश भी आपको देख रहा है। आपके एक-एक शब्द को देश गौर से सुन रहा है, लेकिन हर बार देश को आपने निराशा के सिवा कुछ नहीं दिया। विपक्ष के रवैये पर कहूंगा कि जिनके खुद के बही-खाते बिगड़े हुए हैं, वो भी हमसे हमारा हिसाब पूछते हैं। 

सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का बोलने की सूची में नाम ही नहीं था। 1999 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। तब शरद पवार साहब ने नेतृत्व किया। 2003 में अटलजी की सरकार थी। सोनिया जी ने लीड ली, प्रस्ताव रखा। 2018 में खडगे जी थे, उन्होंने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन इस बार अधीर बाबू का क्या हाल हो गया? उनकी पार्टी ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया, ये तो कल अमित भाई ने बहुत जिम्मेदारी के साथ कहा कि अच्छा नहीं लग रहा है। आपकी उदारता थी कि समय समाप्त हो गया था, तब भी आपने उन्हें मौका दिया। लेकिन गुड़ का गोबर कैसे करना, इसमें ये माहिर हैं।

पीएम ने कहा- हम अधीर बाबू के प्रति अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि पता नहीं हो सकता है इंडिया से कोई फोन आया हो। कांग्रेस बार-बार उनका अपमान करती है। कभी चुनावों के नाम उन्हें अस्थाई रूप से उन्हें हटा देते हैं। हम अधीर बाबू के प्रति अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करते हैं। ...जरा जोर से हंस लीजिए।

पीएम ने कहा कि देश के इतिहास में एक समय ऐसा होता है कि वह पुरानी बंदिशों को तोड़कर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए कदम उठाता है। इक्कीसवीं सदी के साथ यह कालखंड हमारे लिए अवसर लेकर आया है। हम ऐसे कालखंड में हैं, जो बहुत अहम है। मैं विश्वास से कहना चाहता हूं कि यह कालखंड जो करेगा, इसका प्रभाव इस देश में आने वाले हजार साल तक रहने वाला है। 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ और सामर्थ्य आने वाले एक हजार साल की मजबूत नींव रखने वाला है। इसलिए इस कालखंड में हम सभी का बहुत बड़ा दायित्व और जिम्मेदारी है। ऐसे समय हम सभी का एक ही फोकस होना चाहिए, देश का विकास, सपनों को पूरा करने का संकल्प। यही समय की मांग है। 140 करोड़ देशवासियों की सामूहिक ताकत उस ऊंचाई पर पहुंचा सकती है। आज विश्व ने उनका लोहा माना हुआ है। हम उन पर भरोसा करें। हमारी युवा पीढ़ी भी संकल्प को सिद्धि तक ले जाने का सामर्थ्य रखती है। 

पीएम ने कहा कि 2014 में तीस साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और 2019 में भी हुआ। उनके संकल्पों को साकार करने का सामर्थ्य कहां है, यह देश जान गया है। इसलिए 2019 में एक बार फिर देश की सेवा करने का मौका दिया। इस सदन में बैठे प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह भारत के युवाओं के सपनों को, महत्वाकांक्षाओं को अवसर दें। सरकार में रहते हुए हमने भी इस दायित्व को निभाने का भरपूर प्रयास किया। हमने भारत के युवाओं को घोटालों से रहित सरकार की। हमने दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख को संभाला है और उसे एक बार फिर नई ऊंचाई पर ले गए हैं। अभी भी कुछ लोग साख पर दाग लगाने की कोशिश में हैं, लेकिन दुनिया जान चुकी है। 

उन्होंने कहा कि हमारे विपक्ष के साथियों ने क्या किया? जब चारों तरफ संभावनाएं ही संभावनाएं हैं, तब इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की कोशिश की है। आज भारत के युवा रिकॉर्ड संख्या में स्टार्टअप खोलकर चकित कर रहे हैं। रिकॉर्ड विदेशी निवेश आ रहा है। निर्यात नई बुलंदी को छू चुका है। आज ये भारत की कोई अच्छी बात सुन नहीं सकते हैं। आज गरीब के दिल में अपने सपने पूरा करने का भरोसा पैदा हुआ है। आज देश में गरीबी तेजी से घट रही है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ गरीबी से बाहर आए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि WHO कहता है कि स्वच्छ भारत अभियान के जरिए तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। ये लोग हैं कौन? वही जो झुग्गी-झोपड़ी में जीने को मजबूर हैं। ये गरीब परिवार के लोग हैं। गांव में जीने वाले लोग हैं। वंचित तबके के लोग हैं, जिनकी जान बची है। यूनिसेफ ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के कारण हर साल गरीबों के 50 हजार रुपये बच रहे हैं, लेकिन भारत की इन उपलब्धियों से कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ लोगों को अविश्वास है। जो सच्चाई दूर से दिख रही है, वह इन्हें यहां रहते नहीं दिख रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अविश्वास और घमंड इनकी रगों में रच-बस गया है। वे जनता के विश्वास को देख नहीं पाते। ये जो शुतुरमुर्ग अप्रोच है, इसके लिए देश क्या कर सकता है? पुरानी सोच वाले लोग कहते हैं कि जब कुछ शुभ-मंगल होता है, बच्चे भी अपने अच्छे कपड़े पहनते हैं तो काला टीका लगा देते हैं। आज चारों तरफ देश का जो मंगल हो रहा है, देश का जय-जयकार हो रहा है तो मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि काले कपड़े पहनकर आपने भी इसे बचाने का काम किया है। विपक्ष के साथियों ने डिक्शनरी खोल-खोलकर अपशब्द ले आए। भरपूर लाए, पता नहीं कहां-कहां से लाए, लेकिन अच्छा है कि मन का गुबार निकल गया होगा। वैसे तो ये दिन-रात मुझे कोसते रहते हैं। उनका प्रिय नारा है- मोदी तेरी कब्र खुदेगी। ये इनका पसंदीदा नारा है, लेकिन मेरे लिए इनकी ये गालियां, यह अलोकतांत्रिक भाषा, मैं इसका भी टॉनिक बना देता हूं। 

रधानमंत्री ने कहा कि ये लोग ऐसा क्यों करते हैं और क्यों होता है, आज मैं सदन में इसका सीक्रेट बताना चाहता हूं। मेरा पक्का विश्वास हो गया है कि विपक्ष के लोगों को एक सीक्रेट वरदान मिला हुआ है। ये लोग जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला होगा। उन्होंने कहा कि एक उदाहरण तो मौजूद है। 20 साल हो गए, क्या कुछ नहीं कहा, लेकिन भला ही होता गया। मैं तीन उदाहरण बताता हूं-

इन लोगों ने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर तबाह हो जाएगा, देश बर्बाद हो जाएगा। न जाने क्या-क्या कहा। बड़े-बड़े विद्वानों को विदेशों से ले आते थे। अफवाह का काम पुरजोर तरीके से किया। हमारी सार्वजनिक बैंकों का नेट प्रॉफिट दोगुने से ज्यादा हो गया। एनपीए को पार कर हम नई ताकत के साथ निकल चुके हैं।

 
दूसरा उदाहरण- हमारे डिफेंस के हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी एचएएल को लेकर कितनी भली-बुरी बातें इन्होंने कीं। क्या कुछ नहीं कहा गया। दुनिया में इसका नुकसान करने वाली भाषा का प्रयोग किया गया। एचएएल तबाह हो गया है, खत्म हो गया है। जैसे आजकल खेतों में जाकर वीडियो शूट होता है... मालूम है ना... वैसा ही उस समय एचएएल फैक्ट्री के दरवाजे पर मजदूरों की सभा करके वीडियो शूट करवाया गया था। वहां के कामगारों को भड़काया गया कि तुम्हारे बच्चे भूखे मरेंगे। देश की महत्वपूर्ण संस्था के लिए इतना बुरा कहा कि सीक्रेट काम कर गया। आज एचएएल सफलता की नई बुलंदियों को छू रहा है। अब तक का सबसे ज्यादा राजस्व कमाया है। इनके जी भरकर लगाए गए गंभीर बावजूद भी ऐसा हुआ है। 
 
LIC के लिए कहा गया कि ये डूब रहा है, गरीब का पैसा कहां जाएगा। दरबारियों ने जितने कागज पकड़ाए, सारे बोल देते थे। आज LIC लगातार मजबूत हो रही है। शेयर बाजार में काम करने वालों के लिए मंत्र है कि जो सरकारी कंपनियों को ये लोग गाली दें, उस पर दांव लगा दीजिए, अच्छा ही हो जाएगा। ये जैसे देश को, लोकतंत्र को कोसते हैं, वैसे ही देश-लोकतंत्र मजबूत होने वाला है।

पीएम ने कहा कि कुछ ही वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने वाला है। जब हम आने वाले पांच साल में इसका दावा करते हैं तो जिम्मेदार विपक्ष क्या करता? सवाल पूछता कि कैसे करेंगे, आपका रोडमैप बताइए। लेकिन अब ये भी मुझे ही सिखाना पड़ रहा है। या वे सुझाव भी दे सकते थे। या ये चुनाव में जाकर बताते कि हम तो एक नंबर पर ले आएंगे, लेकिन ये विपक्ष की त्रासदी है। कांग्रेस के लोग क्या कह रहे हैं? इतने साल सत्ता में रहने के बाद भी क्या अनुभवहीन बातें सुनने को मिलती हैं। ये कहते हैं कि कुछ करने की जरूरत नहीं है, ये तो ऐसे ही हो जाएगा। बिना कुछ किए तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे। कांग्रेस की मानें तो सब अगर अपने आप हो जाना वाला है तो इसका मतलब है कि कांग्रेस के पास न नीयत, न नीति, न विजन, न वैश्विक अर्थव्यवस्था की समझ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1990 में देश कंगाल होने की स्थिति में था। कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था 10, 11, 12 नंबर पर झूलती रही। लेकिन अब हमने शीर्ष-पांच में अपनी जगह बनाई। कांग्रेस के लोगों को लगता होगा कि ये जादू की छड़ी से हुआ है। मैं बताना चाहता हूं कि कठोर परिश्रम, निश्चित योजना और सुधारों, परिश्रम की पराकाष्ठा से हुआ है। 2028 में जब आप अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, तब देश तीसरे नंबर पर होगा, यह हमारा विश्वास है। हमारे विपक्ष के मित्रों की फितरत में ही अविश्वास भरा पड़ा है। हमने लाल किले से स्वच्छ भारत अभियान का आह्वान किया, लेकिन उन्होंने कहा कि कैसे हो सकता है, गांधी जी भी कहकर गए थे। हमने मां-बेटी को खुले में शौच पर जाने की मजबूरी से मुक्त करने के लिए शौचालयों पर जोर दिया, तब इन्होंने कहा कि क्या लाल किले से ऐसे विषय बोले जाते हैं? जनधन खाते के समय भी ऐसा ही कहा। हमने योग, आयुर्वेद की बात की तो उसका भी मखौल उड़ाया। कांग्रेस पार्टी और उनके दोस्तों का इतिहास रहा है कि उन्हें भारत पर और भारत के सामर्थ्य पर कभी भरोसा नहीं रहा। ये विश्वास किस पर करते थे? इनका पाकिस्तान से ऐसा प्रेम था कि उनकी बातों पर भरोसा कर लेते थे। पाकिस्तान कहता था कि हमले और बातचीत साथ चलेगी। ये मान लेते थे।

पीएम ने कहा कि कश्मीर दिन-रात जल रहा था, लेकिन कांग्रेस को कश्मीर के आम नागरिकों पर नहीं, हुर्रियत पर विश्वास करते थे। भारत ने आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, एयर स्ट्राइक किया। इन्हें भारत की सेना पर भरोसा नहीं था, दुश्मन के दावों पर भरोसा था। दुनिया में कोई भारत पर अपशब्द कहे, तुरंत उसे पकड़ लेते हैं। ऐसी मैग्नेटिक पावर इनके पास है। भारत में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देते हैं। मिट्टी के ढेले जितनी भी जिसकी कीमत न हो, ऐसी बातों को तवज्जो देना कांग्रेस की फितरत रही है।

'जश्न भी किस बात का? खंडहर पर नया प्लास्टर लगाने का। दशकों पुरानी खटारा गाड़ी को इलेक्ट्रिक व्हीकल दिखाने के लिए इतना बड़ा मजमा लगाया। मजेदार ये कि मजमा खत्म होने से पहले ही उसका क्रेडिट लेने के लिए आपमें सिर फुटव्वल शुरू हो गई। मैं हैरान था कि ये गठबंधन लेकर आप जनता के बीच जाएंगे, मैं विपक्ष के साथियों को कहना चाहता हूं कि आप जिसके पीछे चल रहे हो, उसको इस देश की जबान, देश के संस्कार की समझ ही नहीं बची है।'  

'पीढ़ी दर पीढ़ी ये लोग लाल मिर्च और हरी मिर्च का फर्क नहीं समझ पाए। लेकिन आप में से कई साथियों को मैं जानता हूं, आप भारतीय मानस को जानने वाले लोग हैं। भेष बदलकर धोखा देने वालों की फितरत सामने आ गई है। दूर युद्ध से भागते, नाम रखा रणधीर, भागचंद की आज तक सोई है तकदीर। इनकी मुसीबत ऐसी है कि खुद को जिंदा रखने के लिए इन्हें एनडीए का ही सहारा लेना पड़ा है। लेकिन घमंड का आई (I) इन्हें छोड़ता नहीं है। इन्होंने दो-दो I रख लिए। पहला I 26 दलों का घमंड, दूसरा I एक परिवार का घमंड। NDA भी चुरा लिया, इंडिया के भी टुकड़े कर लिए। जिन लोगों ने गमले में कभी मूली नहीं उगाई, वो खेतों को देखकर हैरान होने ही हैं।'

'कांग्रेस के सहयोगी दल, अटूट साथी तमिलनाडु सरकार के एक मंत्री दो दिन पहले ही कह चुके हैं कि इंडिया उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उनके मुताबिक तमिलनाडु तो भारत में है ही नहीं। तमिलनाडु वह प्रदेश है, जहां से हमेशा देशभक्ति की धाराएं निकली हैं। जिस तमिलनाडु ने अब्दुल कलाम दिए, वहां से ऐसा बयान दिया गया।'

'नाम को लेकर उनका यह चश्मा आज का नहीं है। यह दशकों पुराना चश्मा है। इन्हें लगता है कि नाम बदलकर देश पर राज कर लेंगे, अस्पतालों में नाम उनके हैं, लेकिन इलाज नहीं है। सड़कों-पार्क, गरीब कल्याण की योजनाओं, खेल पुरस्कारों पर उनका नाम। अपने नाम से योजनाएं चलाईं और उन योजनाओं में हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार किए। अपनी कमियों को ढंकने के लिए चुनाव चिह्न भी चुरा लिया, लेकिन फिर भी पार्टी का घमंड ही दिखता है। 2014 से डिनायल मोड में हैं। पार्टी के संस्थापक एओ ह्यूम, जो विदेशी थे। 1920 में भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा मिली, नया ध्वज मिला। देश ने उस ध्वज को अपना लिया। रातों-रात कांग्रेस ने उस ध्वज की ताकत देखकर उसे भी छीन लिया। 1920 से यह खेल चल रहा है। वोटरों को लुभाने के लिए गांधी नाम भी चुरा लिया। चुनाव चिह्न देखिए दो बैल, गाय-बछड़ा, फिर हाथ का पंजा।'

'कांग्रेस को परिवारवाद पसंद है, दरबारवाद पसंद है। जब तक आप इस महफिल में दरबारी नहीं बनोगे, यही कार्यशैली रहेगी। इस दरबार सिस्टम ने कई विकेट लिए हैं, कितनों का हक मारा है। बाबा साहेब अंबेडकर को कांग्रेस ने जी-जान लगाकर दो बार हरवाया। वे उनके कपड़ों का मजाक उड़ाते थे। बाबू जगजीवन राम ने इमरजेंसी पर सवाल उठाए तो उन्हें भी नहीं छोड़ा। मोरारजी भाई देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर। दूसरे नेताओं की 1990 में पोर्ट्रेट तब संसद लगी, जब हमारे समर्थन से सरकार आई। नेताजी की पोर्ट्रेट 1978 की तब लगी जब गैर-कांग्रेसी सरकार थी। सरदार पटेल को समर्पित विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का गौरव प्राप्त हुआ। हमारी सरकार ने पीएम म्यूजियम बनाकर सारे दलों को सम्मान दिया। यह सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित है।'

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अपने घमंड से इतनी चूर हो गई है कि उसे जमीन दिखाई तक नहीं देती। 61 वर्षों से तमिलनाडु के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। पश्चिम बंगाल में उन्हें आखिरी बार 1972 में मिली थी, वे 51 साल से कह रहे हैं कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। उत्तर प्रदेश, गुजरात के लोग 38 साल से कांग्रेस को कह रहे हैं- नो कॉन्फिडेंस। त्रिपुरा के लोग 35 वर्षों से यही कह रहे हैं। ओडिशा में कांग्रेस को आखिरी बार 1995 में जीत मिली थी, यानी 28 वर्षों से कांग्रेस को एक ही जवाब मिल रहा है- कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। नगालैंड के लोग भी 25 वर्षों से यही कह रहे हैं। जनता ने कांग्रेस के प्रति बार-बार नो कॉन्फिडेंस घोषित किया है।'

उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने गमले में कभी मूली नहीं उगाई, वो खेतों को देखकर हैरान होने ही हैं। जिन्होंने हमेशा गाड़ी का शीशा डाउन करके दूसरों की गरीबी देखी है, उन्हें सब हैरान करने वाला लग रहा है। इन लोगों को पता है कि इनकी नई दुकान पर कुछ दिनों में ताला लग जाएगा। आज इस चर्चा के बीच देश के लोगों को मैं बड़ी गंभीरता के साथ इस घमंडिया गठबंधन की आर्थिक नीति से भी सावधान करना चाहता हूं। ये घमंडिया गठबंधन ऐसी अर्थव्यवस्था चाहता है कि देश कमजोर हो। 

जिन आर्थिक नीतियों पर ये आगे बढ़ना चाहते हैं, जिस तरह खजाना लुटाकर वोट पाने का खेल खेल रहे हैं, आप आसपास के देशों में देख लीजिए। हमारे देश के राज्यों में भी इसका असर हो रहा है। चुनाव जीतने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं। देशवासियों को सत्य समझाना चाहता हूं कि ये लोग भारत के दीवालिया होने की गारंटी है। ये अर्थव्यवस्था को डुबाने की गारंटी है। यह डबल डिजिटल महंगाई की गारंटी है। ये पॉलिसी पैरालिसिस की गारंटी है। तुष्टीकरण की गारंटी है। मोदी देश को गारंटी देता है कि तीसरे कार्यकाल में देश को तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। लोकतंत्र में जिनका भरोसा नहीं होता, वो सुनाने को तैयार होते हैं, लेकिन सुनने का धैर्य नहीं होता। अपशब्द बोलो, भाग जाओ। कूड़ा-कचरा फेंक भाग जाओ। झूठ फैलाओ, भाग जाओ।'

'अगर इन्होंने मणिपुर पर चर्चा की गृह मंत्री की बात पर सहमति दिखाई देती थी तो विस्तृत चर्चा हो सकती थी। विस्तार से जब इन्होंने बात रखी तो पता चला कि ये लोग कैसा झूठ फैलाते हैं, कितना पाप फैला रखा है। मणिपुर की स्थिति पर देश के गृह मंत्री ने बड़े धैर्य से और राजनीति के बिना सारे विषय को विस्तार से समझाया। उसमें देश की जनता को जागरूक करने का प्रयास था। मणिपुर की समस्या के लिए रास्ते खोजने का प्रयास था।'

मणिपुर पर अदालत का फैसला आया। अब अदालतों में क्या हो रहा है, ये हम जानते हैं। उसके पक्ष-विपक्ष में स्थिति बनी। कई परिवारों को मुश्किल हुई। महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए। यह अपराध अक्षम्य है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए हम भरपूर प्रयास कर रहे हैं। जिस प्रकार से प्रयास चल रहे हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा। मणिपुर फिर एक बार नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगा। मैं मणिपुर के लोगों से भी आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूं। वहां की माताओं, बहनों, बेटियों से कहना चाहता हूं- देश आपके साथ है। यह सदन आपके साथ है। हम सब मिलकर इस चुनौती का समाधान निकाल लिया, वहां शांति की स्थापना होगी। मणिपुर फिर विकास की राह पर तेज गति से आगे बढ़ेगा। प्रयासों में कोई कसर बाकी नहीं रहेगी। 

उन्होंने कहा कि यहां सदन में मां भारती के बारे में जो कहा गया है, उसने हर भारतीय की भावना को गहरी ठेस पहुंचाई है। मुझे नहीं पता कि क्या हो गया है। सत्ता के बिना ऐसा हाल किसी को हो जाता है। सत्ता सुख के बिना जी नहीं सकते? क्या भाषा बोल रहे हैं? पता नहीं क्यों कुछ लोगों को भारत की मां की मृत्यु की कामना करते देखा गया, इससे बड़ा दुख क्या होगा। ये लोग कभी लोकतंत्र की, कभी संविधान की हत्या की बात करते हैं। दरअसल, जो इनके मन में है, वही उनके कृतित्व में सामने आ जाता है। मैं हैरान हूं। ये बोलने वाले कौन लोग हैं, देश भूल गया है। 

क्या विभाजन की पीड़ा हम भूल गए? उन चीखों को लेकर आज भी वह हमारे सामने आता है। वह लोग जिन्होंने मां भारती के तीन-तीन टुकड़े कर दिए, वह भी तब जब मां भारत की बेड़ियों को काटना था, तब इन्होंने मां भारती की भुजाएं काट दीं। ये लोग किस मुंह से ऐसा बोलने की हिम्मत करते हैं? ये वो लोग हैं, जिस वंदे मातरम गीत ने देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा दी थी। हिंदुस्तान के हर कोने में वंदे मातरम चेतना का स्वर बन गया था, इन्होंने वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े कर दिए। ये वो लोग हैं, जो भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग को बढ़ावा देते हैं। ये उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो कहते हैं कि सिलीगुड़ी के पास जो कॉरिडोर हैं, उसे काट दें, तो पूर्वोत्तर अलग हो जाएगा। 

उन्होंने कहा, 'जो बाहर गए, उन्हें पूछें कि कच्छतीवु कहां हैं, उनसे पूछिए। ये द्रमुक वाले मुझे चिट्ठी लिखते हैं कि मोदी जी उसे वापस ले आइए। तमिलनाडु से आगे और श्रीलंका से पहले यह टापू किसने किसी देश को दे दिया था? तब यह टापू मां भारती का अंग नहीं था? कौन था उस समय? श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह हुआ था। कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा है। कांग्रेस का प्रेम क्या रहा है? एक सच्चाई बड़े दुख के साथ इस सदन के सामने रखना चाहता हूं। यह पीड़ा वह नहीं समझ पाएंगे, मैं चप्पे-चप्पे पर घुमा हुआ व्यक्ति हूं। मेरा इमोशनल अटैचमेंट है वहां के प्रति। मैं तीन प्रसंग आपके सामने रखना चाहता हूं।' 

50 सांसदों के समर्थन के साथ कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद सदन में चर्चा की जाती है। विपक्ष सदन में सरकार की कमियों को गिनाते हैं। सत्ता पक्ष के सांसद इसपर जवाब देते हैं। अंत में मतदान किया जाता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव सफल हो जाता है तो सरकार गिर जाती है।

एनडीए के कुल 331 सांसद हैं। इनमें से 303 सांसद भाजपा के हैं। वहीं विपक्षी खेमें में सिर्फ 144 सांसद ही हैं। वहीं, अन्य 70 सांसद हैं। मोदी सरकार को दूसरी बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाएगा। सरकार के खिलाफ पहला प्रस्ताव आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर 2018 में पेश किया गया था।