अब 22 रुपये किलो के हिसाब से बिकेगा 15 साल पुराना वाहन, कबाड़ नीति 1 अप्रैल से लागू
केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश में भी कबाड़ नीति लागू हो रही है। इस नीति में एक अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की तैयारी है। इसमें राज्य सरकार के सभी 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ करना होगा।
उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल से कबाड़ नीति लागू हो रही है। इस नीति में यदि कोई अपने 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ सेंटर पर बेचता है तो उसे लगभग 22 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसका दाम मिलेगा। परिवहन विभाग ने इस सिफारिश के साथ प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। दरअसल, विभाग ने इस दाम के लिए इस्पात मंत्रालय भारत सरकार के मानक को ही आधार बनाकर प्रस्ताव तैयार किया है। वाहन के कुल वजन का 65 प्रतिशत हिस्सा ही उसका मूल वजन माना जाएगा और उस रकम का भी 90 प्रतिशत ही भुगतान होगा।
केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश में भी कबाड़ नीति लागू हो रही है। इस नीति में एक अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की तैयारी है। इसमें राज्य सरकार के सभी 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ करना होगा। इसके लिए सरकार ने दो लक्ष्य तय किए हैं। पहले लक्ष्य में सभी इस अवधि के सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों को स्क्रैप करना है। इसमें सभी सरकारी विभागों, स्थानीय निकाय, उपक्रमों आदि के वाहनों को लेना है। दूसरे लक्ष्य में निजी वाहनों को लाना होगा जिनके लिए स्वैच्छिक रूप से नीति तय की गई है। यानी वह यदि चाहें तो इस नीति का लाभ उठा सकते हैं। पूरे प्रदेश में अब तक 12 कबाड़ सेंटरों पर काम शुरू हो गया है। सभी निजी संचालक हैं।
इस्पात मंत्रालय का मानक है कि खरीद के पिछले तीन माह के कबाड़ रेट का औसत निकालकर इसकी खरीद तय की जाए। परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह के मुताबिक इस समय यह औसत 40-45 रुपये प्रति किलो आ रहा है। ऐसे में इस पूरे रेट पर तो खरीद हो नहीं सकती क्योंकि कबाड़ सेंटर को भी अपना सारा खर्च इसी से निकालना है। ऐसे में लगभग इसके लगभग आधे पर वह अपने यहां कबाड़ खरीदेगा। लगभग 22 रुपये प्रति किलो का यह रेट बन रहा है।
निजी वाहनों की बात करें तो उनकी आयु तय नहीं की गई है। 15 साल बाद ऐसे वाहन की फिटनेस करानी होती है। यदि वह फिट है तो उसका पंजीकरण अगले पांच साल के लिए रिन्युअल हो जाता है। ऐसे ही निजी व्यासायिक वाहन ट्रक आदि वाहन का भी हर दो साल में फिट होने की स्थिति में रिन्युअल होता रहता है। हां, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह नियम समाप्त कर दिया गया है। वहां पेट्रोल चलित वाहन की उम्र 15 साल और डीजल वाहन की उम्र 10 साल तय कर दी गई है। इसके बाद उनका पंजीकरण रिन्युअल नहीं होगा। या तो उन्हें एनसीआर से बाहर ले जाना होगा या कबाड़ में बेचना होगा।
प्रदेश भर में 203 सरकारी कार्यालयों ने अब तक अपने 15 साल पुराने वाहनों की सूचना भेज दी है। इनमें 3367 वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से पुराने हैं। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में ऐसे वाहन हैं। उप्र पुलिस पास कुल 397 वाहन ऐसे हैं। इनमें से 366 वाहन तो 15 साल पुराने हैं जो अभी दौड़ रहे हैं जबकि 31 वाहन बीस साल से ज्यादा पुराने हैं। हालांकि आठ वाहन भी इस श्रेणी के हैं पर वे चलते नहीं हैं। उप्र राज्य परिवहन निगम के पास ऐसी 258 बसें हैं। इनमें 169 तो 15 साल जबकि 89 बसें बीस साल पुरानी हैं। नगर विकास निदेशालय के पास ऐसे 222 वाहन हैं। सिंचाई विभाग पर 168 वाहन 15 साल पुराने हैं जो अभी दौड़ रहे हैं। उप्र राज्य सेतु निगम के पास ऐसे 93 पुराने वाहन संचालित हैं।
यदि इस नीति में कोई अपनी 15 साल पुरानी बाइक देने लगे तो उसे लगभग 2500 रुपये मिलेंगे। यदि बाइक का वजन 180 किलो हैं तो उसका वजन 65 प्रतिशत माना जाएगा। यानी वजन हुआ 117 किलो। 22 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 2574 रुपये बने जिसका 90 प्रतिशत यानि 2316 रुपये दाम मिलेगा। इसी तरह से यदि कोई अपनी 15 साल पुरानी एसयूवी कार देने लगे और उसका वजन 2000 किलो हो तो उसका कुल वजन 1200 किलो माना जाएगा। उसे 25740 रुपये दिए जाएंगे। हालांकि स्क्रैप सेंटर से इसका एक प्रमाण पत्र भी प्राप्त होगा जिससे दिखाकर नए वाहन के रजिस्ट्रेशन कराने पर छूट मिलेगी।