अब लखनऊ 15 मिनट का शहर बनाने के लिए शुरू होगी कवायद, जानिए क्या होंगी सुविधाएं

विशेषज्ञों ने लखनऊ को 15 मिनट का शहर बनाने की बात कही और इसके लिए तेजी से काम करने की जरूरत बताई। घर से निकलने वाला शहर का कोई भी नागरिक 15 मिनट में ऑफिस और गंतव्य तक पहुंच जाए और फिर शाम को इतने ही वक्त में वापस आ जाए

अब लखनऊ 15 मिनट का शहर बनाने के लिए शुरू होगी कवायद, जानिए क्या होंगी सुविधाएं

देश भर से जुटे टाउन प्लानर और आर्किटेक्ट ने लखनऊ को विश्व स्तरीय शहर बनाने पर मंथन शुरू किया है। विशेषज्ञों ने लखनऊ को 15 मिनट का शहर बनाने की बात कही और इसके लिए तेजी से काम करने की जरूरत बताई। घर से निकलने वाला शहर का कोई भी नागरिक 15 मिनट में ऑफिस और गंतव्य तक पहुंच जाए और फिर शाम को इतने ही वक्त में वापस आ जाए, इसके लिए विशेषज्ञों ने यातायात, सड़क, परिवहन से लेकर तमाम अन्य सुविधाओं के विकास पर शुक्रवार को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित अर्बन कान्क्लेव में चर्चा की। 

विशेषज्ञों ने दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, पुणे समेत कई अन्य शहरों के विकास क्रम की पूरी रिपोर्ट पेश की। लखनऊ को 15 मिनट का शहर बनाने की दिशा में तेजी से काम करने की सलाह दी। 

जानिए क्या होता है 15 मिनट का शहर-

ऐसा शहर जहां वहां के रहने वाले लोगों के हर काम घर के आसपास 15 मिनट की दूरी पर हो जाएं। नौकरीपेशा व्यक्ति को ऑफिस जाने के लिए या विद्यार्थियों को स्कूल जाना हो। किसी भी समय पहुंचने या लौटने में अधिकतम 15 मिनट ही लगे। अस्पताल, शॉपिंग मॉल, सार्वजनिक पार्क, जिम या मेट्रो स्टेशन लोग पैदल चलकर आसानी से पहुंच सकें या कम से कम समय वाली कनेक्टिविटी।

जानिए सुनियोजित विकास वाले शहरों की कैसे होता है तेज़ विकास-

सुनियोजित विकास वाले शहरों में निवेश ज्यादा होता है। जहां बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल समेत अन्य तमाम सुविधाएं होती हैं, वहां निवेशक आते हैं। कम्पनियों के आने से शहर आर्थिंक सम्पन्न बनते हैं। एक प्राइवेट कंपनी के अधिकारी ने बताया कि अब दिल्ली नहीं, आस पास के शहरों में अधिक नौकरियां आ रही हैं। गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और पास के दूसरे शहरों में दिल्ली से अधिक नौकरियां हैं, इसके अलावा यूपी के बुलन्दशहर और मेरठ जैसे शहरों में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है।

इस अर्बन कान्क्लेव में गोमती नदी को साबरमती की तर्ज पर विकसित करने पर भी चर्चा हुई। गुजरात में साबरमती नदी का विकास कराने वाले पूर्व नगर आयुक्त केशव ने बताया कि साबरमती के विकास से पहले पेरिस गए और वहां रिवर की स्टडी की थी। पहले लोग साबरमती नदी की तरफ देखना नहीं चाहते थे। अपने घर का पिछवाड़ा कर दिया था। पूरी नदी नाले जैसी दिखती थी। मगर बाद में नदी को लोगों से जोड़ा गया। उन्होंने गोमती नदी के विकास की भी बात कही और साबरमती प्रोजेक्ट के बारे में एक प्रजेन्टेशन भी किया।