खुला फर्जीवाड़ा- PM किसान सम्मान निधि ले रहे सात लाख किसान निकले अपात्र, वसूली शुरू
ऐसे अपात्र कई बार निधि से पैसा पा चुके हैं। ऐसे में यह आंकड़ा भी जुटाया जा रहा है कि वास्तव में कितनी रकम इन किसानों को जारी हो चुकी है। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि अपात्र खुद भी निधि सरेंडर कर सकते हैं। भूलेख सर्वे में यह खुलासा हुआ है। ऐसे किसानों से रिकवरी की जा रही है। अब तक कुल 26 करोड़ वसूल जा चुके हैं। इन किसानों को निधि के 12वीं किस्त भी नहीं दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में सात लाख से ज्यादा किसान ऐसे हैं जिन्होंने फर्जीवाड़ा कर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ लिया है। भूलेख सर्वे में यह खुलासा हुआ है। ऐसे किसानों से रिकवरी की जा रही है। अब तक कुल 26 करोड़ वसूल जा चुके हैं। इन किसानों को निधि के 12वीं किस्त भी नहीं दी जाएगी।
आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले भी इसका बड़े किसान भी इसका लाभ उठा रहे थे। लगभग एक लाख ऐसे किसानों के खातों में धन गया है जिनकी मौत हो चुकी है। विदित हो कि सरकार ऐसे किसानों को सालाना छह हजार रुपये निधि के तौर पर देती है जिनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है।
निधि वितरण में लगातार मिल रही गड़बड़ियों पर सरकार भूलेख सर्वे करा रही है। सर्वे तहसील स्तर पर राजस्व की टीमें कर रही हैं। वहीं, इस योजना के तहत बीते दिनों 11 वीं किस्त जारी हुई थी। इसके तहत प्रदेश के 2.6 करोड़ किसानों को 51,640 करोड़ रुपये दिए गए थे।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव कृषि ने बताया - अपात्र किसानों से 25-26 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है। सर्वे और डाटा दुरुस्तीकरण का काम चलता रहेगा, ताकि ऐसे अपात्रों की जानकारी सामने आती रहे।
अब 12वीं किस्त के रूप में मिले 48,324 करोड़ रुपये का वितरण किया जा रहा है। साथ ही साथ सर्वे का भी काम चल रहा है। इसमें सामने आया है कि यूनीक नंबर धारक किसानों की संख्या सत्यापन से पूर्व प्रदेश में 2,17,98,596 थी। सत्यापन के बाद 2,10,87,849 का डाटा ही सही पाया गया है। इसी को रिकॉर्ड में शामिल किया गया है, जबकि कुल 7,10,747 किसानों को अपात्र माना गया है।
ऐसे अपात्र कई बार निधि से पैसा पा चुके हैं। ऐसे में यह आंकड़ा भी जुटाया जा रहा है कि वास्तव में कितनी रकम इन किसानों को जारी हो चुकी है। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि अपात्र खुद भी निधि सरेंडर कर सकते हैं। कई अपात्र ऐसे भी मिले हैं जो पति-पत्नी दोनों की निधि ले रहे थे।
बता दे यह योजना लघु एवं मंझोले किसानों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए शुरू की गयी थी जिससे वे न सिर्फ अपनी कृषि सम्बन्धी व्ययों को पूरा कर सकें बल्कि उन्हें असंगठित क्षेत्रों के व्यक्तियों से कर्जा भी ना लेना पड़े। भारत के इन किसानों के सशक्तिकरण में सरकार ने बड़ा कदम उठाया था। इस योजना के तहत यह स्पष्ट किया गया था की आयकर देने वाले किसान इस योजना के पात्र नहीं होंगे। जिले में यह तथ्य सामने आये हैं कि बहुत से आयकर भरने वाले किसान और उद्योग करने वाले व्यक्तियों को इस योजना का लाभ दिया गया है। ऐसे अपात्र किसानों से अब सरकार ने वसूली करना शुरू कर दिया है।