प्रधानमंत्री मोदी का विपक्ष पर कटाक्ष बोले-दल और व्यक्ति की मुखालफत को देश के विरोध में न बदलें
मोदी ने विपक्ष पर विकास कार्यों में ‘अड़ंगा’ डालने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर विकास कार्यों में ‘अड़ंगा’ डालने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले। प्रधानमंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व राज्यसभा सदस्य हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर कानपुर में आयोजित गोष्ठी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिए संबोधन में कहा, “हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थ को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हो गया है। विपक्षी दल कई बार तो सरकार के कामकाज में सिर्फ इसलिए अड़ंगा डालते हैं, क्योंकि जब वे सत्ता में थे, तब अपने द्वारा लिए गए फैसलों को लागू नहीं कर पाए। अब अगर इन फैसलों का क्रियान्वयन होता है तो वे उसका विरोध करते हैं। देश के लोग इसे पसंद नहीं करते।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हरमोहन सिंह यादव लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने विधान परिषद सदस्य, विधायक, राज्यसभा सदस्य और अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया। हरमोहन सिंह यादव के चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया के साथ घनिष्ठ संबंध थे।”
उन्होंने कहा कि हरमोहन सिंह यादव ने अपने बेटे एवं विधान परिषद के पूर्व सभापति सुखराम सिंह के साथ कानपुर और उसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मोदी ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों के जीवन की रक्षा करने में वीरता के प्रदर्शन के लिए हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री ने सामाजिक जीवन में हरमोहन सिंह यादव के आदर्शों की सराहना करते हुए कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-टूटेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए। यही हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। व्यक्ति से बड़ा दल, दल से बड़ा देश है। दलों का अस्तित्व लोकतंत्र की वजह से ही है और लोकतंत्र का अस्तित्व देश की वजह से है।”
मोदी ने कहा, “मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कानपुर आऊं, लेकिन आज हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक अवसर भी है। आज हमारी नयी राष्ट्रपति जी (द्रौपदी मुर्मू) का शपथ ग्रहण हुआ है। आजादी के बाद पहली बार आदिवासी समाज की एक महिला राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही है। यह हमारे लोकतंत्र की ताकत और हमारे सर्व समावेशी विचार का जीता-जागता उदाहरण है।”
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारे देश में अधिकांश पार्टियों ने विशेष रूप से सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने इस विचार को निभाया भी है। मुझे याद है, जब 1971 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब सभी प्रमुख पार्टियां सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो गई थीं। जब देश में पहला परमाणु परीक्षण किया गया तो सभी पार्टियां सरकार के साथ डटकर खड़ी हो गई थीं। लेकिन आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतंत्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी। चौधरी हरमोहन सिंह यादव भी उस संघर्ष के जुझारू सैनिक थे।”