प्रधानमंत्री मोदी करेंगे तीन बड़ी परियोजनाओं को लांच, घर-घर सौर चूल्हा पहुंचाने की तैयारी
करोड़ों परिवारों को साफ-स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के बाद आम जनों की रसोई में मदद करने एक बार फिर जा रही है। इस बार घर की गृहणी को एलपीजी से भी स्वच्छ सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हा उपलब्ध कराने की तैयारी है। देश के 13 राज्यों के सौ पेट्रोल पंपों पर 20 फीसद एथनोल बिक्री की सेवा शुरू हो जाएगी। तीसरी योजना प्लास्टिक के बोतलों से कपड़े बनाने से संबंधित है। सरकारी कंपनी इंडियन आयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) देश में हर वर्ष 10 करोड़ प्लास्टिक बोतलों से कपड़े को बनाने का प्लांट लगाने की तैयारी कर चुकी है।
केंद्र की मोदी सरकार उज्जवला योजना के जरिए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले करोड़ों परिवारों को साफ-स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के बाद आम जनों की रसोई में मदद करने एक बार फिर जा रही है। इस बार घर की गृहणी को एलपीजी से भी स्वच्छ सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हा उपलब्ध कराने की तैयारी है।
पीएम नरेन्द्र मोदी सोमवार को बेंगलुरु में इस उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ करेंगे। पीएम वहां 06 से 08 फरवरी तक होने वाली इंडिया ईनर्जी वीक (आईईडब्लू) में हिस्सा लेने के दौरान सौर चूल्हे के साथ ही दो अन्य योजनाओं का भी शुभारंभ करेंगे, जिसका देश के ऊर्जा सेक्टर पर बड़ा असर होगा। पीएम की तरफ से दूसरी योजना पेट्रोल में 20 फीसद एथनोल मिलाने की है। पायलट परियोजना का भी शुभारंभ किया जाएगा।
पहले चरण में देश के 13 राज्यों के सौ पेट्रोल पंपों पर 20 फीसद एथनोल बिक्री की सेवा शुरू हो जाएगी। तीसरी योजना प्लास्टिक के बोतलों से कपड़े बनाने से संबंधित है। सरकारी कंपनी इंडियन आयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) देश में हर वर्ष 10 करोड़ प्लास्टिक बोतलों से कपड़े को बनाने का प्लांट लगाने की तैयारी कर चुकी है। यह देश भर में प्लास्टिक के बोलतों के निस्तारण का एक बढि़या व उपयोगी विकल्प तैयार करेगा। इसके अलावा पीएम मोदी बेंगलुरु में स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों की एक रैली को भी झंडा दिखाएंगे।
सूत्रों ने पीएम मोदी के इस अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि उक्त तीनों योजनाएं सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देगा और पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए भारत की छवि को मजबूत करेगा। इनके जरिए भारत ऊर्जा क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों के समाधान का रास्ता दिखाएगा।
उदाहरण के तौर पर सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हे का गरीब व विकासशील देशों की तरफ से काफी मांग हो सकती है। भारत इसे इन देशों को उपलब्ध कराने के लिए गेट फाउंडेशन, विश्व बैंक से भी बात रहा है। अभी इसकी कीमत तकरीबन 14-15 हजार रुपये होगी लेकिन अगर सरकार की सब्सिडी का इस्तेमाल करते हुए इसकी खरीद की जाए तो आम जनता को यह सिर्फ 9-10 हजार रुपये में मिलेगा। इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने से इनकी लागत भी नीचे आएगी।