पटना हाई कोर्ट का बड़ा आदेश- रिकवरी टीम वाले अब जबरदस्ती आपकी गाड़ी नहीं ले जा पाएंगे
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि बैंक या कोई भी फाइनेंस कंपनी रिकवरी टीम द्वारा जबरदस्ती किसी गाड़ी को नहीं उठवा सकती। आदेश में कहा गया है कि अगर पहले भी किसी की गाड़ी उठाई गई है तो अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में फाइनेंसर्स के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है।
लोन पर ली गई गाड़ी की समय पर किश्त न चुका पाने वाले लोगों को कई बार बैंक और प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। कई बार स्थिति इतनी अपमानजनक हो जाती है कि रिकवरी टीम वाले आपकी गाड़ी को जबरदस्ती उठा ले जाते हैं।
बैंक और प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों की मनमानी अब नहीं चल सकेगी। वो अब बीच रास्ते से आपकी गाड़ी को उठा नहीं सकेंगे। अगर उनकी रिकवरी टीम ऐसा करती है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। उनके खिलाफ आप केस दर्ज करा सकेंगे।
साथ ही आपकी गाड़ी उठाना हाईकोर्ट के आदेश की अवेहलना मानी जाएगी। जी हां, आम लोगों के हित में पटना हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है। इस बात की पुष्टि सीनियर एडवोकेट बद्री नारायण सिंह ने रविवार को की है।
बता दे कि ऐसे लोगों को बड़ी राहत देते हुए पटना हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि रिकवरी टीमों द्वारा यूं जबरदस्ती किसी की गाड़ी उठा ले जाना कानून के खिलाफ है और यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज होगा।
फाइनेंस कंपनियों की रिकवरी टीम अगर लोन की किश्त चुका पाने में नाकाम किसी भी शख्स के साथ ऐसा करती हैं, तो इसे हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ माना जाएगा। पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने इस बारे में धनंजय सेठ बनाम भारत सरकार और अन्य संलग्न याचिकाओं के खिलाफ उक्त आदेश जारी किया है।
2020 में फाइनेंस कंपनी के खिलाफ एक मामला उनके पास आया था। फिर एक-एक करके बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ कुल 30 मामले आए। जिसके बाद हाईकोर्ट में अपील की गई थी। पिछले दो साल से अधिक वक्त तक इस मामले में पर सुनवाई चलती रही। 19 मई को जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने धनंजय सेठ बनाम भारत सरकार व अन्य और संलग्न याचिकाओं के खिलाफ सुनवाई करते हुए अपना आदेश जारी किया।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि बैंक या कोई भी फाइनेंस कंपनी रिकवरी टीम द्वारा जबरदस्ती किसी गाड़ी को नहीं उठवा सकती। कोर्ट ने कहा कि कंपनियों को SURFACIA ऐक्ट के तहत काम करना होगा। आदेश में कहा गया है कि अगर पहले भी किसी की गाड़ी उठाई गई है तो अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में फाइनेंसर्स के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। पटना हाई कोर्ट ने ऑर्डर की कॉपी को बिहार सरकार के साथ-साथ राज्य के पुलिस प्रमुख, सभी जिलों के एसपी एवं एसएसपी को भेजने का आदेश दिया है।
सीनियर एडवोकेट के अनुसार बैंक या कोई भी फाइनेंस कंपनी किसी भी हालत में गाड़ियों को रिकवरी टीम या गुंडों के द्वारा जबरदस्ती या बल प्रयोग नहीं कर सकती। उन्हें कानूनन SURFACIA ACT के तहत काम करना होगा।
पूर्व में भी अगर किसी की गाड़ी पकड़ी गई है तो वैसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में फाइनेंसर्स के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। कुल 53 पन्नों के आदेश में बड़ी बात यह भी है कि गाड़ी जब्त की अवधि में फाइनेंस कंपनियां किसी तरका सूद, ब्याज नहीं ले सकती है और न ही कोविड-19 के दरम्यान जारी आदेशों के खिलाफ जा सकती है।
अपने आदेश में पटना हाईकोर्ट ने साफ स्पष्ट किया है कि जबरन गाड़ी पकड़ने पर गाड़ी के मालिक पुलिस केस भी कर सकते हैं। इस आदेश की कॉपी को बिहार सरकार के साथ ही DGP के साथ जिलों में सभी SSP और SP को भेजने का आदेश दिया गया है। हाईकार्ट में बहस के दौरान सीनियर एडवोकेट बद्रीनारायण सिंह के साथ एडवोकेट संजय पांडेय और इंदिरा गुप्ता ने अपना पक्ष रखा।