लोगों से की 15 करोड़ की ठगी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो कर्मियों समेत पांच व्यक्ति गिरफ्तार

पुलिस का कहना है कि सभी शिकायतों में पीड़ितों ने ठगने का तौर-तरीका एक जैसा बताया है। उसने कहा कि सभी शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि टीकों के परिवहन से जुड़ी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उन्हें परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के सम्मेलन कक्ष में बिठाया गया था।

लोगों से की 15 करोड़ की ठगी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो कर्मियों समेत पांच व्यक्ति गिरफ्तार

विभिन्न राज्यों में कोविड-19 के टीकों के परिवहन से जुड़े कार्य दिलाने के बहाने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कोरोना के टीके व अन्य दवाओं के कई राज्यों में भेजने का ठेका दिलाने के नाम पर 15 करोड़ रुपये ठगी करने का मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की जांच करते हुए छह ठेकेदारों से ठगी करने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार एक आरोपी मंत्रालय में स्वागत अधिकारी जबकि दो अनुबंध पर कार्यरत थे।

बता दें ठगी का यह मामला विभिन्न राज्यों में कोविड-19 के टीकों के परिवहन से जुड़े कार्य दिलाने के बहाने लोगों को कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये का चूना लगाने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो कर्मियों समेत पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने रविवार को बताया कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा  ने हर्मेन सभरवाल (43), गोविंद तुलसियान (52), दीपराणा तिवारी (32), त्रिलोक सिंह (53) और मृत्युंजय राय (44) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि सिंह स्वास्थ्य मंत्रालय में स्थायी विविध कार्य कर्मचारी है, जबकि तिवारी संविदा कर्मचारी है।

पुलिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘ राय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से गृह मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर है तथा निर्माण भवन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में एक स्वागत अधिकारी है।’’ पुलिस के मुताबिक, सुनील कौशिक एवं अन्य व्यक्तियों से कई शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू की गयी। शिकायकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कोविड टीकों के परिवहन से जुड़े कार्य दिलाने के बहाने उनसे 15 करोड़ रुपये ठग लिये गए।

जांच में पता चला कि स्वागत अधिकारी रहे मृत्युंजय राय को निर्माण भवन स्थित मंत्रालय के कांफ्रेंस हॉल में जाने के लिए प्रति व्यक्ति छह-छह हजार रुपये दिए गए थे। मृत्युंजय राय के मंत्रालय में प्रवेश के लिए पर्चियां बनाने के बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी त्रिलोक सिंह और दिप्ररणा तिवारी पीड़ितों को काफ्रेंस हॉल तक पहुंचाया था। वहां मौजूद आरोपी ने खुद को मंत्रालय का अधिकारी बताकर उन्हें जल्द ठेका दिला देने का आश्वासन दिया।

पुलिस का कहना है कि सभी शिकायतों में पीड़ितों ने ठगने का तौर-तरीका एक जैसा बताया है। उसने कहा कि सभी शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि टीकों के परिवहन से जुड़ी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उन्हें परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के सम्मेलन कक्ष में बिठाया गया था।  आरोपी की बातों पर विश्वास कर पीड़ितों ने ठेका मिलने से पहले ही आरोपियों को 15 करोड़ रुपये दे दिए। पुलिस ने पीड़ितों और आरोपियों के बैंक खातों की जांच की। साक्ष्य मिलने के बाद शाखा की टीम आरोपियों की तलाश शुरू की। पुलिस टीम ने सबसे पहले हरमन सभरवाल को अगरतला के होटल पोलो ग्राउंड से गिरफ्तार कर लिया।

 विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने कहा कि पिछले साल मई में जांच में खुलासा हुआ था कि आरोपी शिकायतकर्ताओं के संपर्क में आये थे। पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ताओं का विश्वास जीतने के लिए आरोपी उन्हें मध्य दिल्ली में निर्माण भवन में स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में ले गये थे। विशेष पुलिस आयुक्त ने कहा, ‘‘ आरोपियों ने खुद को मंत्रालय के अधिकारी के रूप में पेश किया और फर्जी दस्तावेजों पर शिकायतकर्ताओं के हस्ताक्षर लिए थे। उन्होंने शिकायतकर्ताओं से 15 करोड़ रुपये ऐंठ लिए।’’