Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष के दौरान कैसा हो खानपान? भूल से भी ना करें ये काम, नहीं तो पूर्वज हो जाएंगे नाराज
पितरों के निमित्त तर्पण का सबसे शुभ अवसर पितृ पक्ष होता है. इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. पितृ पक्ष के 15 दिन की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं.
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है। पितृ पक्ष 15 दिन तक चलते हैं। इन दिनों में पितरों को याद करके पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष एक ऐसा समय है जिसमें हम अपने पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दे कि पितरों के निमित्त तर्पण का सबसे शुभ अवसर पितृ पक्ष होता है. इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. पितृ पक्ष के 15 दिन की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं.
धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. जिससे वे प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों का भी कल्याण होता है. पितर पक्ष को लेकर मान्यता है कि इस दौरान पितर कौवे के रूप में धरती पर पधारते हैं. इस दौरान कुछ काम करने की मनाही होती है.
लेकिन इस समय में कुछ बातों का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। जैसे इन दिनों में खानपान कैसा होना चाहिए।
श्राद्ध की अवधि में मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह अवधि पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित होती है, जिसमें मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन अशुभ माना जाता है। प्याज और लहसुन तामसिक प्रकृति के माने जाते हैं, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान इनके सेवन से भी बचना चाहिए। इस दौरान केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
गाजर, मूली का सेवन
मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान गाजर, मूली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इनका संबंध राहु से होता है। इसके साथ ही इनकी गिनती अशुद्ध सब्जियों में होती है।
पके चावल का सेवन
पितृपक्ष के दौरान पके हुए चावल का इस्तेमाल नहीं करना चहिए। क्योंकि इन्हीं चावलों से पितरों का श्राद्ध किया जाता है इसलिए कच्चे चावल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
मसूर की दाल
मसूर की दाल का सेवन भी पितृपक्ष के दौरान नहीं करना .चाहिए। क्योंकि इसका संबंध मंगल ग्रह से है, जो क्रोध का कारक माना जाता है। इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
इन सब्जियों का सेवन
पितृपक्ष के दौरान अरबी, आलू, कंद आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन पितरों को अर्पित नहीं किया जाता है।
चने का सेवन
पितृ पक्ष के दौरान चना और इससे बनी चीजों जैसे कि बेसन, चने की दाल, मिठाई आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये चीजों पितरों को अर्पित नहीं की जाती है।
पितृ पूजा के दौरान पूर्वजों और ब्राह्मणों को भोजन अर्पित करने से पहले भगवान विष्णु को उसका भोग लगाएं। उसके बाद ही वह ब्राह्मणों को दें। पितरों के श्राद्ध के दिन जब तक ब्राह्मण को भोजन न करा दें, तब तक खुद भी भोजन नहीं करना चाहिए। ये आपके पितर के प्रति आपकी श्रद्धा को दर्शाता है। इसके अलावा ब्राह्मण को भोजन करवाते समय मौन रहें। ब्राह्मण भोज कराने के बाद पितरों को मन में याद कर भूल चूक के लिए क्षमा याचना करें।
पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष के शुभ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इस दौरान किसी जानवर को नुकसान नहीं पहुचाना चाहिए बल्कि इस समय में कौओं, पशु-पक्षियों को अन्न-जल देना फलदायी होता है। इन्हें भोजन देने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं।
आइए अब जानते हैं पितृ पक्ष में किन कार्यों को करने से बचना चाहिए. दरअसल मान्यता है कि पितृ पक्ष में निषेध कार्यों को करने से पितृ देव नाराज हो जाते हैं. जिस कारण जीवन में पितृ दोष का सामना करना पड़ता है.
पितृपक्ष के दौरान श्राद्धकर्म करने वाले व्यक्ति को पूरे 15 दिनों तक बाल और नाखून कटवाने से परहेज करना चाहिए. हालांकि इस दौरान अगर पूर्वजों की श्राद्ध की तिथि पड़ती है तो पिंडदान करने वाला बाल और नाखून कटवा सकता है.
पौराणिक मन्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज पक्षी के रूप में धरती पर पधारते हैं. ऐसे में उन्हें किसी भी प्रकार से सताना नहीं चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान पशु-पक्षियों की सेवा करनी चाहिए.
पितृपक्ष के दौरान सिर्फ मांसाहारी ही नहीं, बल्कि कुछ शाकाहारी चीजों का सेवन करना भी निषेध माना गया है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग खाने से परहेज करना चाहिए.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करनी चाहिए. शादी, मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य पितृ पक्ष में निषेध माने गए हैं. दरअसल पितृपक्ष के दौरान शोकाकुल का माहौल होता है, इसलिए इन दिनों कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है.