पुलिस का सनसनीखेज दावा 'अतीक अहमद ने रची थी खुद पर हमले की साजिश, गुड्डू मुस्लिम को सौंपी थी जिम्मेदारी'
अतीक को डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर देगी या कोई हमला कर देगा. इससे बचने के लिए उसने खुद पर फायरिंग और बमबाजी कराने की साजिश रची थी. जिससे उसकी सुरक्षा मजबूत हो जाती और कोई उसपर हमला भी नहीं करता. पुलिस ने अपनी जांच में दावा किया कि गुड्डू मुस्लिम ने इसके लिए पूर्वांचल में कुछ बदमाशों से संपर्क भी किया था. इस हमले को अतीक के साबरमती जेल से आने के दौरान या प्रयागराज में किसी जगह अंजाम दिया जाना था.
माफिया अतीक अहमद की हत्या को लेकर यूपी पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. पुलिस ने शनिवार को दावा किया कि अतीक अहमद खुद पर ही हमला कराना चाहता था. इसकी उसने गुड्डू मुस्लिम को जिम्मेदारी सौंपी थी.
अतीक को डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर देगी या कोई हमला कर देगा. इससे बचने के लिए उसने खुद पर फायरिंग और बमबाजी कराने की साजिश रची थी. जिससे उसकी सुरक्षा मजबूत हो जाती और कोई उसपर हमला भी नहीं करता.
पुलिस ने अपनी जांच में दावा किया कि गुड्डू मुस्लिम ने इसके लिए पूर्वांचल में कुछ बदमाशों से संपर्क भी किया था. इस हमले को अतीक के साबरमती जेल से आने के दौरान या प्रयागराज में किसी जगह अंजाम दिया जाना था.
इस हमले में अतीक अहमद को कोई नुकसान नहीं होता, क्योकिं फायरिंग उसके नजदीक करनी थी और आसपास बम फेंके जाने थे. इससे अतीक पर हमले का माहौल बन जाता और उसकी सुरक्षा बढ़ जाती. लेकिन उससे पहले ही अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई.
अब जांच एजेंसियां इस बात पता लगाने में जुट गई हैं कि कहीं हमला करने वाले तीनों शूटर अरुण, लवलेश और सनी को अतीक गैंग ने तो नहीं बुलाया था. कहीं नाटक करने की जगह पर सच में किसी ने सुपारी दे दी हो और इन लोगों ने अतीक को शूट कर दिया हो.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में पुलिस हिरासत में चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जाते वक्त मीडिया के समक्ष उनकी परेड क्यों कराई गई?
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच का अनुरोध कर रही वकील विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि हत्यारों को यह कैसे पता चला कि उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था?
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘उन्हें कैसे पता चला? हमने टेलीविजन पर यह देखा है. उन्हें अस्पताल के प्रवेश द्वार से सीधे एम्बुलेंस में क्यों नहीं ले जाया गया? उनकी परेड क्यों कराई गई?’
रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार घटना की जांच कर रही है और उसने इसके लिए 3 सदस्यीय आयोग का गठन किया है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस का एक विशेष जांच दल भी मामले की जांच कर रहा है. रोहतगी ने कहा, ‘यह शख्स और उसका पूरा परिवार पिछले 30 साल से जघन्य मामलों में फंसा रहा है. यह घटना खासतौर से भीषण है. हमने हत्यारों को पकड़ा है और उन्होंने कहा है कि उन्होंने लोकप्रिय होने के लिए यह किया.’
रोहतगी ने कोर्ट में कहा, ‘हर किसी ने हत्या को टेलीविजन पर देखा. हत्यारे खुद को समाचार फोटोग्राफर बताकर आए थे. उनके पास कैमरे और पहचान पत्र थे जो बाद में फर्जी पाए गए. वहां करीब 50 लोग थे और इससे अधिक लोग बाहर भी थे. इस तरीके से उन्होंने हत्या को अंजाम दिया.’’
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के बाद उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक विस्तृत हलफनामा दायर करें जिनमें प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू डिवीजनल हॉस्पिटल के समीप 15 अप्रैल को हुई हत्याओं की जांच करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हो. हलफनामे में घटना के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी जाए और जस्टिस बीएस चौहान आयोग की रिपोर्ट के बाद उठाए कदमों का भी खुलासा किया जाए.
बता दे कि पुलिस ने दावा किया कि साजिश के तहत यह तय हुआ कि साबरमती जेल से लाए जाने के दौरान अतीक अहमद पर रास्ते में या प्रयागराज में किसी जगह पर हमला किया जाएगा. हमले में अतीक अहमद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना था. तय साजिश के तहत नजदीक से फायरिंग करनी थी और आसपास बम फेंके जाने थे. इसके जरिए यह संदेश देना था कि अतीक अहमद पर उनके विरोधियों ने हमला किया है, इसलिए उसकी सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए.