उत्तर प्रदेश में लड़खड़ाई बिजली व्यवस्था, गांव से शहर तक अघोषित कटौती, कोयले के लिए की स्पेशल व्यवस्था

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 22,000 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है। जबकि अधिकतम आपूर्ति 19,250 मेगावाट है। प्रदेश में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के बंद होने से बिजली की उपलब्धता घट गई है। दूसरी तरफ केंद्रीय सेक्टर की भी तमाम इकाइयों के बंद होने से यूपी के कोटे में कमी हो गई है।

उत्तर प्रदेश में लड़खड़ाई बिजली व्यवस्था, गांव से शहर तक अघोषित कटौती, कोयले के लिए की स्पेशल व्यवस्था

प्रचंड गर्मी के कारण मांग में भारी वृद्धि से उत्तर प्रदेश की बिजली आपूर्ति लड़खड़ा गई है। गांवों में पूरी रात बिजली नहीं मिल पा रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अघोषित कटौती से हालात बदतर होते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 22,000 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है। जबकि अधिकतम आपूर्ति 19,250 मेगावाट है। चूंकि पूरे उत्तर भारत में बिजली की मांग बढ़ गई है इसलिए ग्रिड से अतिरिक्त बिजली का आयात संभव नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के बंद होने से बिजली की उपलब्धता घट गई है। दूसरी तरफ केंद्रीय सेक्टर की भी तमाम इकाइयों के बंद होने से यूपी के कोटे में कमी हो गई है। 

पावर कॉर्पोरेशन की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार बीती रात गांवों में औसतन 7:57 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 6:02 घंटे, नगर पंचायतों में 6:17 घंटे व बुंदेलखंड 6:51 घंटे की कटौती की गई। रिपोर्ट में जिला व मंडल मुख्यालयों, महानगरों और उद्योगों को 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया गया है लेकिन राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जमीनी स्तर पर हालात कुछ और हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार अनपरा में छह, ओबरा व हरदुआगंज में चार-चार दिन तथा पारीछा में एक दिन का कोयला बचा है। इस कमी से तापीय इकाइयां पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं। प्रदेश के बिजली घरों के लिए रोजाना 87900 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, जबकि सप्लाई 61000 मीट्रिक टन ही हो पा रही है। 

कोयले की निर्बाध आपूर्ति के लिए मुरादाबाद मंडल की आठ यात्री ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है, ताकि कोयला लाने वालीं मालगाड़ियों को प्राथमिकता दी जा सके। मुरादाबाद मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) सुधीर सिंह ने बताया कि गर्र्मी में बिजली की खपत अत्यधिक बढ़ गई है। साथ ही बिजलीघरों में भी कोयले की कमी हो रही है। बिजलीघरों तक कोयले की निर्बाध रुप से आपूर्ति करने के लिए रेल प्रशासन की ओर से भी काम किया जा रहा है। सीनियर डीसीएम ने बताया कि कोयले की सुगम व तीव्र गति से कोयला ले जाने वाली मालगाड़ियों को प्राथमिकता दी जा रही है। जिसके कारण आठ ट्रेनों को अग्रिम आदेशों तक निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।