रक्षाबंधन 2024: भैया मेरी शादी है व्यवस्थाएं संभाल लेना...बिहारी जी को भेजी राखियां, बहनों की कान्हा से गुहार
भाई-बहन के प्रेम के प्रतीकोत्सव रक्षाबंधन पर अपने प्यारे भैया बांकेबिहारी के लिए 10 हजार से भी अधिक बहनों ने राखियां भेजी हैं
भाई-बहन के प्रेम के प्रतीकोत्सव रक्षाबंधन पर अपने प्यारे भैया बांकेबिहारी के लिए 10 हजार से भी अधिक बहनों ने राखियां भेजी हैं। पोस्ट अथवा कोरियर द्वारा देश-विदेश के अनेक स्थानों से निरंतर आ रहीं रक्षाबंधन सामग्री में राखियों के साथ ही साथ बहनों द्वारा बांकेबिहारी भैया को संबोधित भावभीनी नेहभरी पातियां अवश्य भेजी जा रही हैं, जिनमें वह अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हुए बिहारीजी से भाई के रूप में ताउम्र साथ निभाने का वचन मांग रही हैं।
सेवायत गोस्वामी समाज व मंदिर कार्यालय में पिछले करीब एक माह से राखी आने का क्रम शुरू हो चुका है, जो राखी पूनौ के बाद तक चलता रहेगा। इस बार आए अनेक मार्मिक पत्रों को मंदिर प्रबंधन द्वारा प्रेस को दिखाए गए हैं। सेवायत प्रहलाद गोस्वामी ने बताया कि एक पत्र में अंबाला की रूचि लिखती हैं कि सुनो बांके भैया मेरी शादी 6 दिसंबर की है, उसमें आप एक दिसंबर को ही पहुंचकर सारी व्यवस्थाएं संभाल लेना और राधारानी को भी लेकर आना। पापा का काम सही न चलने की वजह से मम्मी चिंता करती हैं।
गौरी ने राखी बंधन उपहार स्वरूप में कान्हा भैया से आत्मनिर्भर बनाने के लिए अध्यापिका बनाने की गुजारिश की है, तो श्रद्धा ने कोई भाई न होने पर बचपन से ही राखी भेजने की याद दिलाई है। सुमित्रा ने अपनी बीमार मां को स्वस्थ करने की गुहार लगाई है तो नेहा ने बिहारी भैया से अपने भांजे का मन पढ़ाई में लगाने का आग्रह किया है। एक अन्य बहन ने लिखा है कि मेरे तीनों भाई और माता-पिता आपके श्रीचरणों में जा चुके हैं और अब मेरे जीवन के सारे कार्य आपको ही संभालने हैं। इनके अलावा शिमला की सरला महाजन व पुखरायां की निर्मला आदि हजारों बहनों ने अत्यंत भावुक पत्र प्रेषित किए हैं।
देश-विदेश से भेज रहीं बहन अपने आराध्य को राखियां
सेवायत के अनुसार हर साल हजारों की संख्या में राखी, उपहार व पत्र आते हैं, जिनमें रेशम राखी, स्वर्ण रजत राखी, नोटों की राखी सहित तमाम तरह के धातुओं की राखी आराध्य के लिए पहुंचती हैं। इस बार भी उप्र, मप्र, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, दिल्ली इत्यादि बहुत से राज्यों के अनेक नगरों के साथ ही साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, दुबई आदि विदेशों में रहने वाले भक्त परिवारों की ओर राखी बंधन सामग्री आने का क्रम जारी है।
सतयुग में शुरू हुआ राखी बंधन का पर्व
इतिहास के मुताबिक श्रावणी, रक्षाबंधन, राखीपूनौ व सनूनौ आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध राखी बंधन पर्व मनाने की शुरुआत सर्वप्रथम सतयुग में हुई थी। उस समय दानवेंद्र बलि के द्वारपाल बने हुए वामन स्वरूप में मौजूद भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ ले जाने के लिए माता लक्ष्मी ने महाराजा बलि को अपना भाई बनाकर श्रावण पूर्णिमा के शुभ दिन राखी बांधी थी, तभी से संसार में राखी बंधन का महोत्सव सृजित हुआ।