इस मंदिर में रावण ने की थी शिवलिंग की स्थापना, चोरी कर रहे लोगों पर गिरी बिजली, पत्थर बनी बैलगाड़ी आज भी दिखती है
मंदिर के निर्माण के कुछ वर्ष बाद यहां कुछ चोरों ने शिवलिंग को चुराने की कोशिश की थी। शिवलिंग को 50 फिट तक खोदा किन्तु तब भी इस शिवलिंग का अंतिम सिरा नहीं पा सके। कहते हैं कि इस बीच बादल छा गए और बिजली कड़कने लगी। इसके बाद यहां चोरी कर रहे लोगों पर बिजली गिर गई, जिससे उनकी मौत हो गई। जिस बैलगाड़ी से वे चोरी कर शिवलिंग ले जाना चाहते थे वह भी पत्थर का हो गया, जो आज भी मंदिर की दाईं ओर स्थित है।
वशिष्ठ मुनि की तपोभूमि के मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर कुआनो नदी के किनारे पौराणिक भदेश्वरनाथ मंदिर स्थित है। शिव पुराण में भद्र नाम से इसे उल्लेखित किया गया है। किवदंती है कि रावण ने यहां शिवलिंग की स्थापना करने के पश्चात वंदना की थी।
इसका उल्लेख शिवपुराण में मिलता है। इसके बाद कई वर्षों तक यह स्थल जंगलों के बीच छिपा रहा। कहते हैं कि लोग यहां आते-जाते जरूर थे, मगर इस मंदिर के संबंध में किसी को कोई जानकारी नहीं थी।
मंदिर के पुजारी शिवकुमार गिरी ने बताया कि लगभग दो सौ साल पूर्व बस्ती राजा शिकार खेलने जब यहां आए तो उनकी नजर इस शिवलिंग पर पड़ी। यहां भोलेनाथ को इस हालत में देख वे आहत हुए और फिर उस शिवलिंग की पूजा अर्चना कर यहां मंदिर स्थापित करा दिया।
भदेश्वरनाथ ग्राम निवासी रविन्द्र गिरी ने बताया कि मंदिर के निर्माण के कुछ वर्ष बाद यहां कुछ चोरों ने शिवलिंग को चुराने की कोशिश की थी। शिवलिंग को 50 फिट तक खोदा किन्तु तब भी इस शिवलिंग का अंतिम सिरा नहीं पा सके।
कहते हैं कि इस बीच बादल छा गए और बिजली कड़कने लगी। इसके बाद यहां चोरी कर रहे लोगों पर बिजली गिर गई, जिससे उनकी मौत हो गई। जिस बैलगाड़ी से वे चोरी कर शिवलिंग ले जाना चाहते थे वह भी पत्थर का हो गया, जो आज भी मंदिर की दाईं ओर स्थित है।