उत्तर प्रदेश में चल रहे ईंट भट्ठों के संचालकों को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने NGT की लगाई सख्त शर्त हटाई
पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि ईंट निर्माण की 2164 इकाइयों में से लगभग 1900 इकाइयों ने 22 फरवरी 2019 की अधिसूचना के तहत संचालन के लिए सहमति प्राप्त नहीं की है और जिन इकाइयों ने इसकी घोषणा नहीं की है उनकी उत्पादन क्षमता, को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश में चल रहे ईंट भट्ठों के संचालकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. SC में जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने एनजीटी की लगाई सख्त शर्तों में राहत दी है. एनसीआर के तहत आने वाले यूपी में केवल पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) पर चलने वाले ईंट भट्ठे संचालन के लिए लगाई गई कड़ी शर्त भी हटा दी गई है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि ईंट निर्माण की 2164 इकाइयों में से लगभग 1900 इकाइयों ने 22 फरवरी 2019 की अधिसूचना के तहत संचालन के लिए सहमति प्राप्त नहीं की है और जिन इकाइयों ने इसकी घोषणा नहीं की है उनकी उत्पादन क्षमता, को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद लगभग 1900 ईंट भट्टों के फिर से खोलने का रास्ता खुल गया है. इस अधिसूचना ने सभी मौजूदा ईंट भट्ठों को एक साल के भीतर पीएनजी में स्थानांतरित करने की अनुमति दी. इस प्रकार कोयले, जलाऊ लकड़ी से चलने वाले भट्ठों को वर्तमान में परिचालन में रहने की अनुमति दी गई.
गौरतलब है कि नवंबर 2019 में एनजीटी ने कोयले से चलने वाले ईंट भट्ठों पर अंतरिम प्रतिबंध लगा दिया था. इसके कारण ईंट भट्ठों को बंद कर दिया गया था.
दरअसल एनजीटी ने लगातार बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश में ईंट भट्ठे चलाने के लिए पाइप्ड नेचुरल गैस यानी पीएनजी का प्रयोग करने के लिए कहा था. एनजीटी ने कहा था कि कोई भट्ठा संचालक इस नई तकनीक का प्रयोग नही करता तो वह ईंट भट्ठा का संचालन नहीं करेगा.
एनजीटी के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. कोर्ट ने ईंट भट्ठों को निर्देश दिया कि वे पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा फरवरी में जारी अधिसूचना के तहत सहमति प्राप्त कर अपनी उत्पादन क्षमता का खुलासा करें.अधिसूचना में भट्ठों को एक वर्ष की अवधि के भीतर ज़िग-ज़ैग तकनीक (जहां ईंटों को ज़िग-ज़ैग तरीके से ढेर किया जाता है) में स्थानांतरित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि ईंटों के उत्पादन की इस विधि से हवा कम प्रदूषित होती है.