एमएलसी उपचुनाव में BJP को निर्विरोध नहीं जीतने देगी सपा,20 साल बाद उप चुनाव में होगा मतदान
विधान परिषद की दो रिक्त सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी भाजपा को निर्विरोध चुनाव नहीं जीतने देगी। भले ही सपा के पास चुनाव जीतने के लिए 202 विधायक न हों लेकिनपार्टी दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
विधान परिषद की दो रिक्त सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी भाजपा को निर्विरोध चुनाव नहीं जीतने देगी। भले ही सपा के पास चुनाव जीतने के लिए 202 विधायक न हों लेकिनपार्टी दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। सपा ने गुरुवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें प्रत्याशी तय करने के बाद गुरुवार को अंतिम दिन नामांकन भी कराएगी।
विधान परिषद के उप चुनाव में 20 साल बाद मतदान होगा। इससे पहले वर्ष 2002 में ऐसी स्थिति आई थी, जब रालोद के मुन्ना सिंह चौहान के खिलाफ निर्दल यशवंत ने ताल ठोकी थी। हालांकि बाजी चौहान ने मारी थी। अब 29 मई को दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल सपा ने भी प्रत्याशी उतार दिए हैं।
विधान परिषद की दो रिक्त सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी भाजपा को निर्विरोध चुनाव नहीं जीतने देगी। भले ही सपा के पास चुनाव जीतने के लिए 202 विधायक न हों लेकिनपार्टी दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। सपा ने गुरुवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें प्रत्याशी तय करने के बाद गुरुवार को अंतिम दिन नामांकन भी कराएगी।
विधान परिषद की दो सीटें एमएलसी लक्ष्मण आचार्य के इस्तीफा देने और बनवारी लाल दोहरे के निधन से खाली हुई हैं। इन सीटों को भरने के लिए चुनाव आयोग उप चुनाव करा रहा है। दोनों ही सीटें भाजपा के पास थीं और उसने मानवेंद्र सिंह और पदमसेन को प्रत्याशी बनाया है।
विधान परिषद का उप चुनाव वरीयता व आनुपातिक मतों के बजाय बहुमत के आधार पर होता है। यानी, जिस पार्टी के ज्यादा विधानसभा सदस्य होंगी, वही जीतेगा। वर्तमान में विधानसभा के 403 में से 274 सदस्य भाजपा के हैं, जोकि जीत के लिए जरूरी नंबर से कहीं ज्यादा हैं।
उप चुनाव में मतदान की स्थिति इससे पहले नवंबर 2002 में हुए चुनाव में आई थी। तब विधान परिषद की सीट एमएलसी मसूद खां के निधन से खाली हुई थी। उप चुनाव में रालोद ने मुन्ना सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया तो निर्दलीय प्रत्याशी यशवंत ने भी पर्चा दाखिल कर दिया। 18 नवंबर 2002 को मतदान हुआ तो परिणाम रालोद के पक्ष में गया।
बता दे कि एमएलसी की यह दोनों ही सीटें उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की हैं। इन्हीं दो रिक्त सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। 29 मई को मतदान होगा। भाजपा ने एमएलसी उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा मंगलवार को ही कर दी थी। पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष मान्वेंदर सिंह और पद्मसेन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। नामांकन की अंतिम तारीख 18 मई है। भाजपा प्रत्याशी भी गुरुवार को ही नामांकन पत्र भरेंगे।