समाजवादी पार्टी के कल से होने वाले पार्टी सम्मेलन में दिखेगा मुलायम पीढ़ी के नेताओं का अभाव
पार्टी की स्थापना के बाद से पहली बार सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा। सम्मेलन में मुलायम की पीढ़ी के नेताओं का अभाव दिखेगा तो परिवारवाद की छाया से निकलने की छटपटाहट भी दिखेगी।
लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में होने वाला समाजवादी पार्टी का प्रांतीय व राष्ट्रीय सम्मेलन कई मायने में अहम होगा। पार्टी की स्थापना के बाद से पहली बार सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा। सम्मेलन में मुलायम की पीढ़ी के नेताओं का अभाव दिखेगा तो परिवारवाद की छाया से निकलने की छटपटाहट भी दिखेगी। यह सियासी फलक पर पार्टी को ताकत देने के साथ ही नई चुनौतियों से भी रूबरू कराएगा।
पार्टी 28 को प्रांतीय और 29 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसमें कई आर्थिक व सामाजिक प्रस्ताव पारित होंगे। अखिलेश यादव भले ही पांच साल पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हों, पर उनका यह पहला सम्मेलन हैं, जिसमें वह खुद सर्वेसर्वा होंगे। इसमें पार्टी संरक्षक पहुंचेंगे, इस पर संशय है।
मुलायम के साथ पार्टी को वैचारिक खाद-पानी देने वाले ज्यादातर नेता अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर वे किनारे हैं। यह सम्मेलन परिवारवाद की छाया से भी मुक्त नजर आएगा। प्रो. रामगोपाल यादव राष्ट्रीय महासचिव तक सीमित हैं तो शिवपाल यादव बाहर हो चुके हैं। सियासत में सक्रिय परिवार के बाकी सदस्य पहले ही अखिलेश को अपना नेता मान चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि सम्मलेन में अखिलेश यादव का ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है, लेकिन कार्यकारिणी में नई हवा है, नई सपा है का असर दिखेगा। इसमें ऊर्जावान चेहरों को तवज्जो मिलेगी। नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष पद पर दोबारा मौका मिल सकता है। उनके राष्ट्रीय कमेटी में जाने पर पार्टी पिछड़े वर्ग के अन्य नेताओं पर दांव लगा सकती है। हालांकि अंदरखाने दलित चेहरे की तलाश है। दूसरे दल से आए नेताओं का नाम भी हैं, पर हाईकमान समाजवादी संघर्ष से निकले चेहरे पर दांव लगाने पर विचार कर रहा है।