सनातन हिन्दू शादी संस्कार- शादी में सिन्दूर को मांग में ही क्यों भरते है, सर पर हाथ रखकर क्यों बिंदी तिलक लगाया जाता है

हिन्दू विवाह पद्धति में कुछ परंपराएँ ऐसी होती हैं, जिनका निर्वाह शादी में नहीं किया जाए तो शादी पूरी नहीं मानी जाती हैं। जैसे मंगलसूत्र पहनाना, मांग में सिंदूर भरना, बिछिया पहनाना आदि। इन रस्मों का निर्वाह शादी में तो किया ही जाता है साथ ही इन सभी चीजों को सुहागन के सुहाग का प्रतीक माना जाता है।

शादी में सिन्दूर को मांग में ही क्यों भरते है

हिन्दू विवाह पद्धति में कुछ परंपराएँ ऐसी होती हैं, जिनका निर्वाह शादी में नहीं किया जाए तो शादी पूरी नहीं मानी जाती हैं। जैसे मंगलसूत्र पहनाना, मांग में सिंदूर भरना, बिछिया पहनाना आदि। इन रस्मों का निर्वाह शादी में तो किया ही जाता है साथ ही इन सभी चीजों को सुहागन के सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार इन्हें सुहागनों का अनिवार्य श्रृंगार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन श्रृंगारों के बिना सुहागन स्त्री को नहीं रहना चाहिए। किसी भी सुहागन स्त्री के लिए मांग में सिंदूर भरना अनिवार्य परंपरा मानी गई है।

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https://www.youtube.com/watch?v=vPx-52tFzCg

मांग में चुटकी भर सिन्दूर, सिर्फ आपका मैरिटल स्टेटस नहीं बताता, ये आपको हैल्दी व ठंडा रखने में भी कारगर है। सिन्दूर में हल्दी, नींबू और बहुत थोड़ी मात्रा में मरकरी डाला जाता है। शादी के दौरान, जब दुल्हन की मांग में, सिन्दूर डाला जाता है, तो सिन्दूर में मिला मरकरी, उसे रिलैक्स कर ठंडक का एहसास देता है। वैज्ञानिकों के अनुसार माना जाता है, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का ब्रह्मरंध्र, अधिक संवेदनशील और, कोमल होता है। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है, जिससे शरीर पर लगाने से, विधुत ऊर्जा नियंत्रण होती है।

हमारे माथे के बीचों-बीच आज्ञाचक्र होता है। जो इड़ा, पिंगला तथा, सुभुम्ना नाड़ी का संगम है। तिलक हमेशा आज्ञाचक्र पर किया जाता है, जो कि हमारा चेतना केंद्र भी कहलाता है। तिलक लगवाते समय, सिर पर हाथ इसलिए रखते हैं ताकि, सकारात्मक उर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो तथा, हमारे विचार सकारात्मक हों। शरीर शास्त्र के अनुसार, पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तिष्क के अन्दर, एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है।

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इसे प्रयोगों द्वारा, प्रमाणित किया जा चुका है, हमारे ऋषिगण इस बात को भलीभाँति जानते थे, पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से, आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चंदन का तिलक लगाने से दिमाग में, शांति, तरावट एवं शीतलता बनी रहती है। मस्तिष्क में सेराटोनिन, व बीटा एंडोरफिन नामक रसायनों का, संतुलन होता है। मेघाशक्ति बढ़ती है तथा, मानसिक थकावट विकार नहीं होता।

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