Seasonal Influenza के केसों में मार्च से आएगी गिरावट, H3N2 वायरस पर भी कड़ी नजर

मौसमी इन्फ्लूएंजा के केसों में मार्च के अंत से गिरावट आने की उम्मीद है. राज्य निगरानी अधिकारी इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रोगियों के वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल और वेंटिलेटरी प्रबंधन पर दिशानिर्देश प्रदान किए हैं जो मंत्रालय और एनसीडीसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं.

Seasonal Influenza के केसों में मार्च से आएगी गिरावट, H3N2 वायरस पर भी कड़ी नजर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लूएंजा की स्थिति पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) नेटवर्क के माध्यम से कड़ी नजर जमाए हुए हैं. एक आधिकारिक ब्रीफिंग में शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि मार्च माह के अंत तक इन केसों में गिरावट आने की उम्‍मीद है. 
मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि वह  मौसमी इन्फ्लूएंजा के H3N2 सबटाइप के कारण होने वाली रुग्णता (Morbidity)और मृत्यु दर (Mortality) पर भी नज़र रखे हुए है. मंत्रालय की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "मौसमी इन्फ्लुएंजा के लिहाज से बच्‍चे और co-morbidities वाले उम्रदराज लोग सबसे कमजोर समूह हैं. अब तक कर्नाटक और हरियाणा में "मौसमी इन्फ्लूएंजा  से एक-एक मौत की पुष्टि हुई है.
कर्नाटक के हासन का 82 वर्षीय बुजुर्ग देश में H3N2 का 'शिकार' बनने वाला पहला व्‍यक्ति माना जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, हीरे गौडा को 24 फरवरी को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था और एक मार्च को उनकी मौत हो गई. जानकारी के अनुसार वे डायबिटीज और हायपरटेंशन की समस्‍याओं से पीड़‍ित थे. 
देश में  H3N2 वायरस के करीब 90 केस  रिपोर्ट  किए गए हैं. H1N1 वायरस के भी आठ मामलों का पता चला है. पिछले कुछ माह में देश में फ्लू के मामलों में काफी इजाफा देखा गया था. अधिकांश इनफेक्‍शन H3N2 वायरस के कारण होते हैं, जिसे "हांगकांग फ्लू" के नाम से भी जाना जाता है. यह वायरस देश में अन्य इन्फ्लूएंजा सबटाइप की तुलना में लोगों के अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है. भारत में अब तक H3N2 और H1N1 संक्रमण के मामले ही पता चले हैं.  
मंत्रालय की ओर से कहा गया है, "मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है. यह दुनिया के सभी हिस्सों में फैलता है और विश्व स्तर पर कुछ महीनों के दौरान इसके मामलों में वृद्धि देखी जाती है. भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामले दो समयावधि में  काफी देखे जाते हैं- एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में. 
मौसमी इन्फ्लूएंजा के केसों में मार्च के अंत से गिरावट आने की उम्मीद है. राज्य निगरानी अधिकारी इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रोगियों के वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल और वेंटिलेटरी प्रबंधन पर दिशानिर्देश प्रदान किए हैं जो मंत्रालय और एनसीडीसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं. इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्य सरकारों को H1N1 मामलों को 'डील' वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के वैक्‍सीनेशन की भी सलाह दी है.