कई जगह दिखते हैं मंदिर के चिह्न, देवी-देवताओं संग शेषनाग की कलाकृति, सौंपी गयी अदालत को 6 और 7 मई के सर्वे की रिपोर्ट
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कई जगह मंदिर जैसे चिह्न उपस्थित हैं। देवी-देवताओं की कलाकृतियां भी हैं। ऐसे शिलापट्ट हैं, जिन पर कमल की आकृति साफ देखी जा सकती है। एक शिलापट्ट पर शेषनाग की कलाकृति भी है। ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे में हटाए गए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने कोर्ट को छह और सात मई को हुए सर्वे की रिपोर्ट सौंप दी है। अजय मिश्रा की 2 दिन की कार्रवाई की वीडियोग्राफी से संबंधित चिप राजकीय कोषागार के लॉकर में सुरक्षित रखी गई। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में खंडित देवविग्रह, मंदिर का मलवा, हिंदू देवी-देवता व कमल की आकृति शिलापट्ट आदि का जिक्र किया गया। इसके अलावा शुक्रवार को कोर्ट में 14 से 16 मई की सर्वे की रिपोर्ट जमा सौंपी जाएगी। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कई जगह मंदिर जैसे चिह्न उपस्थित हैं। देवी-देवताओं की कलाकृतियां भी हैं। ऐसे शिलापट्ट हैं, जिन पर कमल की आकृति साफ देखी जा सकती है। एक शिलापट्ट पर शेषनाग की कलाकृति भी है।
पूर्व एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाले तथ्य हैं। इसमें बताया गया है कि बैरिकेङ्क्षडग के बाहर मस्जिद परिसर की उत्तर से पश्चिम की दीवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलबा है। इस दीवार पर देवी-देवताओं की कलाकृतियां अंकित हैं। यहीं पर छड़, गिट्टी, सीमेंट से चबूतरे पर नया निर्माण किया गया है। उत्तर से पश्चिम की तरफ चलते हुए मध्य शिलापट्ट पर शेषनाग की कलाकृति बनी हुई है। इस पर सिंदूरी रंग की उभरी हुई कलाकृतियां भी दिखाई दे रही हैैं। शिलापट्ट पर देव विग्रह की चार मूर्तियों की आकृति पर सिंदूरी रंग है। चौथी आकृति जो मूर्ति की तरह प्रतीत होती है, उस पर सिंदूर का मोटा लेप है। इसके आगे के हिस्से में दीया जलाने के उपयोग में आने वाला त्रिकोणीय ताखा है। अंदर की तरफ मिट्टी व एक अलग शिलापट्ट है। इस पर भी आकृति उकेरी हुई स्पष्ट दिख रही है। लंबे समय से भूमि पर पड़े शिलापट्ट प्रथम दृष्टया किसी बड़े भवन के खंडित अंश लगते हैं। शिलापट्ट पर उभरी कुछ कलाकृतियां मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार पर उभरी कलाकृतियों से मिलती जुलती हैैं।
दो पेज की रिपोर्ट में तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त ने न्यायालय को बताया कि छह मई को हुई जांच में चौथी आकृति मूर्ति के रूप में प्रतीत हो रही है और उस पर सिंदूर का मोटा लेप लगा हुआ है। इसके आगे दीपक जलाने के उपयोग में लाया गया त्रिकोणीय ताखा (गंउखा) में फूल रखे हुए थे। पूर्व दिशा में बैरिकेडिंग के अंदर व मस्जिद की पश्चिम दीवार के बीच मलबे का ढेर पड़ा है। यह शिलापट्ट भी उन्हीं का हिस्सा प्रतीत हो रहा है। इन पर उभरी हुई कलाकृतियां मस्जिद की पश्चिम दीवार पर उभरी कलाकृतियों से मेल खाती दिख रहीं हैं। इसके बाद उन्होंने कमीशन की कार्यवाही रोके जाने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा है कि विवादित स्थल के मूल स्थान बैरिकेड के अंदर जाने व तहखाना खोलने में प्रशासन के असमर्थता जताने पर कार्यवाही अगले दिन के लिए टाली गई।
वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय के आदेशानुसार प्राचीन आदि विश्वेश्वर परिसर के बारे में राखी सिंह आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदि वाद में कोर्ट कमीशन द्वारा वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए गए थे। तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने छह व सात मई की कोर्ट कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट बुधवार को न्यायालय में पेश कर दी है। इस तरह कोर्ट कमीशन की आंशिक कार्यवाही न्यायालय में जमा हो गई है। बाकी तीन दिन की कार्यवाही की रिपोर्ट विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह द्वारा जमा की जानी है, जिसे 19 मई को जमा किये जाने की पूर्ण संभावना है।