पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी उत्तर भारत में बढ़ाएगी सर्दी, बारिश भी गिरा रही है पारा
राजधानी दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में बीते दिनों हुई बारिश के बाद सर्दी ने दस्तक दे दी है. हालांकि अभी दिन की गर्मी अपेक्षाकृत उतनी कम नहीं हुई है, लेकिन रात के तापमान में गिरावट देखी जा सकती है. इससे न केवल सर्दी जल्दी आ सकती है, बल्कि रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दी 120 दिनों से भी ज्यादा दिन तक रहने की संभावना है.
मौसम विभाग के अनुसार दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का यह आखिरी है, जिसके बाद यह विदाई लेने वाला है. देश के अधिकांश राज्यों से मानसून अगले सप्ताह तक विदाई ले लेगा. हालांकि अभी अरब सागर में कर्नाटक-कोंकण तट पर चक्रवातीय क्षेत्र बनने की संभावना प्रबल है. जिसका असर कई राज्यों में होने वाली बारिश के रूप में देखने को मिलेगा.
राजधानी दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में बीते दिनों हुई बारिश के बाद सर्दी ने दस्तक दे दी है. हालांकि अभी दिन की गर्मी अपेक्षाकृत उतनी कम नहीं हुई है, लेकिन रात के तापमान में गिरावट देखी जा सकती है. सुबह और शाम में आप लोगों को गर्म कपड़े पहने देख सकते हैं. इस बीच भारतीय मौसम विभाग ने कई राज्यों के लिए वेदर बुलेटिन जारी किया है. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि वेस्ट हिमालय में बारिश के साथ बर्फबारी की संभावना बन रही है, जिसका सीधा असर उत्तर भारत के मौसम पर पड़ने वाला है. पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी की वजह से मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ेगी.
राजस्थान समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस साल सर्दी समय से पहले दस्तक दे सकती है. देरी से होती मानसून की विदाई और उत्तरी भारत में समय से पहले बर्फबारी इस बात के संकेत दे रही है. हिमाचल प्रदेश के टॉप हाइट वाले एरिया लाहौल स्पीति, किन्नौर में पिछले दिनों बर्फबारी हुई है, जिससे वहां का तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है. मौसम विशेषज्ञों की मानें तो इस बर्फबारी का असर उत्तर भारत और राजस्थान में भी दिखेगा।
इससे न केवल सर्दी जल्दी आ सकती है, बल्कि रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दी 120 दिनों से भी ज्यादा दिन तक रहने की संभावना है. आपको बता दें देश में सर्दी आने के पीछे सबसे बड़ा कारण वेर्स्टन डिर्स्टबेंस ही होता है. इसी सिस्टम से उत्तर भारत के जम्मू, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश का मौसम बदलता है और वहां बारिश और बर्फबारी होती है. यही उत्तरी हवाएं जब दक्षिण-पश्चिम की तरफ आती हैं तो मैदानी इलाकों (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड) में सर्दी पड़नी शुरू होती है.
सूर्य की सीधी किरणें जो जुलाई-अगस्त-सितंबर में मध्य भारत पर पड़ती हैं, वह अक्टूबर से धीरे-धीरे साउथ दिशा में बढ़ने लगती हैं, जिसके कारण सूर्य की तपन कम होने लगती है और धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती है.