लखीमपुर हिंसा केस में अब पुत्र के बाद पिता के भविष्य पर लगी अटकले
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भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से सीएम योगी आदित्यनाथ तक सभी भाजपा नेता ‘कानून अपना काम कर रहा है’ और ‘भाजपा पुलिस पर कोई दबाव नहीं डाल रही’ जैसे बयान दे रहे थे।
पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के बयान से पार्टी के रुख में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा है, हम कार से लोगों को कुचलने के लिए तो राजनीति में नहीं आए हैं।
लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र की गाड़ी से किसानों को कुचले जाने का मामला आपराधिक से कहीं अधिक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। सोमवार को महाराष्ट्र में सरकार प्रायोजित बंद और विपक्ष के देशभर में प्रदर्शन का यही सार है। समझौता हो जाने के बावजूद किसान भी अब मिश्र के इस्तीफे पर अड़ गए हैं। ऐसे में जनता में बन रही धारणा के मद्देनजर पार्टी मिश्र पर जल्द कोई फैसला ले सकती है।
कार से कुचलकर किसानों की हत्या मामले में आशीष मिश्र 'मोनू' को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। सुरक्षा कारणों से सोमवार को उसे सीजेएम चिंताराम के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। सीजेएम ने कुछ शर्तों के साथ आशीष को 15 अक्तूबर सुबह दस बजे तक पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला किया।
हालांकि, पुलिस अधिकारियों का पहले मानना था कि यदि मंत्री-पुत्र आशीष वह एसयूवी नहीं चला रहा था, जिससे किसान कुचले गए, तो उसके खिलाफ कोई संगीन आपराधिक मामला नहीं बनेगा। लेकिन मौका-ए-वारदात पर उसकी मौजूदगी के सुबूतों से स्थिति बदल रही है। हालांकि, पूर्व डीजीपी डॉ एनसी अस्थाना का कहना है, यदि आशीष उस गाड़ी में मौजूद भी था, तो भी हत्या या गैरइरादतन हत्या का मामला नहीं बनता।
माना जा रहा है कि चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और अदालत के कड़े रुख के चलते जनता में बनने वाली धारणा के मद्देनजर पार्टी कोई सख्त फैसला ले सकती है। यदि अजय मिश्र इस्तीफा देते भी हैं तो उनके स्थान पर किसी अन्य ब्राह्मण नेता को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह दी जा सकती है।