सुप्रीम कोर्ट ने कहा जल्लीकट्टू अवैध नहीं !
सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक संरचना खंडपीठ ने जल्लीकट्टू को अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि जल्लीकट्टू तमिल संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग है। जब विधायिका ने जल्लीकट्टू को राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा घोषित किया, तो न्यायपालिका अलग विचार नहीं रख सकी (सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जल्लीकट्टू अवैध नहीं है)।
आज का फैसला एक याचिका पर है जिसे पिछले दिसंबर में जज करने के लिए बदल दिया गया था। फैसले की घोषणा तब की गई जब पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति केएम जोसेफ सेवानिवृत्त होने वाले थे। 2014 में, न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पशु क्रूरता अधिनियम के बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। जल्लीकट्टू को 2017 के संशोधन अधिनियम के तहत वैध किया गया था। इसके खिलाफ पशु प्रेमियों के संगठन "पेट्टा" ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।