सुप्रीम कोर्ट आज करेगा CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट आज नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 232 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए शीर्ष अदालत ने देश के उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट आज करेगा CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट आज नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 232 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इससे पहले, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा. इस मुद्दे पर मुख्य याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने दायर की थी. शीर्ष अदालत ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना सीएए के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगी.

सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए शीर्ष अदालत ने देश के उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी थी. याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि CAA कानून का एक छोटा सा टुकड़ा है, जो भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने के लिए बने नियम को प्रभावित नहीं करता है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह अधिनियम किसी भी तरह से असम में अवैध प्रवास को प्रोत्साहित नहीं करता है. इसको लेकर गलत आशंकाएं फैलाई जा रही हैं.

इसके विरोध की मुख्य वजह यह है कि इस संशोधन अधिनियम में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया. विरोध करने वालों का कहना है कि इसमें संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है. 

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA को आसान भाषा में समझा जाए तो इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय- हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है. इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था. नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया है और नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है. यह कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे. इस कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने लिए प्रवासियों को आवेदन करना होगा।