सुप्रीम कोर्ट को मिलेंगे आज 5 नए न्यायाधीश, अब SC में जजों की संख्या हो जाएगी 32
पांच नए जजों जस्टिस पंकज मित्थल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस मनोज मिश्र को सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाएंगे। इसी के साथ शीर्ष अदालत में जजों की संख्या 32 हो जाएगी।
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए पांच जजों के नामों की मंजूरी दे दी है। मंजूरी के बाद राष्ट्रपति भवन से इनकी नियुक्ति का परवाना भी जारी हो गया है और अब सोमवार को शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पांच नए जजों जस्टिस पंकज मित्थल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस मनोज मिश्र को सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाएंगे।
इसी के साथ शीर्ष अदालत में जजों की संख्या 32 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के छह सदस्यीय कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को इन सभी पांचों जजों के नामों की सिफारिश की थी। कॉलेजियम ने दो और जजों के नाम की सिफारिश की है। उनकी नियुक्त के बाद सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीश हो जाएंगे जो उसकी पूरी क्षमता है।
जस्टिस पंकज मित्थल :
इलाहाबाद हाईकोर्ट से शुरू की थी वकालत-
17 जून, 1961 को जन्मे मेरठ के रहने वाले जस्टिस पंकज मित्थल वरिष्ठता में पहले नंबर पर हैं। 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक करने के बाद 1985 में मेरठ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की। उसी साल उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकरण कराने के बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत भी शुरू कर दी थी।
जस्टिस करोल :
हिमाचल प्रदेश मूल हाईकोर्ट, पटना में थे मुख्य न्यायाधीश-
वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर जस्टिस संजय करोल हैं, जिनका मूल हाईकोर्ट हिमाचल प्रदेश है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किए जाने के समय वह पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। 23 अगस्त, 1961 को हिमाचल प्रदेश में जन्मे जस्टिस करोल ने शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल और राजकीय डिग्री कॉलेज, शिमला से शिक्षा हासिल की।
जस्टिस संजय कुमार :
1988 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में शुरू की थी वकालत-
जस्टिस पीवी संजय कुमार मूलरूप से तेलंगाना हाईकोर्ट से संबंध रखते हैं। 14 अगस्त, 1963 को जन्मे जस्टिस कुमार ने निजाम कॉलेज, हैदराबाद से स्नातक करने के बाद 1988 में दिल्ली विवि से लॉ की डिग्री हासिल की थी। जल्दी ही उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी। 2008 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था।
जस्टिस ए अमानुल्ला :
1991 में पटना हाईकोर्ट में शुरू की थी वकालत-
11 मई, 1963 को जन्मे जस्टिस ए अमानुल्ला पटना हाईकोर्ट से संबंध रखते हैं। उन्होंने 1991 में बिहार राज्य बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद पटना हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। 20 जून, 2011 को पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनाए जाने तक वह उसी हाईकोर्ट में सरकारी वकील थे। 10 अक्तूबर, 2021 को उनका तबादला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कर दिया गया था।
जस्टिस मनोज मिश्र :
2011 में बने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज-
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किए गए पांच जजों में से वरिष्ठता क्रम में पांचवें स्थान पर जस्टिस मनोज मिश्र हैं। 2 जून, 1965 को पैदा हुए जस्टिस मिश्र ने 1988 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से वकालत शुरू की थी। 21 नवंबर, 2011 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज बनाया गया था। 6 अगस्त, 2013 को वह स्थायी जज बने थे।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विचार का समर्थन किया कि राजनीतिक दलों से जुड़े वकील जज बन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से भाजपा से जुड़ी वकील विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश के बाद इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई है।
रिजिजू ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील और पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल के एक पोस्ट को रीट्वीट किया। कौशल ने अपने ट्वीट में लिखा था, पहले भी संसद के मौजूदा सदस्यों को हाईकोर्ट का जज बनाया जा चुका है। जस्टिस केएस हेगड़े और जस्टिस बहारुल इस्लाम जब हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए तो वे कांग्रेस के सांसद थे। जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर जब जज बने तब वह केरल में कैबिनेट मंत्री थे। एक बार पद की शपथ लेेने के बाद आप उसी के साथ बंध जाते हैं।