सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सीबीएसई CISE की परीक्षाएं ऑफलाइन कराई जाएँगी नहीं होगी ऑनलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 18 नवंबर को छात्रों के द्वारा एडवोकेट सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 10वीं और 12वीं CBSE और CISE Term 1 की परीक्षा को हाइब्रिड तरीके से आयोजित करने के लिए तत्काल निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सीबीएसई CISE की परीक्षाएं ऑफलाइन कराई जाएँगी नहीं होगी ऑनलाइन,

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सीबीएसई CISE की परीक्षाएं ऑफलाइन कराई जाएँगी नहीं होगी ऑनलाइन

सीबीएसई और आईसीएसई के 10वीं और 12वीं के छात्रों की मांग थी कि बोर्ड परीक्षाओं को हाइब्रिड यानी ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में कराया जाए। छात्र कई दिनों से यह मांग कर रहे हैं कि परीक्षाएं ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन मोड में भी कराई जाए। हालांकि अब परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दिया है, ऐसे में छात्रों के पास एग्जाम में बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 18 नवंबर को छात्रों के द्वारा एडवोकेट सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 10वीं और 12वीं CBSE और CISE Term 1 की परीक्षा को हाइब्रिड तरीके से आयोजित करने के लिए तत्काल निर्देश देने की मांग की गई थी। 
जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि CBSE Board Term Exam 16 नवंबर से शुरू हो चुकी है और इस समय हस्तक्षेप प्रक्रिया को बाधित करेगा। पीठ ने अपने आदेश में यह भी नोट किया कि CISE की Term परीक्षाएं अगले सोमवार, 22 नवंबर से शुरू हो रही हैं।

बेंच ने आदेश में कहा, 

''चूंकि परीक्षा 16 नवंबर को शुरू हुई है, अब हस्तक्षेप करना और पूरी प्रक्रिया को बाधित करना अनुचित होगा। इस विलंबित चरण में, रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। हम आशा और विश्वास करते हैं कि अथॉरिटीज द्वारा सभी सावधानियां बरती जाएंगी और COVID SOP का पालन किया जाएगा।"

पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के प्रस्तुतीकरण पर ध्यान दिया, जो CBSE के लिए पेश हुए, कि COVID के संबंध में याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था अपनाई गई है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 


"अधिक सोशल डिस्टेंसिंग और कम यात्रा समय सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा केंद्रों को पिछले वर्ष के 6500 से बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया है। अब एक केंद्र में केवल 12 छात्र बैठेंगे, जबकि पहले 40 छात्र बैठते थे। साथ ही परीक्षा का समय 3 घंटे से घटाकर 90 मिनट कर दिया गया है।"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 
"लगभग 34 लाख छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और परीक्षा के तरीके को बदलना अब कठिन होगा।"

आपकी जानकारी के लिए उल्लेख है  कि एडवोकेट सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर याचिका में संशोधित परीक्षा कार्यक्रम को चुनौती दी गई थी, जिसमें 16 नवंबर और 22 नवंबर से हाइब्रिड मोड अपनाने के बजाय केवल ऑफलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।