Sun Eclipse- जान लीजिये क्यों आज सूर्य ग्रहण के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने पर लगेगा महापाप
सूर्य ग्रहण के दिन सूतक काल से पहले खाने में तुलसी की पत्तियां डाली जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज तुलसी की पत्तियां तोड़ना वर्जित है. अगर कोई ऐसा करता है तो उसको महापाप लगेगा. आइए जानते हैं कि इसके पीछे का क्या कारण है.
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इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज 25 अक्टूबर यानि मंगलवार को लग रहा है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण के कारण ये पूजा 25 अक्टूबर की जगह 26 अक्टूबर को होगी. वहीं, भाई दूज इस बार 27 अक्टूबर को होगा.
सनातन हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है. तुलसी को हिंदू धर्म में मां माना जाता है. हर शुभ काम में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है. जब भी भगवान का भोग लगाया जाता है तो उसमें तुलसी दल डाला जाता है. आज मंगलवार को सूर्य ग्रहण है और सूर्य ग्रहण के दिन सूतक काल से पहले खाने में तुलसी की पत्तियां डाली जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज तुलसी की पत्तियां तोड़ना वर्जित है. अगर कोई ऐसा करता है तो उसको महापाप लगेगा. आइए जानते हैं कि इसके पीछे का क्या कारण है.
पहले जान लीजिये कि खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालने के पीछे वैज्ञानिक कारण है. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में उपस्थित किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. अगर इस दौरान आप खाना खुला छोड़ देते हैं या खाते हैं तो नकारात्मक प्रभाव आप तक पहुंच जाएगा. जान लें कि तुलसी की पत्तियों में पारा होता है. पारा पर किसी भी तरह की किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है. मान्यता है कि ग्रहण के दौरान आकाश से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को तुलसी निष्क्रिय कर देती है और खाने की चीज नकारात्मक प्रभाव से बच जाती है.
भारत में सूर्य ग्रहण का समय आज शाम 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा और इसके लिए सूतक काल लग चुका है. सूतक काल आज सुबह 4 बजकर 22 मिनट से शुरू हो चुका है. सूतक काल से पहले खाने में तुलसी की पत्तियां डाली जाती हैं, इसलिए आप अब तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़ सकते हैं. वहीं, 24 अक्टूबर को अमावस्या थी. इस दिन तुलसी की पत्तियां तोड़ने पर ब्रह्महत्या का पाप लगता है. वहीं, 23 अक्टूबर को रविवार था. रविवार को तुलसी का स्पर्श करना वर्जित है. मान्यता है कि रविवार को तुलसी की पत्तियां तोड़ने से महापाप लगता है.
इन नियमों का करें पालन-
गर्भवती महिलाएं सूतक में कुछ भी काटने का काम न करें और अपने गर्भ पर गाय के गोबर का टिका लगा लें. इस दिन इन्हें गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए ध्यान रखना चाहिए. अगर खुद के बराबर का कुश मिल जाए तो उसे अपनी लंबाई से नाप कर एक कोने में खड़ा कर दें. ग्रहण के बाद कुश को किसी पेड़ के नीचे रख दें. इससे गर्भ की रक्षा होगी.
सूतक काल में भोजन नहीं बनाया जाता और न ही खाया जाता है. इसे दूषित काल माना जाता है. हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं.
जो भोजन पहले से बना रखा है, उनमें सूतक काल शुरू होने से पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर डाल दें. दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्ता डालें. तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का का असर खाने की चीजों पर नहीं होता.
सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से खुद का खयाल रखें. सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें. अपने पेट के हिस्से पर गेरू लगाएं.
सूतक काल से ग्रहण काल समाप्त होने तक गर्भवती स्त्रियां चाकू, कैंची आदि किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल न करें. न ही सिलाई-कढ़ाई करें.
ग्रहण को खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो एक्सरे की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें. मानसिक जाप कर सकते हैं. मानसिक जाप काफी फलदायी माना जाता है.
सूतक के दौरान प्रभु का नाम लें और भजन करें. सूतक लगने से पहले और सूतक खत्म होने के बाद स्नान जरूर करें.
सूतक खत्म होने के बाद स्नान कर अन्न और वस्त्र का दान उत्तम माना गया है.
ध्यान रहें की सूतक के दौरान मंदिर में भगवान को पर्दा डालकर रखें और उन्हें स्पर्श न करें.