न उस वक्त राम थे, न शिव थे सिर्फ अल्लाह थे- अरशद मदनी के बयान पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मंच पर बवाल

मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के लिए आपत्तिनजक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा अल्लाह ने इसी धरती पर मनु यानी आदम को उतारा है, जिसकी पत्नी हव्वा है जिनको तुम हेमवती कहते हो. ये हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके पूर्वज हैं. मदनी के बयान पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने स्टेज पर खड़े होकर विरोध जताया. बयान से नाराज कई लोगों ने तुरंत ही मंच छोड़ दिया. 

न उस वक्त राम थे, न शिव थे सिर्फ अल्लाह थे- अरशद मदनी के बयान पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मंच पर बवाल

दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मंच पर बवाल हो गया. मौलाना अरशद मदनी ने मोहन भागवत की आलोचना करते हुए कहा कि अल्लाह और ओम एक हैं. इस पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने आपत्ति जताई, जिसके बाद जैन और कई दूसरे धर्मगुरुओं ने मंच छोड़ दिया. इस बार उन्होंने मोहन भागवत को लेकर जहर उगला है. मौलाना ने कहा कि हमारे मजहब में दखल क्यों दिया जाता है. हमारा सबसे पहला नबी मनु यानी आदम है. मदनी ने कहा कि तुम्हारा पूर्वज हिन्दू नहीं था. तुम्हारा पूर्वज मनु था यानी आदम था. मदनी के इस बयान के बाद मंच पर बवाल भी हो गया. 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान गलत था. अल्लाह और ओम एक हैं. मदनी ने कहा कि हम सबसे पहले इसी देश में पैदा हुए और इसलिए घर वापसी और सारे मुसलमान भी हिंदू हैं, यह बयान जाहिल जैसा है. मदनी के बयान पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने स्टेज पर खड़े होकर विरोध जताया और कहा कि जोड़ने वाले कार्यक्रम में आपत्तिजनक बातें क्यों?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के लिए आपत्तिनजक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा अल्लाह ने इसी धरती पर मनु यानी आदम को उतारा है, जिसकी पत्नी हव्वा है जिनको तुम हेमवती कहते हो. ये हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके पूर्वज हैं. मदनी के बयान पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने स्टेज पर खड़े होकर विरोध जताया. बयान से नाराज कई लोगों ने तुरंत ही मंच छोड़ दिया. 

अधिवेशन में महमूद मदनी ने कहा था कि मुसलमानों को पैगंबर का अपमान मंजूर नहीं है. पैगंबर के खिलाफ बयानबाजी भी सही नहीं है. शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है. किसी भी धर्म की पुस्तकें दूसरों पर थोपी नहीं जानी चाहिए. यह मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है, भारतीय संविधान के लोकाचार के खिलाफ है.
जमीयत की मंच से स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि नफरत से किसी का भला नहीं हुआ, लेकिन मोहब्बत से पूरी जिंदगी गुजारी जा सकती है. मजहब के नाम पर बंटवारा हुआ तो एक देश दो हो गए. वहीं जमीयत ने कहा कि कुछ समय से न्यायालयों के कुछ फैसलों के बाद यह धारणा बन रही है कि अदालतें सरकारों के दबाव में काम कर रही हैं.