आधार को वोटर ID से जोड़ने का यह होंगे फायदे-जानिए महत्वपूर्ण बाते

आधार को वोटर ID से जोड़ने का यह होंगे फायदे-जानिए महत्वपूर्ण बाते - चुनाव आयोग के अनुसार, आधार से वोटर कार्ड लिंक हो जाने के कारण वोटिंग में फर्जीवाड़ा रुक सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की दिशा में भी यह अहम कदम होगा। अगर यह लागू होता है तो प्रवासी वोटर जहां से उनका वोटर कार्ड होगा वहां वोट डाल पाएंगे।

आधार को वोटर ID से जोड़ने का यह होंगे फायदे-जानिए महत्वपूर्ण बाते

भारत की नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने इस प्रस्तावित आधार से वोटर आईडी लिंक का बिल में वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की मंजूरी दी है। चुनाव आयोग काफी लंबे समय से इस सुधार की मांग कर रहा था। इस विधेयक के तहत जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव किया जाएगा। हालांकि आधार से वोटर कार्ड लिंक करना ऐच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं।  कैबिनेट ने जब इस बिल को मंजूरी दी थी, तब कहा गया था कि आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने से फर्जी वोटर ID कार्ड से होने वाली गड़बड़ी रोकी जा सकेगी। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया था।

चुनाव आयोग के अनुसार, आधार से वोटर कार्ड लिंक हो जाने के कारण वोटिंग में फर्जीवाड़ा रुक सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की दिशा में भी यह अहम कदम होगा। अगर यह लागू होता है तो प्रवासी वोटर जहां से उनका वोटर कार्ड होगा वहां वोट डाल पाएंगे। देश में चुनाव सुधार का अहम बिल मंगलवार को राज्यसभा में पास हो गया है। इस बिल को विपक्ष के हंगामे के बीच पारित किया गया। इससे पहले लोकसभा ने इसे सोमवार को ही मंजूरी दे दी थी। दोनों सदनों की मंजूरी के बाद इलेक्शन रिफॉर्म के बिल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 

जानिए इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते -

प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी, वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।

कई बार देखा जाता है कि किसी व्यक्ति का उसके शहर की वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से दूसरे शहर में रह रहा है। इसके चलते वह दूसरे शहर की वोटर लिस्ट में भी नाम जुड़वा लेता है। ऐसे में दोनों जगहों पर उसका नाम वोटर लिस्ट में रहता है। आधार से लिंक होते ही एक वोटर का नाम केवल एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा। यानी, एक शख्स केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।

भारत निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड कराने के लिए कई ‘कटऑफ डेट्स’ की वकालत करता रहा है। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि 1 जनवरी की कटऑफ डेट के चलते वोटर लिस्‍ट की कवायद से कई लोग रह जाते थे। केवल एक कटऑफ डेट होने के कारण 2 जनवरी को 18 साल की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते थे। इस कारण उन्हें 1 साल इंतजार करना पड़ता था।

प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी, वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।

आधार और वोटर कार्ड जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के लिए कदम उठाएगी।

फिलहाल, आधार को वोटर कार्ड से जोड़ना अनिवार्य नहीं वैकल्पिक होगा। यानी, अगर आप अपने वोटर कार्ड को आधार से नहीं जुड़वाना चाहते तो इसके लिए आपको बाध्य नहीं किया जाएगा।