उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग का यह सिपाही गरीब बच्चों को मुफ्त में देता है शिक्षा, DIG से मिल चुका सम्मान
सहारनपुर के गांव कुरलकी खुर्द के रहने वाले सिपाही विकास कुमार पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं. 2014 से विकास कुमार ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे. इसी के चलते मुरादाबाद डीआईजी शलभ माथुर ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग पूरी जिम्मेदारी से जनता की सेवा और सुरक्षा में जुटी रहती है. लेकिन यूपी पुलिस का एक ऐसा जवान भी है, जो पिछले कई साल से घंटों ड्यूटी करने के बाद गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देता है. विरले ही होते हैं जो अपने सीमित समय और संसाधनों का इस्तेमाल समाज को बेहतर बनाने के लिए करते हैं, मगर ऐसे कुछ एक लोग भी बाकियों के लिए मिसाल बन जाते हैं. बिजनौर पुलिस में तैनात सिपाही अपनी ड्यूटी के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ा कर शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं. उनके इस काम से जहां उनके विभाग के अधिकारी भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और इसी के चलते मुरादाबाद डीआईजी शलभ माथुर ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है. जी हां हम बात कर रहे हैं यूपी पुलिस के सिपाही विकास कुमार की.
विकास कुमार सहारनपुर जिले के रहने वाले है. वह 2016 में यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्त हुए. पुलिस की ट्रेनिंग के बाद विकास कुमार की पोस्टिंग बिजनौर जिले में हुई. मौजूदा समय में विकास बिजनौर के थाना मंडावली के डायल-112 में तैनात हैं. साल 2017 से विकास ने स्कूली बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का सिलसिला शुरू किया. धीरे-धीरे यूपी के सहारनपुर में 25-30, बुलंदशहर और बिजनौर में पांच-पांच पाठशालाएं शुरू कीं.
सहारनपुर के गांव कुरलकी खुर्द के रहने वाले सिपाही विकास कुमार पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं. 2014 से विकास कुमार ने अपने गांव में ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जो गरीबी के चलते स्कूलों में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे और वह किताबों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे. उन्होंने यह मुहिम चलाकर पहले ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ा जो पढ़ना चाहते थे पर स्कूल नहीं जा पा रहे थे. धीरे-धीरे इन बच्चों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्होंने फिर ऐसे लोगों को तलाश किया जो उनके ही जैसे हो, यानी बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते हों. ऐसे लोगों को साथ लेकर वह और आगे बढ़े और 2016 में विकास कुमार पुलिस विभाग में भर्ती हो गए. हालांकि, उनका गरीब बच्चों को शिक्षा देने का जज्बा कम नहीं हुआ और उन्होंने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से अंजाम देते हुए बाकी बचे समय में बच्चों को शिक्षा देने का कार्य लगातार जारी रखा.
उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड के रुड़की में भी पांच पाठशालाएं खोलीं औऱ बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. हर पाठशाला में करीब 150 बच्चे हैं, जिन्हें सात-आठ टीचर हर पढ़ाते हैं. इन पाठशालाओं में बच्चों को सभी सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं. विकास कुमार की पाठशाला के जरिए अब तक 15 -20 स्टूडेंट्स पुलिस और रेलवे विभाग में शिक्षक बन चुके हैं. विकास कुमार की पाठशाला में ग्यारवीं क्लास की अमृता पिछले डेढ़ साल से यहां पढ़ रही हैं. दसवीं में उसने पाठशाला से ही पढ़कर 88 फीसदी अंक हासिल किए. अपने गुरु विकास कुमार का धन्यवाद करते हुए उसने कहा कि पुलिसिया वर्दी में पढ़ाते हैं, तो बहुत अच्छा लगता है. वह हर सब्जेक्ट को अच्छे से पढ़ाते है. छात्रा ने बताया कि जब गांव में पुलिस आती थी, तो बहुत डर लगता था. लेकिन गुरु जी के पढ़ाने के बाद पुलिस की वर्दी का डर भी खत्म हो गया है.
सोमवार को भी बिजनौर के किशनपुर में कॉन्स्टेबल विकास कुमार बच्चों को ब्लैक बोर्ड में पढ़ाते नजर आए. बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा विकास कुमार ने इसलिए उठाया क्योंकि उनके गांव में कोचिंग सेंटर की सुविधा नहीं थी. पाठ्य सामग्री भी नहीं थी. अपने दौर में आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने का मन बना लिया. वह खुद बच्चों को हर सब्जेक्ट पढ़ाते हैं.
सिपाही विकास कुमार का कहना है कि मेरा मकसद अधिक से अधिक गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना है ताकि कोई भी गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे. उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना जीवन बेकार है जिसके जीवन में शिक्षा नहीं होती उसका जीवन अंधकारमय होता है और इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपनी पूरी टीम के साथ अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ने के अभियान में जुटे हुए हैं. फिलहाल बिजनौर में 5 गांव में हमारी पाठशाला चल रही है जबकि इसके अलावा पीलीभीत, सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ सहित उत्तराखंड के कई गांव में उनके साथ ग्रुप में जुड़े उनके साथी ऐसी पाठशाला चलाकर बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं.