UP Nagar Nikay Chunav- हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला- नगर निकाय चुनाव के ऐलान पर 20 दिसंबर तक रोक
नगर निकाय चुनाव के ऐलान पर 20 दिसंबर तक रोक लगाने का हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला. इससे पहले हाईकोर्ट ने शुरुआती सुनवाई के दौरान 14 दिसंबर तक की रोक लगाई थी. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर दो दिन से सुनवाई चल रही थी. इसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा.
उत्तर प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव के ऐलान पर 20 दिसंबर तक रोक लगाने का हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला. इससे पहले हाईकोर्ट ने शुरुआती सुनवाई के दौरान 14 दिसंबर तक की रोक लगाई थी. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर दो दिन से सुनवाई चल रही थी. इसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ता ने नगर निगम, नगरपालिका औऱ नगर पंचायतों के ओबीसी आरक्षण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी.
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2022 में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट के समक्ष तब हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त मांगा था. योगी सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का वक्त और मांगा है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर रोक लगाई थी.
जनहित याचिका के अनुसार, ओबीसी आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट से सुझाए गए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को नहीं माना गया था. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुरेश महाजन केस में स्पष्ट आदेश दिया था कि निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाना चाहिए.ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी तो एससी, एसटी सीटों के अतिरिक्त बाकी सारी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाने चाहिए.
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसंबर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, इसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया.
उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम में मेयर यानी महापौर पद के लिए दो सीटें SC के लिए आरक्षित हैं. इसमें से 1 सीट महिला के लिए है. नगर निगम की 4 सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए रखी गई हैं. इस ओबीसी में 2 सीटें महिला के लिए आरक्षित रखी गई हैं.
उत्तर प्रदेश में 200 नगर पालिका परिषद की सीटें हैं. इसमें अनुसूचित जाति के लिए 27 सीटें आरक्षित हैं. जबकि पिछड़ा वर्ग के लिए 54 आरक्षित हैं, इसमें 79 सीटें अनारक्षित हैं. महिला के लिए 40 सीटें आरक्षित की गई हैं. 17 नगर निगमों में से फिरोजाबाद, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बरेली, और शाहजहांपुर अनारक्षित रखी गई हैं. इन निकाय सीटों के आरक्षण को लेकर आपत्ति उठाई गई है.
नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए 545 सीटों की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के लिए 73 सीट, अनुसूचित जनजाति (महिला) के लिए 1 सीट, पिछड़ा वर्ग के लिए 147 आरक्षित हैं. अनारक्षित सीटें 217 हैं, जबकि महिला के लिए 107 सीटें आरक्षित रखी गई हैं.