हैलो की जगह बोला जाएगा वंदे मातरम, शिंदे सरकार के आदेश पर सियासी विवाद, सपा नेता बोले- मुसलमान वंदे मातरम नहीं बोल सकते
महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव (जीआर) में राज्य के सभी कर्मचारियों को 'हैलो' के बजाय 'वंदे मातरम' बोलने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद इस पर सियासी घमासान शुरू हो गया। सरकारी कर्मियों के फोन पर हेलो की जगह वंदे मातरम बोलने के आदेश का सपा नेता अबू आसिम आजमी ने विरोध किया है। सरकार के इस आदेश को गलत ठहराया है।
महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव (जीआर) में राज्य के सभी कर्मचारियों को 'हैलो' के बजाय 'वंदे मातरम' बोलने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद इस पर सियासी घमासान शुरू हो गया। आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153 वीं जयंती के अवसर पर ये आदेश जारी किया गया है. हालांकि अगस्त में ही इसकी तैयारी की गई थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई में सामान्य प्रशासन विभाग ने अध्यादेश (जीआर) जारी किया। यह सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्थानीय नागरिक निकायों, सहायता पाने वाले स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों के कर्मचारियों पर लागू होता है। इसके तहत फोन कॉल का जवाब देने, कर्मचारियों को संबोधित करने, नागरिकों से बात करने या सार्वजनिक घोषणा करने के लिए कर्मचारियों को 'हैलो' के बजाय 'वंदे मातरम' कहना होगा।
सरकारी कर्मियों के फोन पर हेलो की जगह वंदे मातरम बोलने के आदेश का सपा नेता अबू आसिम आजमी ने विरोध किया है। सरकार के इस आदेश को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जानबूझकर ऐसा आदेश निकाला है, ताकि हिंदू-मुस्लिम के बीच में दरार आए। अबू आसिम ने कहा कि हम देश से प्रेम करते हैं, लेकिन केवल अल्लाह के सामने सिर झुकाते हैं। हम कभी भी वंदे मातरम नहीं बोलेंगे।
समाजवादी पार्टी नेता अबू आसिम आज़मी ने कहा कि मैं सीएम से पूछना चाहता हूं कि आप हमेशा बाला साहेब की तरह ‘जै महाराष्ट्र’ बोला करते थे तो फिर बीजेपी और आरएसएस के दवाब में आकर इसे छोड़ने के लिए क्यों कह रहे हैं। ‘जै महाराष्ट्र’ बोलना देशद्रोह है क्या? उन्होंने आगे कहा कि हम सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा बोलते हैं, जै हिंद बोलते हैं… क्या इससे कहीं भी देश के खिलाफ नफरत नजर आती है। अगर कोई सच्चा मुलमान है तो वह खुदा के अलावा किसी के आगे सिर नहीं झुकाएगा और इसमें देशद्रोह नहीं है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि वह 'वंदे मातरम' अभिवादन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसानों के विकास को ध्यान में रखते हुए, कांग्रेस 'जय किसान' या 'राम राम' को प्राथमिकता देगी। शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता किशोर तिवारी ने कहा, वंदे मातरम कहना एक स्वागत योग्य है। लेकिन किसानों का सम्मान करने के लिए 'जय किसान' कहने और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार 'जय सेवा' कहने का अभियान होना चाहिए।
बता दें इस अभियान को वर्धा में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शुरू किया था। मुनगंटीवार ने कहा था, यह गांधी जयंती के मौके पर शुरू किया गया एक अभियान है। वंदे मातरम को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था. यह भारत का राष्ट्रीय गीत है। फडणवीस ने कहा, वंदे मातरम के नारे ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम भूमिका निभाई। शहीद भगत सिंह के अंतिम शब्द 'वंदे मातरम' थे। हमें इसे फिर से अपनी दिनचर्या में वापस लाना होगा। आज से, हम शुरू करते हैं 'वंदे मातरम' संचलन।