देश में बहुत जल्द बायोडीजल से चलेगी कारे सरकार कर रही है तैयारिया

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देश में बहुत जल्द बायोडीजल से चलेगी कारे सरकार कर रही है तैयारिया

सी एस आई आर आई आई पी के बायो फ्यूल विभाग में प्रमुख वरिष्‍ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज अत्रे ने बताया कि 
बायो डीजल भविष्‍य का ईंधन है. देश के वैज्ञानिक लगातार सस्‍ते और आसानी से उपलब्‍ध संसाधनों से तैयार होने वाले ऊर्जा के विकल्‍प तलाश रहे हैं. इस दौरान प्रदूषण स्‍तर नियंत्रण भी एक बड़ी चुनौती है. हालांकि अब बायोडीजल इन सभी मानकों पर खरा है. इसे सामान्‍य तापमान पर ही महज पांच मिनट की प्रोसेसिंग से बनाया जा सकता है. 

डॉ. नीरज अत्रे बताते हैं कि 
बायो डीजल मुख्‍य रूप से पेड़-पौधों के बीजों की प्रोसेसिंग से निकलता है. यह एडिबल या नॉन एडिबल (Non Edible) दोनों प्रकार के तेल से बनाया जाता है. यह पहली बार है कि बार-बार इस्‍तेमाल होने के बाद बचे और जले हुए खाद्य वानस्‍पतिक तेल से इसे बनाया गया है. बचा हुआ रिफाइंड वेजिटेबल ऑयल कहीं भी होटलों, ढाबों, रेस्‍टोरेंटों, घरों में मिल जाता है, जिसे प्रोसेस करके अब बायो डीजल बनाया गया है. 


आगे डॉ नीरज ने बताया यह अभी देश में इस्‍तेमाल हो रहे पेट्रोलियम की प्रोसेसिंग से निकले डीजल से काफी अलग, सस्‍ता, प्रदूषण रहित और बेहतर है.

केंद्र सरकार ने सन्न 2030 तक मार्किट में प्रयोग हो रहे डीजल में 5% बायो डीजल मिलाने की अनुमति दी है लेकिन अब देश के कुछ राज्‍यों में जहां बायो डीजल पर्याप्‍त मात्रा उपलब्ध है वहां 15 से 20 फीसदी तक बायो डीजल को मिलाने की इजाजत दे दी गयी है. 


वर्तमान में भारत में मौजूद तेल से चलने वाले उपकरण 20% की मिलावट को ही आसानी से झेल सकते है. इसके अलावा बायो डीजल का इस्‍तेमाल जेनरेटर, खेती में इस्‍तेमाल होने वाली मशीनों, ट्रैक्‍टर आदि उपकरणों में जहां अभी वर्तमान में डीजल का अत्यधिक इस्‍तेमाल होता है, उनमें किया जा सकता है.


सन्न 2004 में बनी बायो फ्यूल पॉलिसी के अनुसार अभी तक भारत में बायो डीजल बनाया जा रहा था लेकिन इसके लिए महुआ, करंजिया या जेट्रोफा के बीजों का इस्‍तेमाल होता था. ये नॉन एडिबल सीड हैं यानि की इनसे खाने के लिए उपयुक्त तेल नहीं बनाया जा सकता है और इनसे निकलने वाला तेल खाने में इस्‍तेमाल नहीं होता.

आई आई पी उपक्रम में ऐसा पहली बार है कि जले हुए या पहले से प्रयोग किये हुए तेल से बायो डीजल बनाया गया है. छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, पंजाब और मध्‍य प्रदेश में जेट्रोफा और महुआ का काफी अच्छा उत्‍पादन होता है ऐसे में इन राज्‍यों में नॉन एडिबल ऑयल से बायो डीजल बनाया जा रहा है.