तमांग में LAC पर भारत-चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ा
सेना के सूत्रों के अनुसार, इस भिड़ंत में भारतीय सेना के कम से कम 20 जवान घायल हुए हैं। वहीं चीनी सेना का भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक किसी मौत की सूचना नहीं है। घायलों का इलाज गुवाहाटी के सैनिक अस्पताल में हो रहा है। सैनिकों में कई के हाथ और पांव टूटने की खबर है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है, जिसके बाद भारतीय सेना की तरफ से जारी बयान में बताया जा रहा है कि 9 दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के सैनिक यांग्त्से एरिया की तरफ बढ़े थे, लेकिन इस इलाके में पेट्रोलिंग कर रही भारतीय टुकड़ी ने देख लिया और चीन की घुसपैठ को रोक दिया।
घटना 9 दिसंबर की है। सेना के सूत्रों के अनुसार, इस भिड़ंत में भारतीय सेना के कम से कम 20 जवान घायल हुए हैं। वहीं चीनी सेना का भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक किसी मौत की सूचना नहीं है। घायलों का इलाज गुवाहाटी के सैनिक अस्पताल में हो रहा है। सैनिकों में कई के हाथ और पांव टूटने की खबर है।
हालांकि सेना ने इस घटना की पुष्टि की है लेकिन किसी तरह का ब्योरा साझा नहीं कर रहे। सेना के मुताबिक इस एलओसी पर भी सीमा रेखा को लेकर विवाद है और गश्त के दौरान अक्सर तनातनी हो जाती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों का जमावड़ा 9 दिसंबर को देखा गया था। भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और दृढ़ता से उन्हें आगे बढ़ने से रोका। इसके बाद हुई झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आईं। झड़प के तत्काल बाद दोनों पक्ष अपने इलाकों में लौट गए।
घटना के बाद भारत के स्थानीय कमांडर ने चीनी पक्ष के कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की और पहले से तय व्यवस्था के तहत शांति और स्थिरता कायम करने पर चर्चा की। सेना के सूत्रों ने बताया कि तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड 2006 से चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। सामने आया है कि इस झड़प में 20 भारतीय जवान घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है। चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
विस्तारवाद की सनक में पागल चीन ने पहले भी घुसपैठ वाली घिनौनी हरकत करने की कोशिश की है। तवांग पहला मौका नहीं है, जब चीन और भारत की सेना के बीच घमासान हुआ हो। इससे पहले गलवान और पेंगोंग में भी दोनों तरफ की सेनाएं आमने सामने आ गई थीं। इससे पहले जून 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी, जिसमें कर्नल संतोष बाबू समेत भारत की सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन के 40 से ज्यादा सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद 29-30 अगस्त को पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से पर भी चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश हुई थी, जहां भारतीय सेना पहले से डटी थी। लिहाजा, चीन की हर चाल बेकार गई। हालांकि, दोनों ओर से बड़े स्तर पर वार्ता होती रही है और अब तक दोनों ओर से मामला शांत ही रहा था।