क्या वजह हो सकती है चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत ना आने की? क्यों जी-20 समिट में आने से ने काटी कन्नी

चीन की आदत है कि या तो वह काम में अड़ंगा लगाएगा या फिर रंग में भंग डाल देगा. जी-20 के आयोजन से कुछ ही वक्त दिन पहले उसने एक नक्शा जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को उसने अपने हिस्से में दिखाया था. इस कदम का भारत ने जोरदार विरोध किया था. भारत मौजूदा दौर में विश्व का ग्रोथ इंजन है और उसकी जीडीपी सबसे तेजी से दौड़ रही है. वहीं चीन आर्थिक संकटों से घिरा हुआ है. इसलिए वह भारत को अपने लिए खतरा मान रहा है. इसको वैश्विक सप्लाई चेन में हिस्सेदारी जाने का खौफ सता रहा है.

क्या वजह हो सकती है चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत ना आने की? क्यों जी-20 समिट में आने से  ने काटी कन्नी

कुछ ही दिनों बाद दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में दुनिया के एक से बढ़कर एक ताकतवर देशों के नेता जुटेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी जी20 सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत आ रहे हैं. लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेंगे. चीन के डेलिगेशन की अगुआई प्रधानमंत्री ली कियांग के पास होगी. चीन के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है. 

लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि आखिर शी ने जी20 सम्मेलन में आने से कन्नी क्यों काट दी. इसको जरा एक्सपर्ट्स के नजरिए से देखते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जी-20 समिट से चीन का कन्नी काटना असाधारण है. ऐसा नहीं है कि चीन इस हरकत से भारत को चोट पहुंचाना चाहता है. असल में जिस तरह से एशिया और पूरी दुनिया में भारत की धाक बढ़ रही है, उससे चीन के हाथ-पांव फूले हुए हैं. भारत के इसी बढ़ते रुतबे को चीन जिनपिंग गले से उतार नहीं पा रहे हैं. महाशक्ति के तौर पर भारत के उदय से भी चीन डरा हुआ है.

चीन की आदत है कि या तो वह काम में अड़ंगा लगाएगा या फिर रंग में भंग डाल देगा. जी-20 के आयोजन से कुछ ही वक्त दिन पहले उसने एक नक्शा जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को उसने अपने हिस्से में दिखाया था. इस कदम का भारत ने जोरदार विरोध किया था. 

इतना ही नहीं, चीन जी20 के डॉक्युमेंट्स में संस्कृत भाषा के उपयोग पर भी आपत्ति उठा चुका है. भारत ने इस जी20 समिट की थीम वसुधैव कुटुम्बकम रखी है. इसका भी चीन ने विरोध किया था. लेकिन इस पर चीन को रूस से भी समर्थन नहीं मिला.

भारत मौजूदा दौर में विश्व का ग्रोथ इंजन है और उसकी जीडीपी सबसे तेजी से दौड़ रही है. वहीं चीन आर्थिक संकटों से घिरा हुआ है. इसलिए वह भारत को अपने लिए खतरा मान रहा है. इसको वैश्विक सप्लाई चेन में हिस्सेदारी जाने का खौफ सता रहा है.

गौर करने वाली बात ये है कि साल 2012 में शी जिनपिंग ने चीन की कमान संभाली थी. इसके बाद से शी हर जी20 की बैठक का हिस्सा बने हैं. लेकिन जब भारत में जी20 समिट हो रहा है तो उन्होंने आने से इनकार कर दिया.  शी के समिट में नहीं आने पर जो बाइडेन तक ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, मुझे उनसे मुलाकात की उम्मीद थी, मैं निराश हूं लेकिन उनसे मिलूंगा.

जी20 की जो पिछली बैठकें हुई हैं, उनमें भी चीन की तरफ से सहयोग वाला व्यवहार दिखाई नहीं पड़ा. जो मुद्दे सभी की सहमति चाहते हैं, उनमें चीन के रवैये के कारण पूरे नहीं हो पाए. जी20 में चीन ने रुकावट पैदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. उसे वसुधैव कुटुम्बकम से भी दिक्कत है.  जबकि पीएम मोदी कह चुके हैं कि वह दुनिया के परिवार मानते हैं. 

वहीं हाल ही में भारत ने चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया. इसके बाद आदित्य एल1 मिशन लॉन्च किया. इस कारनामे ने उसे स्पेस के एक बड़े प्लेयर के तौर पर स्थापित किया है. भारत की जीडीपी मौजूदा दौर में 7.8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है. जबकि चीनी इकोनॉमी के पाए डगमगा रहे है. यही वजह है कि वह भारत को अपने लिए खतरा मान चुका है.