प्रधानमंत्री की सुरक्षा का क्या होता है प्रोटोकॉल, जानिए कैसे तय होता है प्रधानमंत्री का रूट प्लान ?

प्रधानमंत्री के काफिले को लेकर पहले से रूट और वैकल्पिक मार्ग भी तय रहते हैं. आज की इस घटना के बाद बठिंडा में उन्होंने एयरपोर्ट सिक्योरिटी से कहा, 'अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं जिंदा लौट पाया'. अचानक रैली का कार्यक्रम रद्द हो जाने के चलते प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रद्द हो जाने के चलते प्रधानमंत्री का काफिला वापस लौट रहा था. तभी हुसैनीवाला में दूसरी तरफ से प्रदर्शनकारी किसानों के अचानक आ जाने से प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाई ओवर पर करीब 20 मिनट तक रुका रहा. जिसे पीएम की सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा का क्या होता है प्रोटोकॉल, जानिए कैसे तय होता है प्रधानमंत्री का रूट प्लान ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर में रैली को संबोधित करने जा रहे थे. जहां अचानक रैली का कार्यक्रम रद्द हो जाने के चलते प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रद्द हो जाने के चलते प्रधानमंत्री  का काफिला वापस लौट रहा था. तभी हुसैनीवाला में दूसरी तरफ से प्रदर्शनकारी किसानों के अचानक आ जाने से प्रधानमंत्री  का काफिला एक फ्लाई ओवर पर करीब 20 मिनट तक रुका रहा. जिसे पीएम की सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा है. प्रधानमंत्री  के काफिले को लेकर पहले से रूट और वैकल्पिक मार्ग भी तय रहते हैं. आज की इस घटना के बाद बठिंडा में उन्होंने एयरपोर्ट सिक्योरिटी से कहा, 'अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं जिंदा लौट पाया'.

आज जानिए क्या होते है प्रधानमंत्री की सुरक्षा के प्रोटोकॉल 

भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा किसी भी देश के अन्य प्रमुखों की तरह कड़ी होती है. भारत के प्रधानमंत्री को 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की होती है. प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है. ये शूटर एक सेकेंड के अंदर आतंकियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं. इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है. SPG के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार होते हैं.  

प्रधानमंत्री बुलेटप्रुफ, रेंज रोवर, मर्सडीज और बीएमडब्ल्यू 760एलआई (BMW 7-Series 760Li) में सफर करते हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री के काफिले में मर्सडीज की लिमोजिन भी शामिल की गई है.Mercedes Maybach S650 Guard भी पीएम मोदी के काफिले का हिस्सा है. ये कार कई सुरक्षा खूबियों से लैस है. 

पीएम के काफिले में उनकी विशेष कार के समान ही दो डमी कारें भी चलती हैं. साथ ही जैमर काफिले का अहम हिस्सा होता है. जिसके ऊपर बहुत-से एंटीना लगे रहते हैं। जैमर के एंटीना सड़क के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी पर रखे विस्फोटकों को डिफ्यूज़ करने की क्षमता रखते हैं. काफिले में चल रही सभी गाड़ियों में एनएसजी के निशानेबाज कमांडो तैनात रहते हैं. प्रधानमंत्री के काफिले में उनकी सुरक्षा के लिए करीब 100 लोगों की सिक्यूरिटि टीम चलती है.

यह तो हुई गाड़ियों के काफिले की बात लेकिन इसके अलावा जब प्रधानमंत्री पैदल भी चलते हैं, तब भी वे वर्दी के साथ-साथ सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो से घिरे होते हैं.  

प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यक्रमों में एसपीजी के मुखिया खुद मौजूद रहते हैं. यदि किसी कारण से मुखिया अनुपस्थित रहता है, तो सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन उच्च पद के किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है. जब प्रधानमंत्री अपने आवास से किसी सभा में शामिल होने के लिए बाहर निकलते हैं तो पूरे मार्ग का एक तरफ का यातायात 10 मिनट के लिए बंद कर दिया जाता है. इस बीच, राज्य की पुलिस के दो वाहन सायरन बजाकर मार्ग पर गश्त करते हैं. गश्त यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जिस मार्ग से प्रधानमंत्री गुजरेंगे वह पूरी तरह से क्लियर हो.  

जब प्रधानमंत्री का काफिला दिल्ली के अलावा किसी अन्य राज्य में होते हैं. तो उनके सुरक्षा घेरे में बाहरी घेरे की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होती है. पीएम के दौरे से ठीक 3-4 दिन पहले एसपीजी पूरे रास्ते का अवलोकन कर रूट तय करती है. साथ ही दो वैकल्पिक रूट भी तय कर लिए जाते हैं और उन दोनों वैकल्पिक रास्तों पर भी मुख्य मार्ग की तरह सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं. अगर किसी भी स्थिति में पीएम का रूट बदलता है, तो एसपीजी इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस  के साथ साझा करती है. अंतिम समय तक ये तय नहीं होता कि पीएम किस रूट से निकलेंगे. ये सब सुरक्षा के लिहाज से किया जाता है.

क्या है VIP रूट का प्रोटोकॉल


VIP के लिए हमेशा कम से कम दो रूट तय किए जाते हैं
किसी को रूट की पहले से जानकारी नहीं होती है
अंतिम समय में SPG रूट तय करती है
किसी भी समय SPG रूट बदल सकती है
SPG और स्टेट पुलिस में कॉर्डिनेशन रहता है
स्टेट पुलिस से रूट क्लियरेंस मांगी जाती है
पूरा रूट पहले से क्लियर किया जाता है