सनातन धर्म में बताये गए वैदिक धर्मसूत्र क्या है आपको 8 सिद्धिया 9 निधिया 10 दिशाए 11 रुद्र 12 आदित्या 33 कोटिदेव कौन होते है के बारे में पता है इसको जरूर पढ़े और देखे

सत्य सनातन संस्कृति में हर चीज हमें कुछ न कुछ सिखाती अवश्य है भारत का इतिहास उतना ही पुराना है जितना इस पृथिवी की आयु अर्थात् जबसे इस पृथिवी पर प्राणियो का जीवन है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार पृथिवी का निर्माण होकर इस पर आज से १ अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हज़ार १२१ वर्ष पहले मनुष्यों की उत्पत्ति और उनका आविर्भाव हुआ था।

सनातन धर्म के कुछ प्रमुख सूत्रों के बारे में, जिसे हमारे ऋषि मुनियो ने समाज के कल्याण हेतु बनाया था, जो आज भी प्रासंगिक है, इसे आप भी देखिये और जानिए ,साथ ही अपनी अगली पीढ़ी को भी यह दिखाईये, जिससे वो भी हमारे सनातन धर्म, की वैज्ञानिकता समझ और जान सके,

चूंकि भगवान शिव को, समय का प्रतीक माना जाता है, इसलिए प्रथम प्रणाम भगवान शिव के चरणों में देखिये सनातन ज्ञान घड़ी क्या कहती है,जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस घडी में १ से १२ के स्थान पर क्रमशः ब्रह्म, अश्विनौ, त्रिगुणा, चतुर्वेदा, पञ्चप्राणा:, षड्रसाः, सप्तर्षयः, अष्टसिद्धयः, नवद्रव्याणि, दशदिशः, रुद्राः एवं आदित्याः लिखा है। ये सभी देवताओं अथवा गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं और जिस स्थान पर वे हैं उनकी संख्या भी उतनी ही है।

इनमें से १२ आदित्य, ११ रूद्र एवं २ अश्विनीकुमारों की गिनती हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध ३३ कोटि देवताओं में की जाती है। इनमें एक समूह ८ वसुओं का भी है जो इस चित्र में वर्णित नहीं है। सत्य सनातन संस्कृति में हर चीज हमें कुछ न कुछ सिखाती अवश्य है भारत का इतिहास उतना ही पुराना है जितना इस पृथिवी की आयु अर्थात् जबसे इस पृथिवी पर प्राणियो का जीवन है।

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वैदिक मान्यताओं के अनुसार पृथिवी का निर्माण होकर इस पर आज से १ अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हज़ार १२१ वर्ष पहले मनुष्यों की उत्पत्ति और उनका आविर्भाव हुआ था। सृष्टि की उत्पत्ति के पहले ही दिन ईश्वर ने बड़ी संख्या में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न स्त्री-पुरुषों में से चार सबसे अधिक पवित्रात्माओं अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा को एक-एक वेद का ज्ञान दिया था।

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यह वेद ज्ञान सभी सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं। ईश्वर चेतन तत्व व सर्वव्यापक होने के कारण सृष्टि के समस्त ज्ञान व विद्याओं का आदि स्रोत है। उसने अपनी उसी ज्ञान, विद्या व सामर्थ्य से जड़ व कारण प्रकृति से इस संसार को बनाया है और चला भी रहा है। हमारे वैज्ञानिक उसके उस ज्ञान व नियमों की सृष्टि की रचना का अध्ययन कर खोज करते हैं।

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इस ज्ञान का उपयोग कर ही नाना प्रकार के जीवन रक्षा व सुविधा के यन्त्र, उपकरण व मशीनों आदि का निर्माण संसार में हुआ है। हमारा आज का यह ज्ञान विज्ञान कोई बहुत पुराना नहीं है। आज यदि चार व पांच शताब्दी पीछे देखें तो यूरोप में ज्ञान विज्ञान के बुनियादी नियमों की खोज भी नहीं हुई थी।

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