क्या था उस पीले लिफाफे में, जिसे लेकर अखिलेश यादव पहुंचे थे पुलिस मुख्यालय

जब सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक पीला लिफाफा लेकर पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. दावा किया जा रहा है कि इसी पीले लिफाफे की वजह से ही दोनों पार्टियों के बीच का ट्विटर थम गया.

क्या था उस पीले लिफाफे में, जिसे लेकर अखिलेश यादव पहुंचे थे पुलिस मुख्यालय

पिछले दिनों बीजेपी-सपा के बीच में ट्विटर पर जमकर वाक युद्ध हुआ, जिससे प्रदेश का सियासी तामपान एक बार फिर गरमा गया. दोनों पार्टियों के बीच हो रहे ट्विटर वार के दौरान रविवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. 

ट्विटर पर मचे घमासान के थमने वजह काफी रोचक है. दरअसल, जब सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक पीला लिफाफा लेकर पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. दावा किया जा रहा है कि इसी पीले लिफाफे की वजह से ही दोनों पार्टियों के बीच का ट्विटर थम गया. आइए जानते हैं कि इस पीले लिफाफे में क्या था?

बताया जा रहा है कि इस पीले लिफाफे में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने ऊपर किए गए अभद्र ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर पहुंचे थे. इसके साथ ही अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव सहित परिवार के प्रति किए गए अभद्र ट्वीट की पूरी लिस्ट और स्क्रीनशॉट को सबूत के तौर पर पीले लिफाफे में लेकर डीजीपी ऑफिस पहुंचे थे. यह सबूत देकर अखिलेश ने कार्रवाई की मांग की थी.

जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव ने जब अपनी पत्नी और बच्चों के खिलाफ किए गए ट्वीट की शिकायत डीजीपी से की, तब आनन-फानन में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पत्रकारों को यह आश्वासन दिया कि जो भी लोग अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, चाहे वह किसी भी पार्टी को उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यानी अखिलेश के सबूत के बाद पुलिस को इस तरीके के बयान जारी करने पड़े.

समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह साजन के मुताबिक, 'अखिलेश यादव पीले लिफाफे में सारे सबूत लेकर डीजीपी के पास पहुंचे थे और कहा था कि जिस तरीके से डिंपल यादव के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए और हमारे कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन पुलिस अगर बीजेपी के कार्यकर्ता की तरह काम करेगी तो फिर न्याय कैसे मिलेगा.

अखिलेश यादव ने जैसे ही सबूत डीजीपी को सौंपा तो पुलिस पर बीजेपी नेत्री ऋचा राजपूत पर कार्रवाई का दवाब बना. इसके बाद अगले ही दिन सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल को पुलिस ने ही जमानत पर रिहा कर दिया. फिर अखिलेश यादव सामने आए और कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि ऋचा राजपूत की गिरफ्तारी हो, लेकिन सोशल मीडिया पर भाषा की मर्यादा का पालन किया जाना चाहिए. अखिलेश के इस बयान के बाद फिलहाल बीजेपी और सपा के बीच का ट्विटर वार थम गया है.

बता दें कि मनीष जगन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति कथित अभद्र टिप्पणी करने के आरोपों में रविवार सुबह लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया था. मनीष जगन अग्रवाल की सोमवार को जमानत मिलने के बाद शाम को जिला कारागार से रिहाई हो गई. गौरतलब है कि मनीष अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव रविवार को राज्य पुलिस मुख्यालय पहुंच गए थे और उनके साथ सपा के कार्यकर्ता भी अग्रवाल की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर मुख्यालय के बाहर जमा हो गए थे.