भगवान आपकी प्रार्थना क्यों नही सुनते प्रार्थना स्वीकार कैसे होती है कैसे करें ईश्वर की प्रार्थना ताकि पूरी हो सके आपकी कामना

कई लोगो में पाया गया है कि जब गम्भीर परेशानी होती, तो भगवान से बड़ी प्रार्थना करते हैं, भगवान ठीक कर दो, मैं ये करूँगा, वो करूँगा, पर जैसे ही ठीक होते हैं, सब खत्म हो जाता है । दरअसल जीवन मे किसी एक को, आप साध लो । मत भटको इधर उधर, पल पल में भगवान, को मत बदलो। हम दिन-रात भगवान से प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान हमारी प्रार्थना सुनते क्यों नहीं हैं ? क्या कारण है जिनकी वजह से हमारी प्रार्थना अनसुनी रह जाती है ? अगर जानना चाहते है तो देखिये और समझिये कैसे होगी आपकी प्रार्थना स्वीकार क्योंकि हर समस्या समाधान के साथ आती है यहाँ बताये गए प्रयोग कीजिये और अपने विश्वास पर, विश्वास जरूर कीजिये, यकीन मानिये, यद्यपि जीवन में समस्याएं तो आएँगी, लेकिन उनका समाधान आप झट से कर लेंगे, और तनावमुक्त होकर जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

आपकी भगवान क्यों नही सुनता.

अक्सर सभी के मन में यह प्रश्न रहता हैं, कि हम दिन-रात भगवान से प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान हमारी प्रार्थना सुनते क्यों नहीं हैं ? कहते है सबसे कीमती चीज़ माँ बाप उसको ही देते है, जिसमे उसको संभालने की काबिलियत होती है, अगर आपमें काबिलियत नहीं तो माँ बाप आपको उस लायक बनाने की सोचते है.

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हमने जाना कि हर इंसान की, अपनी अलग अलग समस्याएं हैं। दरअसल हर इंसान अपनी समस्या के निराकरण हेतु, इधर उधर भटकता रहता हैं, फिर किसी मार्गदर्शक या ज्योतिष, सन्त, पीर, फकीर, बाबा जो भी हो, उसकी शरण में जाता हैं औऱ ठीक भी हो जाता हैं । लेकिन ठीक होने के बाद वो दुबारा उनकी शरण मे तब ही जाता हैं, जब फिर कोई नई समस्या आती है । यानी मतलब सिद्ध होने तक ही, भगवान में आस्था ।

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कई लोगो में पाया कि जब गम्भीर परेशानी होती, तो भगवान से बड़ी प्रार्थना करते हैं, भगवान ठीक कर दो, मैं ये करूँगा, वो करूँगा, पर जैसे ही ठीक होते हैं, सब खत्म । दरअसल जीवन मे किसी एक को, आप साध लो । मत भटको इधर उधर, पल पल में भगवान, को मत बदलो। कुछ लोग ऐसे भी है जो 11 दिन गणेश जी की पूजा करेगे, 8 दिन माताजी की, 21 दिन किसी मजार पर जाएंगे, फिर बोलेंगे, मेरा कोई काम नही हो रहा। भगवान सुनता ही नही।

जब एक इंसान का भगवान पे, शक नहीं हक़ हो जाता है

तो मत पूछो फिर कैसा, कैसा चमत्कार हो जाता है।

जो अब तक नहीं हुआ, वो सब हो जाता है

बन के रोशनी वो सारा, अँधेरा दूर कर जाता है।

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आप एकबात सोचिये, यदि आपको बोरिंग कराना हैं तो, 20 फीट के 20 गड्ढे खोदे, और बोले कि, पानी नही निकल रहा है, इसकी अपेक्षा 150 फीट का ,एक ही गड्डा खोदते. पानी निकल जाता है।

हम किसी एक देव ,एक भगवान, एक गुरु ,एक मार्गदर्शक की सलाह लेकर उस पर विश्वास करे। आपके कार्य सफल होंगे ।

ऐसा नही है कि भगवान किसी की सुनते है, किसी की नही सुनते है, या आपसे रूठे हुए है । भगवान सबकी सुनते है, बस आपकी प्रार्थना उन तक पहुचाने हेतु, आप जिस का सहारा लेते है, या माध्यम बनाते है, जानिए की वो खुद कितना निकट है, भगवान के।  साथ ही आप खुद भी, स्वयं जुड़िये भगवान से । कोई कठिन काम नही है ।

आपके और मेरे मिलने में, केवल  समय का फैसला है,

कैसे करू इस समय से, शिकयत क्यूंकि केवल,

ये समय ही  है, जो मुझे आपसे, मिलवा सकता है.

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लोगों के कुलदेव, कुलदेवी होती हैं, जिनके यंहा वो कभी कभार जाते, या वर्ष में एक बार ही जाते है, जबकि कुलदेव या देवी के यंहा, हर शुभ कार्य के पहले निमंत्रण, उनको ही देना चाहिए तभी सब कार्य सफल होगा । अभी हम ये भी नही जानते की, कुलदेव या देवी के मंदिर जाकर क्या करना हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप किसकी प्रार्थना कर रहे हैं। प्रार्थना में प्रयोग करे जाने वाले शब्द, प्रतीक और अनुष्ठान, किसी धर्म विशेष के द्वारा दिए गए हो सकते हैं, परंतु प्रार्थना उन सबसे परे होती है। वह भावनाओं के सूक्ष्म स्तर पर घटित होती है, और भावनाएं, शब्द और धर्म के परे हैं। प्रार्थना के कृत्य ही में परिवर्तन लाने की शक्ति होती है।

प्रार्थना सच्चे दिल से करें। और दिव्य शक्ति के साथ अपनी चालाकी दिखलाने, का प्रयत्न नहीं करें। अधिकतर आप अपना बचा हुआ समय, पार्थना को देते हैं, जब आपके पास और कोई काम नहीं होता, कोई मेहमान नावाजी नहीं करनी होती है, या किसी पार्टी में नहीं जाना होता है, तब फिर आप भक्ति के पास जाते हो।

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ऐसा दिया गया समय सही नहीं होता  है। आप अपना सर्वश्रेष्ठ समय दिव्यता के लिए निकालें, तो निश्चय ही आपको उसका, उचित प्रतिफल मिलेगा। यदि आपकी प्रार्थना नहीं सुनी जाती है। तो वह इसलिए क्योंकि, आपने अपना सर्वश्रेष्ठ समय, कभी भी नहीं दिया।

आपकी समस्या हेतु आपको जो उपाय, आपका मार्गदर्शक, ज्योतिष, सन्त, बाबा, जो भी बताता है, उसे सच्ची लगन से स्वयं कीजिये , यकीन मानो परिणाम सफल ही आएगा ।

समस्याओं को तभी प्रस्तुत करें, जब आपके पास उनका कोई समाधान हो। समाधान के बिना समस्याएं प्रस्तुत करना, अपराध है। आप पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है

आपने फेसबुक, व्हाट्सप्प और अपने आसपास के लोगों, की बातचीत में भी यह देखा होगा कि, लोग सारा दिन समस्याओं को ही प्रस्तुत करते रहते हैं। जैसे कि, यहां अत्याचार हुआ। यहां चोरी हुई। यहां डकैती हुई। यहां बम फूटा। यहां हमला हुआ। यहां इतने लोग कोरोना के रोगी हो गए, भ्रष्टाचार बहुत है। कहीं कोई सुरक्षित नहीं है। मंत्री मिनिस्टर लोग मौज कर रहे हैं, आदि, आदि, इत्यादि।

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ऐसे लोग सुबह से शाम तक, ऐसी ऐसी  समस्याओं का ही रोना रोते रहते हैं। परंतु उनके पास इन समस्याओं का समाधान, कुछ भी नहीं है। तो ये सब समस्याएं प्रस्तुत करने से, उनको क्या लाभ हुआ? और जिन लोगों ने उनकी बातें, फेसबुक पर, व्हाट्सप  पर पढ़ी, अथवा पड़ोस में इधर-उधर चर्चा में सुनी, इससे श्रोताओं और पढ़ने वालों को क्या लाभ हुआ?  कुछ भी नहीं। बल्कि हानि तो अवश्य हुई। क्या हानि हुई?  जब तक दूसरे लोग इन समस्याओं को नहीं जानते थे, तब तक उनके मन में शांति थी, संतोष था, प्रसन्नता थी, निर्भयता थी, आनंद था। इन समस्याओं को पढ़ने,  सुनने, जानने पर, वह सारा आनंद, शांति, संतोष खो गया। और वे चिंतित, भयभीत, दुखी, एवं तनावग्रस्त हो गए। यह हानि हुई।

जबकि ऐसी समस्याएं प्रस्तुत करने वाले और पढ़ने सुनने वाले दोनों व्यक्ति इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते। फिर क्यों सुन और सुना रहे हैं? और क्यों व्यर्थ अपना, और दूसरों का समय नष्ट कर के, दूसरों का तनाव और चिंताएं बढ़ा रहे हैं?  ऐसा करना निश्चित रूप से अपराध है। और ऐसा करने वालों को, इसका दंड भी भोगना पड़ेगा। जो समस्याएँ आप सुना रहे हैं, ये समस्याएं, क्या देश के संचालक, मंत्री, मिनिस्टर लोगों, को मालूम नहीं हैं?  यदि हैं, और वे लोग यथाशक्ति, यथामति, इन समस्याओं का समाधान ढूंढते भी हैं, और कर भी रहे हैं। तो फिर आप जनता का तनाव क्यों बढ़ा रहे हैं?   यदि आपके पास इन समस्याओं का कोई समाधान है भी, तो उन मंत्री, मिनिस्टर लोगों के पास जाइए, उनको सुनाइए। तब तो कुछ परिणाम आने की संभावना भी है, व्यर्थ में बिना समाधान और पुरुषार्थ के जनता को सुनाकर, जनता का तनाव न बढ़ाएं। क्योंकि ऐसा करने से समस्याएं कम नहीं होती, बल्कि और अधिक बढ़ जाती हैं।

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इसलिए हमेशा सकारात्मक सोचिये, सकारात्मक लिखिए, सकारात्मक कीजिये, अपने विश्वास पर, विश्वास जरूर कीजिये, यकीन मानिये, यद्यपि जीवन में समस्याएं तो आएँगी, लेकिन उनका समाधान आप झट से कर लेंगे, और तनावमुक्त होकर जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

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