क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया मुहूर्त काल कैसे करे अक्षय तृतीया का पूजन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए

भारतीय काल गणना के अनुसार चार स्वयं सिद्ध अभिजीत मुहूर्त है  1, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा  2, अक्षय तृतीया  3,दशहरा  4, धनत्रयोदशी

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया मुहूर्त काल कैसे करे अक्षय तृतीया का पूजन किन बातों  का विशेष ध्यान रखना चाहिए

अक्षय तृतीया का सर्वश्रष्ठ मुहूर्त काल 


अक्षय तृतीया कल 14 मई 2021 दिन शुक्रवार को है ! अक्षय तृतीया का परम श्रेष्ठ काल  सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 तक है । अक्षय तृतीया की यह तिथि बसंत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल का महोत्सव है । 

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया  

यह तिथि क्षय्  के कार्यों के स्थान पर अक्षय कार्य करने का दिन है  भौतिक रूप से दिखाई देने वाला यह स्थूल शरीर संसार और संसार की समस्त वस्तुएं क्षय धर्मा हैं अक्षयधर्मा नहीं है ।

क्षय धर्मा वस्तुएं असद्भावना, असद विचार ,अहंकार, स्वार्थ, काम ,क्रोध तथा लोभ पैदा करती हैं, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण ने गीता में आसुरी वृत्ति कहा है। जबकि अक्षय धर्मा सकारात्मक चिंतन, मनन हमें देवी संपदा की ओर ले जाता है ,इससे हम त्याग परोपकार मैत्री करुणा और प्रेम पाकर परम शांति पाते हैं ,हमें दिव्य गुणों की प्राप्ति होती है ।यह तिथि हमें जीवन मूल्यों का वरण  करने का संदेश देती है ।

भारतीय काल गणना के अनुसार चार स्वयं सिद्ध अभिजीत मुहूर्त है 
1, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 
2, अक्षय तृतीया 
3,दशहरा 
4, धनत्रयोदशी ।

अक्षय तृतीया के दिन किया हुआ दान जप तप हवं का क्या लाभ मिलता है 

अक्षय तृतीया को दिए गए दान और किए गए स्नान जप ,तप  हवन आदि कर्मों का शुभ और अनंत फल मिलता है ।
जिनके यहां परंपरा अनुसार अक्षय तृतीया के दिन खाता बसना पूजन होता है उनके लिए स्थिर लग्न सिंह 11:55 से 14:21 तक है । 
इस दिन सूर्य व चंद्रमा दोनों ही ग्रह अपनी उच्च राशि में होते हैं ,इस दिन सूर्य देव की पूजा विशेष पुणय्  फल प्रदान करती है। पवित्र नदियों में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि से सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए । 

कैसे करे अक्षय तृतीया का पूजन 

वर्तमान समय में महामारी के कारण आप घर में ही गंगा जल में जल मिलाकर के उस जल से स्नान करके दिनचर्या प्रारंभ करें ।

अक्षय तृतीया को क्यों सबसे शुभ माना जाता है 

इस तिथि को कई कारणों से अति पवित्र एवं शुभ माना जाता है ....
1,सतयुग एवं त्रेता युग का आरंभ इसी तिथि से हुआ था ।
2,इस तिथि को किया हुआ स्नान दान जप तप होम यज्ञ आदि का क्षय नहीं होता ।
3,भारत में चारों धामों में श्री बद्री नारायण जी के पट इसी दिन खुलते हैं ।
4,मथुरा में स्थित वृंदावन धाम में श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में प्रभु जी के चरण दर्शन इसी दिन होते हैं ,वर्षभर प्रभु जी के चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं । इस विशेष तिथि को भक्तजन विष्णु की आराधना तथा स्त्रियां अपने परिवार और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं ।अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नवीन व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है ।

अक्षय तृतीया में किन बातों  का विशेष ध्यान रखना चाहिए 

अक्षय तृतीया के दिन यदि कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा ।
शास्त्रों की इस मान्यता को वर्तमान में व्यापारिक रूप दे दिया गया है जिसके कारण अक्षय तृतीया के मूल उद्देश्य से हटकर लोग खरीददारी में लगे रहते हैं ,वास्तव में यह वस्तु खरीदने का दिन नहीं है वस्तु की खरीदारी में आपका संचित धन खर्च होता है । 
अक्षय तृतीया अपने शुभ कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए एक श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है ।इस तिथि में किए गए शुभ कर्मों के फल का क्षय नहीं होता ।
कलयुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करके दान अवश्य करना चाहिए। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिवस है।
इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं ,इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता वह आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है । 
इस दिन ब्राह्मण को जल कलश, खड़ाऊ , पंखा, छाता ,ऋतु फल ,ककड़ी खरबूजा शकर आदि  विविध वस्तु यथाशक्ति, सामर्थ्य अनुसार मंदिरों में दान करनी चाहिए ।
इन दिनों कोरोना महामारी के निदान हेतु भी श्री विष्णु लक्ष्मी के विशिष्ट मंत्रों से हवन, यज्ञ आदि करके प्रकृति के वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाकर पूरी मानवता की रक्षा का श्रेष्ठ कार्य किया जा सकता है । जो साधक इस तरह के आयोजन कर सकें वह परोपकारी भाव का पुण्य प्राप्त भी कर सकते हैं । इसके बारे में जितना भी कहा जाए लिखा जाए वह कम ही होगा ।इस स्थिति में आप  भी कुछ श्रेष्ठ कार्य मानवता एवं स्वयं अपने परिवार समाज सुरक्षा हेतु अवश्य करें। 

भगवान परशुराम का जन्मोत्सव 

अक्षय तृतीया में ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था अतः यह तिथि भगवान परशुराम के जन्मोत्सव का भी महापर्व है । उसकी सभी को श्री श्री मां आनंद आश्रम परिवार की ओर से बधाई । सभी को सादर जय श्री कृष्ण ।
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यह लेख के मूल लेखक पूज्य गुरदेव श्री श्री मां आनंद आश्रम विकास नगर लखनऊ है और उनकी अनुमति से ही यह लेख यहाँ प्रकाशित है.