डॉक्टर कैपिटल लेटर में दवाओं का नाम लिखें- एक अक्षर की नासमझी दे सकती है जिंदगी भर का दर्द, जा चुकी है जान

पर्चे पर डॉक्टर की खराब हैंडराइटिंग और मेडिकल स्टोर पर मौजूद अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट की उसे पढ़ते समय कुछ और समझ लेने की चूक ऐसे खतरे को बढ़ा देती है। ऐसे ही एक मामले में तीन दिन पहले छह साल के एक मासूम की जान चली गई। इस मामले में मेडिकल स्टोर से बच्चे के अभिभावक को सिरप के बजाय इंजेक्शन थमा दिया था। इंजेक्शन लगाते ही मासूम की मौत हो गई थी।

डॉक्टर कैपिटल लेटर में दवाओं का नाम लिखें- एक अक्षर की नासमझी दे सकती है जिंदगी भर का दर्द, जा चुकी है जान

डॉक्टरों की लिखावट को लेकर कई बार सवाल उठते रहते हैं. उनकी लिखावट आम लोगों को समझ नहीं आता है. कई बार तो फार्मासिस्ट भी उनकी लिखावट नहीं समझ पाते हैं. ऐसे में मेडिको लीगल केस में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ओडिशा हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि डॉक्टर कैपिटल लेटर में ही दवा और प्रेसक्रिप्शन लिखें. सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके पाणिग्रही ने कहा कि सरकारी या निजी या अन्य मेडिकल सेट-अप में काम कर रहे डॉक्टरों को दवाओं का नाम बड़े अक्षरों में लिखना चाहिए, ताकि वह पढ़ा जा सके.

नुक्ते के हेरफेर से खुदा, जुदा हो जाता है, ये तो आपने सुना होगा। अगर दवाएं लेने जा रहे हैं तो इस कहावत को जेहन में जरूर रखें, अन्यथा एक अक्षर की नासमझी जिंदगी भर का दर्द दे सकती है। पर्चे पर डॉक्टर की खराब हैंडराइटिंग और मेडिकल स्टोर पर मौजूद अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट की उसे पढ़ते समय कुछ और समझ लेने की चूक ऐसे खतरे को बढ़ा देती है। ऐसे ही एक मामले में तीन दिन पहले छह साल के एक मासूम की जान चली गई। इस मामले में मेडिकल स्टोर से बच्चे के अभिभावक को सिरप के बजाय इंजेक्शन थमा दिया था। इंजेक्शन लगाते ही मासूम की मौत हो गई थी।

आसान शब्दों में समझें एक अक्षर के अंतर से कैसे हो सकता है अर्थ का अनर्थ

डाइकालिस (dicalis) का उपयोग मल्टी विटामिन सप्लीमेंट के तौर पर होता है। वहीं दूसरी दवा है डाइकारिस ( dicaris)। इस दवा का उपयोग कीड़े मारने में किया जाता है। त्वचा पर संक्रमण के मामलों में भी यह दवा दी जाती है। दोनों के नाम में सिर्फ एक अक्षर का ही अंतर है। अंग्रेजी के अक्षर एल के स्थान पर आर आते ही दवा का नाम और इसका प्रभाव पूरी तरह बदल जाता है। डॉक्टर की हैंडराइटिंग या फिर फार्मासिस्ट की समझ में गड़बड़ी होते ही अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

डेक्सिन (dexin) का उपयोग बैक्टीरिया के संक्रमण में होता है। आंख में संक्रमण से बचाव के लिए इसका आई ड्रॉप भी आता है। वहीं दूसरी ओर डेपिन (depin) का उपयोग उच्च रक्तचाप के मामलों में किया जाता है। इनके नाम में भले ही अंग्रेजी अक्षर एक्स और पी का अंतर हो, लेकिन दोनों के उपयोग में जमीन आसमान का अंतर है। यहां भी जरा सी चूक मरीज के इलाज के बजाय गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।

 पेरिनॉर्म (perinorm) का उपयोग उल्टी, मितली और अपच आदि के मामलों में किया जाता है। वहीं दूसरी ओर पायोनॉर्म (pionorm) का उपयोग डायबिटीज के गंभीर मामलों में होता है। दवा की दुकान पर अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट केलिए कई बाद इनमें अंतर करना कठिन हो जाता है। इसकी वजह से गंभीर नुकसान होने की आशंका रहती है।

अन्य कुछ दवाओं के मिलते-जुलते नाम और उनके प्रभाव

दवाई- उपयोग                                    दवाई- उपयोग

susten gel- अनियमित माहवारी            sustane-gel- आई ड्रॉप

amitone-न्यूरोपैथिक पेन                    m2tone- महिलाओं में हॉर्मोन संतुलन

omen-बीपी                                    omez-गैस

teribicip-फंगल इंफेक्शन                    tramacip-भीषण दर्द

trifer- आयरन और फॉलिक एसिड            triexer-डायबिटीज

ticafo-ब्लड थिनर                            tadaflo- नपुंसकता और पल्मोनरी हाइपरटेंशन

teleact- हाई बीपी                            tadact- नसों में खून के बहाव से जुड़ी समस्याओं में

metolor-हाइपरटेंशन                            meltor-सूजन कम करने के लिए

सीएमओ डॉ. एमके अग्रवाल का कहना है कि सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि डॉक्टरों को पर्चे पर दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखने होंगे। इसका आदेश भेजा जा चुका है। सभी डॉक्टरों को इसका पालन करना चाहिए।

लिखी गई दवा से किसी को नुकसान न हो, इसके लिए सरकार की ओर से कई निर्देश हैं। इसके तहत अनिवार्य रूप से सभी मेडिकल स्टोर पर दवा की खरीद और बिक्री पंजीकृत फार्मासिस्ट की निगरानी में ही होनी चाहिए। इसके बावजूद एफएसडीए के निरीक्षण के दौरान अक्सर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट नहीं मिलने की खबरें आती हैं।