विलुप्त फसलों के लिए योगी सरकार की नई योजना- एक बार फिर आपकी थाली तक पहुंचेंगे मोटे अनाज

कभी मोटे अनाज हमारे फूड चेन का सबसे अहम हिस्सा होते थे. कोदो, कुटुकी, रागी और बाजरा के उत्पादन में जहां लागत भी कम होती थी. वहीं इनमें मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होते थे. अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (2023) के मद्देनजर योगी सरकार ने इस बाबत विभागवार रणनीति तैयार की है. इस पूरी कार्ययोजना का नाम है, "मिलेट्स पुनरोद्धार योजना"

विलुप्त फसलों के लिए योगी सरकार की नई योजना- एक बार फिर आपकी थाली तक पहुंचेंगे मोटे अनाज

कृषि, कुदरत, किसान, आम इंसान और कीट पतंगों की सेहत के लिए मुफीद माने गए मोटे अनाज यानी मिलेट्स (Millets) की खूबियों से दुनिया वाकिफ तो है, लेकिन कुछ दशकों में गेहूं और चावल के इस्तेमाल की होड़ में मिलेट्स पीछे रह गए. मक्का, ज्वार, बाजरा, कोदों और सावां जैसे पारंपरिक अनाजों के महत्व को भारत की पहल पर दुनिया ने एक बार फिर समझा है. इसके मद्देनजर ही उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलेट्स की उपज और उपभोग को बढ़ाने के लिये आक्रामक रणनीति अपनाते हुए एक खास कार्य योजना अमल में लाना शुरू किया है.
कभी मोटे अनाज हमारे फूड चेन का सबसे अहम हिस्सा होते थे. कोदो, कुटुकी, रागी और बाजरा के उत्पादन में जहां लागत भी कम होती थी. वहीं इनमें मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होते थे. मोटे अनाज की अहमियत को देखते हुए मोदी सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है. केंद्र की इस महात्वाकांक्षी योजना को उत्तर प्रदेश अपने प्रयासों से सफलता के शिखर की ओर ले जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (2023) के मद्देनजर योगी सरकार ने इस बाबत विभागवार रणनीति तैयार की है. इस पूरी कार्ययोजना का नाम है, "मिलेट्स पुनरोद्धार योजना"
इसके तहत कृषि विभाग संभवनाओं वाले जिलों में मोटे अनाजों का रकबा बढ़ाने के लिए ब्लॉक स्तर की रणनीतिक तैयार करेगा. कृषि विभाग पहले ही इन अनाजों का रकबा 21 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 25 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य तय कर रखा है. हालांकि प्रदेश में करीब 40 लाख हेक्टेयर ऐसी भूमि चिन्हित की गई है जहां मोटे अनाजों की खेती संभव है. क्रमशः इसे बढाया जाएगा. रकबा बढ़ाने के साथ सबसे जरूरी है इनकी खेती करने वाले किसानों को भरपूर मात्रा सही समय पर गुणवत्तायुक्त बीज मुहैया कराना है.
इसे लेकर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार से  बीज की मांग की जा चुकी है. वितरण का काम उप्र बीज विकास निगम,एनएससी और एफपीओ के माध्यम से कराया जाएगा. किसानों को बतौर प्रोत्साहन इनके निःशुल्क मिनीकिट भी दिए जाएंगे. साथ ही अनुदान पर भी बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रगतिशील किसानों एवं एफपीओ को इनके बीज उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
मिलेट्स के उन्नत खेती हेतु कृषकों के प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन के लिए प्रदर्शन फील्ड डे एवं एक्सपोज़र विजिट पर भी फोकस होगा. इस क्रम में कृषि विभाग का एक प्रतिनिधिमंडल बंगलुरू में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भी प्रतिभाग करेगा.