जल्द ही अपने मंत्रियों और विधायकों पर दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार, सपा ने किया कटाक्ष

पूर्व की सरकारों के समय योगी मंत्रिमंडल के जिन मंत्रियों और विधायकों पर राजनीतिक विद्वेष से दर्ज केस हुए थे, उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर दी जाएगी. मंत्री विधायकों पर दर्ज संगीन अपराध के प्रकरणों को वापस लेने के बारे में सरकार विचार नहीं करेगी.

जल्द ही अपने मंत्रियों और विधायकों पर दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार, सपा ने किया कटाक्ष

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेगी. पूर्व की सरकारों के समय योगी मंत्रिमंडल के जिन मंत्रियों और विधायकों पर राजनीतिक विद्वेष से दर्ज केस हुए थे, उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर दी जाएगी. मंत्री विधायकों पर दर्ज संगीन अपराध के प्रकरणों को वापस लेने के बारे में सरकार विचार नहीं करेगी. सूत्रों की मानें तो यूपी सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर दी जाएगी, क्योंकि राजनीतिक रंजिश के चलते दर्ज मुकदमों की स्क्रीनिंग का काम अंतिम दौर में है. बता दें कि यूपी सरकार में ऐसे कई मंत्री हैं, जिनके ऊपर इस तरह के केस दर्ज हैं.

यूपी में वर्तमान में 403 विधायकों में 205 यानी 51 प्रतिशत के ऊपर आपराधिक मामले हैं. इसके अलावा योगी सरकार के 52 में 22 मंत्रियों का आपराधिक रिकॉर्ड है. सरकार में शामिल 20 मंत्री ऐसे हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे हैं. जिन धाराओं में 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हो, उसे गंभीर अपराध उसे माना गया है. 

वहीं, कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को अदालत ने किसी आपराधिक मामले में दोष सिद्ध करार दिया है. उन्हें अवैध असलहा रखने के मामले में एक साल की सजा हुई है. अदालत का फैसला आने के बाद तत्काल उन्हें जमानत मिल गई. इतना ही नहीं उन्हें अगली अदालत में अपील करने का मौका भी मिल गया है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने विचार-विमर्श के बाद सचान का इस्तीफा ना लेने का फैसला भी किया है. यानी कि अब वह योगी सरकार में मंत्री बने रहेंगे.  

यूपी सरकार के सूत्रों ने कहा अभी इसे लेकर स्क्रीनिंग का काम जारी है. स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद यूपी सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को वापस ले लेगी. हालांकि, इसे लेकर अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. इस बीच यूपी सरकार के इस कदम की आलोचना भी होने लगी है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को गलत और असंवैधानिक करार दिया है.

मंत्री और विधायकों के खिलाफ तमाम मुकदमे राजनीतिक प्रदर्शन के दौरान दर्ज हुए हैं. भाजपा नेताओं के अनुसार पूर्व सरकारों ने विद्वेष इन्हें दर्ज किया है. ऐसे में इन्हें वापस लेने पर विचार करना अनुचित नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वर्तमान सरकार ही यह कर रही है. मुलायम सरकार में फिल्म अभिनेता राज बब्बर के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया गया था.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि बीजेपी अपने अपराधी प्रवृत्ति वाले मंत्री और विधायकों को बचाने में जुटी है. उन्होंने नोएडा के श्रीकांत त्यागी का भी हवाला दे दिया और कहा कि ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी में जो कुछ हुआ इसी का नतीजा है. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने भी समाजवादी पार्टी के सुर से सुर मिलाते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. सरकार कैसे मुक़दमे वापस ले सकती है. यह न्यायपालिका का मामला है. कोई अपराधी है या नहीं, फैसला न्यायपालिका करेगी.

साल 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 22 साल पुराना मुकदमा वापस लिया था. यह मुकदमा 27 मई, 1995 को गोरखपुर के पीपीगंज थाने में यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, मौजूदा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल समेत 13 लोगों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत दर्ज हुआ था. बता दें कि योगी सरकार ने एक कानून बनाया है, जिसके तहत 20,000 राजनीतिक मुकदमे वापस लिए जाएंगे.

योगी सरकार ने शामिल जिन सदस्यों के विरुद्ध आपराधिक मामले हैं, उनमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी, धर्मपाल सिंह, राकेश सचान, अनिल राजभर, दयाशंकर सिंह, योगेन्द्र उपाध्याय, भूपेंद्र चौधरी, संजय निषाद तथा  स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, गिरीश चंद्र यादव, रविंद्र जायसवाल और राज्यमंत्री दिनेश खटीक,सुरेश राही, मयंकेश्वर शरण सिंह, सतीश चंद्र शर्मा, ब्रजेश सिंह का भी नाम है. इसके अलावा दो दर्जन से अधिक विधायकों के नाम है. इस सभी के खिलाफ कई सालों पुराने मुकदमे चल रहे हैं.