कानपुर-अलीगढ़ की हवा-पानी और मिट्टी को परखेगी योगी सरकार, डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर फोकस

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ नोड्स में मुख्यतः 5 मानकों की रेगुलर मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल), पर्यावरण-वन और जलवायु मंत्रालय (एमओईएफ) व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से संबद्ध लैबोरेट्री से टेंडरिंग प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन मांगे हैं. 

कानपुर-अलीगढ़ की हवा-पानी और मिट्टी को परखेगी योगी सरकार, डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर फोकस

तरक्की की दौड़ में पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए योगी सरकार ने नई पहल की है. सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता, ध्वनि प्रदूषण, भू-जल स्तर, मिट्टी की गुणवत्ता और भूजल स्तर जैसे मानकों की नियमित निगरानी के लिए लैब को क्रियान्वित किया जाएगा. 

इस क्रम में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ नोड्स में मुख्यतः 5 मानकों की रेगुलर मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल), पर्यावरण-वन और जलवायु मंत्रालय (एमओईएफ) व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से संबद्ध लैबोरेट्री से टेंडरिंग प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन मांगे हैं. 

11 सितंबर को आवेदन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जिसके बाद चयनित लैब लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता, ध्वनि प्रदूषण, भू-जल स्तर की गुणवत्ता, मिट्टी की गुणवत्ता व ग्राउंड वॉटर लेवल मेजरमेंट जैसे मानकों की रेगुलर मॉनिटरिंग के दायित्व का वहन करेगी. 

यूपीडा द्वारा जारी की गई टेंडरिंग प्रक्रिया के अनुसार 11 सितंबर को आवेदन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इसके अंतर्गत जिस भी लैब को कार्य मिलेगा वह एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर होगा. इसे प्रदर्शन के हिसाब से आगे भी बढ़ाया जा सकता है. 

यूपीडा इसे किसी एक या कई अन्य लैब्स के बीच डिस्ट्रीब्यूट भी कर सकती है. इसके अतिरिक्त टेंडर्स में जो कोटेशन होगी उसी में संबंधित लैब द्वारा निर्धारित कार्यों को करने की प्रक्रिया, मशीनरी, इक्विप्मेंट्स आदि सबकी लागत भी निहित होगी. 

टेंडर में लैब कंपनियों द्वारा जो भी कार्यों को करने की लागत संबंधी शर्तें होंगी, वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा तय दरों के अनुरूप होनी चाहिए. इन सभी विषयों पर अंतिम निर्णय अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ-यूपीडा) की अध्यक्षता में गठित कमेटी लेगी.

यूपीडा द्वारा जारी की गई टेंडरिंग प्रक्रिया के मुताबिक लैब न केवल लखनऊ, कानपुर व अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता, ध्वनि प्रदूषण, भू जल स्तर की गुणवत्ता, मिट्टी की गुणवत्ता व भू-जल स्तर के मानकों की नियमित समीक्षा करेगी. बल्कि इसकी समय-समय पर रिपोर्ट भी देती रहेंगी. 

लैब द्वारा एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग में पार्टिकुलेट मैटर्स (पीएम-10 व पीएम-25), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) व एनओएक्स (नाइट्रोजन डाईऑक्साइड व अन्य नाइट्रस कॉम्पोनेंट्स) की 24 घंटे समीक्षा की जाएगी. वहीं, दिन और रात के आधार पर ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी मापा जाएगा. 

इसके अतिरिक्त, जल व भूजल प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए एसिडिटी, एल्केलेनिटी, अल्यूमिनियम, आर्सेनिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), बाइकार्बोनेट, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, क्रोमियम, कॉपर, आयरन, लेड, मैग्नीशियम, मैंगनीज, निकेल, नाइट्रोजन कंपाउंड्स, सल्फेट्स, सोडियम व जिंक जैसे एलिमेंटल पैरामीटर्स की मॉनिटरिंग होगी. 

वहीं, मृदा यानी सॉयल क्वॉलिटी की टेस्टिंग के लिए अमोनिया, बाइकार्बोनेट्स, बोरोन, कैल्शियम, कैल्शियम कार्बोनेट, क्लोराइड, कलर, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, मैग्नीशियम, नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स, पेस्टीसाइड पीएच, फॉस्फेट्स, सोडियम, पोटैशियम, कैडमियम, मैंगनीज, कोबाल्ट व सॉयल सैंपल की एसएआर वैल्यू प्रमुख कारक रहेंगे जिनकी मॉनिटरिंग प्रदूषण बोर्ड से निर्धारित मानकों के अनुरूप ही की जाएगी.