सपा की रणनीति पर योगी ने पानी फेरा- जातीय सियासत के मुकाबले हिंदुत्व कार्ड चल रही भाजपा
सपा ने रामचरित मानस की जिस चौपाई को आधार बनाकर सियासी फसल काटने की योजना बनाई थी, योगी ने उसकी प्रतियां जलाने को 100 करोड़ हिंदुओं का अपमान बताकर उनकी रणनीति पर पानी फेरने का प्रयास किया है। कानून-व्यवस्था के मामले में माफिया के खिलाफ योगी के आक्रामक तेवर और मानस की चर्चा में रही चौपाई की उनकी व्याख्या ने सब कुछ साफ कर दिया है।
दो माह से पिछड़ों की गोलबंदी के सहारे सपा मुखिया अखिलेश यादव की तैयार हो रही चुनावी चौसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व कार्ड चलाया है। सपा ने रामचरित मानस की जिस चौपाई को आधार बनाकर सियासी फसल काटने की योजना बनाई थी, योगी ने उसकी प्रतियां जलाने को 100 करोड़ हिंदुओं का अपमान बताकर उनकी रणनीति पर पानी फेरने का प्रयास किया है। कानून-व्यवस्था के मामले में माफिया के खिलाफ योगी के आक्रामक तेवर और मानस की चर्चा में रही चौपाई की उनकी व्याख्या ने सब कुछ साफ कर दिया है।
रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा कि अवधी और बुंदेलखंडी के लिखे शब्द 'ताड़ना' और 'शूद्र' का गलत मतलब निकाला गया। 'शूद्र' का मतलब 'श्रमिक' से और 'ताड़ना' का अर्थ 'देखना' होता है, 'मारना' नहीं होता। लेकिन आज सब अपने हिसाब से ग्रंथों की व्याख्या कर रहे हैं। रामचरितमानस को कुछ लोगों ने फाड़ने का काम किया, यही घटना अगर किसी दूसरे मजहब के साथ हुई होती तो देखते क्या होता।
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने आए योगी शुरुआत से ही आक्रामक दिखे। योगी ने 2 घंटे 7 मिनट के भाषण में एक-एक मुद्दे पर आईना दिखाते हुए सपा को बैकफुट पर लाने का प्रयास किया। सपा की ओर से प्रयागराज गोलीकांड का मुद्दा उठाया गया तो योगी ने कड़े तेवर में सपा को घेरते हुए माफिया को मिट्टी में मिलाने जैसा संकल्प कई बार दोहराया। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की बात कर कानपुर में मां बेटी की आत्महत्या से बिगड़े माहौल को भी योगी ने शांत करने की कोशिश की।
अखिलेश व सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य काफी दिनों से रामचरिस मानस की एक चौपाई को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे। अखिलेश सदन के बाहर कहते रहे हैं कि वे विधानसभा में सीएम से पूछेंगे कि शूद्र कौन-कौन हैं? अखिलेश ने सीधे तौर पर इस मुद्दे को सदन में तो नहीं उठाया, लेकिन योगी ने मानस की चौपाई में ताड़न का अर्थ प्रताड़ित करने से नहीं, बल्कि देखने से साबित कर इस मुद्दे को ही बेमानी कर दिया।
उन्होंने सपा द्वारा तुलसीदास को अपमानित करने और सौ करोड़ हिंदुओं के अपमान से जोड़ते हुए इस मुद्दे की धार कुंद कर दी। योगी ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के बयान का हवाला देकर दलित समाज को भी संदेश देने की कोशिश की। कहा, बाबा साहब ने खुद कहा था कि दलित वर्ग को शूद्र न कहा जाए, शूद्र कोई जाति नहीं है। जानकार मानते हैं कि योगी ने अपने अंदाज व जवाब से न सिर्फ जातीय गोलबंदी की कोशिश कर रही सपा की रणनीति को झटका दिया है, बल्कि अपनी बुलडोजर बाबा की छवि को बरकरार रखने का संदेश दिया है। उन्होंने यूपी में बाबा बा... का संदेश देकर भी मजबूत इरादे दिखाए हैं।
योगी ने सपा संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव और महासचिव शिवपाल यादव का मुद्दा उठाते हुए अखिलेश को कठघरे में खड़ा किया। कहा, ‘शर्म तो तुम्हें करनी चाहिए जो अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाए’। वहीं चाचा शिवपाल के साथ हुए धोखे और उचित सम्मान नहीं मिलने का मुद्दा भी उठाया। योगी ने रामचरित मानस की ही चौपाई बिनय न मानत जलधि जड़... के जरिए विपक्ष को चेताया कि संभल जाओ, नहीं तो सरकार बख्शेगी नहीं।
योगी ने कहा, 'भय बिनु होइ न प्रीति', भय से ही सही चाचा को सम्मान तो मिला। शिवपाल जी, जब आपको देखता हूं तो महाभारत का दृश्य याद आने लगता है। बार-बार अपमानित होते हैं। संघर्ष और अनुभव का फायदा सपा को नहीं मिलता। हम उनका सम्मान करते हैं, वरिष्ठ सदस्य हैं। अनुभवी व्यक्ति बार-बार छले जा रहे हैं। वो सम-विषम में फंसे रहते हैं। देखो, ज्यादा अपमानित करना भी नहीं चाहिए।