मिनी जामताड़ा का टूटा चक्रव्यूह, इस वजह से थमे साइबर अपराध; ये था ठगी का तरीका

200 से ज्यादा साइबर अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त किया गया था। यह वह साइबर ठग थे जोकि नूंह की जमीन से देश भर में साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। इनमें से कुछ अपराधी तो साइबर ठगी की क्लास जामताड़ा से ही लेकर आए थे। कुछ माह पूर्व ही नूंह को मिनी जामताड़ा की संज्ञा उस समय दी गई थी, जब करीब पांच हजार पुलिसकर्मियों की विभिन्न टीमों ने एक साथ नूंह के गांवों में दबिश की कार्रवाई की थी। 

मिनी जामताड़ा का टूटा चक्रव्यूह, इस वजह से थमे साइबर अपराध; ये था ठगी का तरीका

बीते माह के अंतिम दिन नूंह में जलाभिषेक यात्रा पर पथराव, फायरिंग, छह लोगों की मौत और 70 से ज्यादा घायलों और इसके बाद लगे कर्फ्यू के बीच एक राहत भरी खबर भी है। इस हिंसा के बाद पुलिस की सख्ती, कर्फ्यू और इंटरनेट पर प्रतिबंध का असर यह भी रहा कि दक्षिण हरियाणा के चार जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूंह में साइबर ठगी की वारदात पर विराम लग गया। 

इन जिलों में जहां प्रतिदिन साइबर ठगी की 10 से 15 एफआईआर दर्ज की जाती थीं, वहीं बीते 12 दिनों में नूंह, पलवल और गुरुग्राम में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ।

कुछ माह पूर्व ही नूंह को मिनी जामताड़ा की संज्ञा उस समय दी गई थी, जब करीब पांच हजार पुलिसकर्मियों की विभिन्न टीमों ने एक साथ नूंह के गांवों में दबिश की कार्रवाई की थी। 

इस कार्रवाई में 200 से ज्यादा साइबर अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त किया गया था। यह वह साइबर ठग थे जोकि नूंह की जमीन से देश भर में साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। इनमें से कुछ अपराधी तो साइबर ठगी की क्लास जामताड़ा से ही लेकर आए थे। 

खुलासा तो यहां तक हुआ था कि नूंह से बैठकर ही कुछ साइबर ठग ऑनलाइन ठगी की क्लास तक संचालित कर रहे थे। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद ट्रक लूट, वाहनचोरी, एटीएम लूट और गोकशी के मामलों में चर्चित रहने वाला नूंह मिनी जामताड़ा के रूप में उबरकर सामने आया था। 

पुलिस की इस कार्रवाई के बाद पहली बार पता चला था कि नूंह के गांवों से नवयुवकों और नाबालिगों की फौज देश भर में साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे।
 
पुलिस आंकड़े बताते हैं कि 31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से गुुरुग्राम, पलवल और नूंह में साइबर ठगी का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। यही हाल नूंह और पलवल जिले का है। 

यहां भी दंगों के बाद से साइबर ठगी का कोई मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा है। पुलिस अधिकारी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि साइबर ठगी के मामलों में लगातार चर्चा में रहने वाले दक्षिण हरियाणा के इन चार जिलों में हिंसा के बाद से साइबर ठगी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

गुरुग्राम में इस साल एक जनवरी से 30 जुलाई तक जहां साइबर ठगी के 227 मामले दर्ज किए थे। इनमें मानेसर साइबर थाने में 27, साइबर थाना साउथ में 26, साइबर थाना वेस्ट में 70 और साइबर थाना ईस्ट में सबसे ज्यादा 104 मामले दर्ज हुए थे। 

बीते 12 दिनों में इस श्रेणी का एक भी मामला किसी भी साइबर थाने में दर्ज नहीं हुआ है। इसी प्रकार नूंह जिले में बीते सात माह के दौरान जहां साइबर ठगी के 24 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं बीते 12 दिनों में साइबर ठगी की एक शिकायत तक पुलिस के पास नहीं पहुंची है।

गुरुग्राम से सटे फरीदाबाद जिले में भी बीते सात माह के दौरान 30 जुलाई तक साइबर ठगी से जुडे़ 92 मामले विभिन्न साइबर थानों में दर्ज किए गए थे। इनमें से एनआईटी साइबर थाने में 33, सेंट्रल साइबर थाने में 30 और बल्लभगढ़ साइबर थाने में 29 मामले शामिल हैं। नूंह हिंसा के बाद से पलवल जिले में भी साइबर ठगी की कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

पुलिस का मानना है कि नूंह में 31 जुलाई को जलाभिषेक यात्रा पर पथराव, फायरिंग और उसके बाद हुई हिंसा में बड़ी संख्या में साइबर अपराधी भी शामिल रहे थे। 

अब पुलिस की ताबड़तोड़ दबिश की कार्रवाई के बाद इनमें से ज्यादातर अपराधी या तो जेल की सलाखों के पीछे हैं या फिर अरावली की पहाड़ी पर जंगल में छिपे हुए हैं। कुछ ने पड़ोसी राज्यों में अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है। इन सभी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

नूंह हिंसा के बाद से ही निश्चित ही साइबर ठगी के मामलों में कमी आई है। दरअसल हिंसा के तत्काल बाद शहर में जहां कर्फ्यू लगा दिया गया था, वहीं अफवाहों का दौर राेकने के लिए एहतियात के तौर पर इंटरनेट सेवा को प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

13 अगस्त तक यह प्रतिबंध जारी रहेगा। इस अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। साइबर अपराधी भी नूंह हिंसा में शामिल रहे थे। ऐसे में कुछ अपराधी जहां जेल की सलाखों के पीछे हैं, वहीं कुछ अभी फरार हैं। जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। - नरेंद्र बिजरानिया, एसपी नूंह

ऐसे करते थे साइबर ठगी-

- ओएलएक्स पर सामान बेचने या खरीदने के बहाने।
- खुद को आर्मी मैन बताकर पुराना सामान बेचने के बहाने।
- व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से बैंक खाते का ओटीपी पूछकर।
- पैसा भेजने का झांसा देकर लिंक भेजकर।
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए किसी परिचित की आवाज बनाकर।
- विदेश से महंगा गिफ्ट भेजने का झांसा देकर।
- वर्क फ्रॉम होम के नाम पर लोगों को मोटी इनकम का लालच देकर।