मंदिर जो दुनियाभर में चला रहा 40 कंपनियां, लंदन से दिल्ली तक अरबों का कारोबार
China Shaolin temple Business Group : चीन का विश्व प्रसिद्ध शाओलिन मंदिर अब दुनिया के दूसरे मंदिरों से इसलिए भी अलग है, क्योंकि 1500 बरसों से ज्यादा पुराने ये मंदिर अब बिजनेस ग्रुप में बदल चुका है. यूनेस्को धरोहर में शामिल ये मंदिर दुनियाभर में 40 से ज्यादा कंपनियां चला रहा है, जो होटल से लेकर पारंपरिक दवाओं का कारोबार करती हैं.
चीन के हेनान प्रांत में स्थित बौद्धिस्ट मंदिर शाओलिन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ये 1500 सालों से ज्यादा पुराना है. यहां 03 साल की उम्र में भिक्षु प्रवेश लेते हैं और फिर आध्यात्म से लेकर कठिन मानसिक और शारीरिक ट्रेनिंग लेते हैं. सबसे खास बात ये है कि ये मंदिर अब दुनियाभर में 40 कंपनियां चला रहा है, इन कंपनियों के जरिए मंदिर दुनियाभर में मार्शल आर्ट्स के ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने के साथ होटल समेत कई व्यावसायिक काम कर रहा है. एक साधु ही अरबों के इस ग्रुप का सीईओ है.
शाओलिन मंदिर का शाओलिन समूह” मुख्य तौर पर 05 सहायक कंपनियों के साथ मंदिर की दुनियाभर में फैल रही कंपनियों को कंट्रोल करता है. ये मुख्य 05 सहायक कंपनियां प्रबंधन, सांस्कृतिक प्रसार, रियल डेवलपमेंट, उत्पाद और फार्मास्युटिकल में हैं. मंदिर अपनी इन 05 कंपनियों को “सुरक्षा के 5 उपाय” मानता है.
इन 05 सहायक कंपनियों का नाम थिउ लाम तू है. इन 5 कंपनियों को “पैसा बनाने के 5 कानूनी साधन” माना जाता है. इसका व्यापार अब जबरदस्त तरीके से बढ़ गया है. इसे हांगकांग स्टाक एक्सचेंज में ना केवल रजिस्टर्ड किया गया बल्कि ये कंपनी के तौर पर अपना आईपीओ भी ला चुकी है. इसने भारत में अपनी एक कंपनी के जरिए चार शहरों में ट्रेनिंग सेंटर खोला हुआ है. शाओलिन मंदिर चीन के हेनान प्रांत के झेंग्झौ शहर में माउंट तुंग पर्वत पर बना हुआ विशाल मंदिर परिसर है. ये पांचवीं सदी में खोला गया. तब इसे बौद्ध शिक्षा के मकसद से शुरू किया गया. बाद में कुंगफू और जेन बुद्धिज्म जुड़ने के बाद ये बौद्ध धर्म और मार्शल आर्ट के बीच संबंधों के लिए प्रसिद्ध होता गया. वैसे मंदिर की कंपनियां बर्लिन, लंदन जैसे दुनियाभर के शहरों में काम कर रही हैं.
भिक्षु सीईओ पर आरोप:
हालांकि जब शाओलिन मंदिर ने ग्रुप बनाकर दुनियाभर में कंपनियां खोलनीं शुरू कीं तो इसका विरोध भी हुआ. ये चिंता जाहिर की गई कि मंदिर अपने मूल काम से भटककर गलत रास्ते पर जा रहा है. कुछ साल पहले कंपनी के मौजूदा सीईओ जो खुद एक साधु और भिक्षु हैं, उन पर सेक्स के आरोप लगे. उनका नाम मास्टर शी है. चीन सरकार को इन आरोपों की जांच करानी पड़ी हालांकि जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट मिल गई.
मास्टर शी का बचपन इसी मंदिर में बीता. मंदिर में कड़ी ट्रेनिंग लेने के साथ उन्होंने एमबीए की भी पढ़ाई की. मंदिर को बिजनेस जगत में लाने के साथ दुनियाभर में फैलाने की योजना उन्हीं की है. वह एक बगैर खिड़की के कमरे में रहते हैं. भिक्षुओं जैसे पीले-नारंगी वस्त्र धारण करते हैं. वह इस मंदिर में 16 वर्ष की उम्र में आए. जब माओ का दौर शुरू हुआ तब लाल क्रांति के तहत बौद्ध धर्म को भी दबाने की कोशिश हुई. मंदिर तोड़े जाने लगे. तब शालोलिन मंदिर को भी कुछ हद तक नुकसान पहुंचा. वहां सैकड़ों – हजारों भिक्षु रहते थे. कार्रवाई के बाद वहां मुश्किल से 20 भिक्षु ही बचे रह गए. तब जीवन कठिन था, उस दौरान मास्टर शी बचे हुए भिक्षुओं में शामिल थे. माओ के निधन के बाद जब चीन में माहौल कुछ बदलने लगा तो शिओलिन मंदिर को फिर से बनाने की अनुमति मांगी गई ताकि बौद्ध रीतिरिवाज और पूजा यहां फिर शुरू हो सके. बाद में इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ने लगी. कई फिल्मों में इसे फिल्माया गया. यहां के 13 भिक्षुओं ने फिर कूंग फू मार्शल आर्ट विद्या को ना केवल जिंदा रखा बल्कि फैलाना शुरू किया. इन सब में मास्टर शी का योगदान अच्छा खासा था. चूंकि पर्यटन को भी इस मंदिर से खासी आय हो रही थी लिहाजा स्थानीय प्रशासन ने भी इसके आसपास की चीजों को विकसित करना शुरू किया. मंदिर में प्रवेश के लिए टिकट लगा दिया गया. हालांकि टिकट के होने वाली कमाई का 70 फीसदी हिस्सा स्थानीय प्रशासन को जाता है और 30 फीसदी मंदिर को मिलता है.
मंदिर पर सेक्स स्कैंडल के आरोप भी लग चुके हैं:
द इकोनामिस्ट की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर से लोग इस मंदिर को देखने के लिए चीन आते हैं. ये दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पवित्र जगहों में एक है. लेकिन इसे बिजनेस जगत में छलांग लगाने के बाद बदनामियों से भी गुजरना पड़ रहा है. सेक्स स्कैंडल के अलावा भ्रष्टाचार के आरोप भी इस लगे हैं. मास्टर शी की आलोचना होती रही कि एक भिक्षु होते हुए भी वो कैसे मंदिर को कंपनी में बदलकर सीईओ बन सकते हैं.
मंदिर के पास 700 से ज्यादा ट्रेडमार्क
मंदिर में दुनियाभर से आने वाले बढ़ रहे थे. उसके साथ ही स्थानीय इकोनामी को भी इससे फायदा होने लगा था. देखते ही देखते ये सूनसान लगने वाला इलाका एक छोटे शहर में बदल गया. शाओलिन मठ एक ब्रांड बन गया. फिर यहां बिकने वाली सारी चीजों पर मंदिर ने अपना ट्रेड मार्क करना शुरू किया. अब मंदिर के बाद चाय से लेकर फर्नीचर और दूसरी तमाम चीजों के 700 ट्रेडमार्क हैं.
आरोपों से किया इंकार: चीन के प्रसिद्ध शाओलिन मंदिर ने दुनिया भर में बौद्ध-प्रेरित मार्शल आर्ट का प्रसार करने की उम्मीद में विदेशों में 40 से अधिक कंपनियों की स्थापना की है।
लेकिन ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि मंदिर के प्रसिद्ध योद्धा भिक्षुओं को विदेश भेजने के लिए एक विशाल व्यापार योजना की घोषणा को बौद्ध धर्म के व्यावसायीकरण पर आलोचना का सामना करना पड़ा है।बीजिंग कल्चर फोरम में मंदिर के मठाधीश शी योंगक्सिन के हवाले से अखबार ने कहा, "हम वर्तमान में बर्लिन और लंदन जैसे दुनिया भर के शहरों में 40 से अधिक कंपनियां संचालित करते हैं।" उन्होंने कहा, "शाओलिन मंदिर भी उसी उद्योग से संबंधित कुछ अन्य कंपनियों के संचालन में भाग ले रहा है," उन्होंने कहा कि कंपनियों ने विदेशों में जमीन और संपत्ति खरीदी है।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले पहले चीनी भिक्षु शी ने इस बात से इनकार किया कि व्यवसाय लाभ-प्रेरित थे, इस बात पर जोर देते हुए कि मंदिर "शाओलिन संस्कृति" के साथ एक विदेशी मोह को पूरा कर रहा था। मंदिर, जिसे 495 ईस्वी में स्थापित किया गया था, को ज़ेन बौद्ध धर्म और चीनी कुंग फू के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है।
शाओलिन योद्धा भिक्षुओं ने पूरे एशिया में सदियों से पौराणिक स्थिति कायम रखी है, जबकि पिछले 50 वर्षों में फिल्मों और टेलीविजन ने दुनिया भर में अपनी प्रतिष्ठा फैलाई है। दुनिया भर में मार्शल आर्ट सिखाने के अलावा, शाओलिन केंद्रों में ज़ेन ध्यान कार्यशालाएं और चीनी भाषा प्रशिक्षण भी शामिल हैं, शी ने कहा। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में मंदिर में लगभग 130 मार्शल आर्ट क्लब हैं, जबकि शाओलिन भिक्षु पहले से ही अंग्रेजी, जर्मन में पढ़ाने में सक्षम हैं। और स्पेनिश, उन्होंने कहा।
एक दशक पहले मंदिर पर कब्जा करने के बाद से "शाओलिन के सीईओ" के रूप में जाने जाने वाले शि ने कुंग फू शो, फिल्म निर्माण और ऑनलाइन व्यापारिक बिक्री जैसे व्यावसायिक उद्यम विकसित किए हैं।
पिछले साल उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मंदिर ने हांगकांग की एक ट्रैवल कंपनी के साथ आरंभिक सार्वजनिक पेशकश में भाग लेने की योजना बनाई थी, जबकि बीजिंग की एक अदालत ने तत्काल नूडल्स जैसे उपभोक्ता सामानों पर शाओलिन ट्रेडमार्क लगाने के एक आवेदन को ठुकरा दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बौद्ध धर्म के व्यावसायीकरण के नग्न प्रयास के रूप में शी के व्यावसायिक प्रयासों की व्यापक रूप से आलोचना की गई है। अखबार ने एक संपादकीय में कहा, "कई लोगों के लिए, भौतिक दुनिया की हलचल के बाहर एक मंदिर एक एकांत स्थान है," लेकिन "जब शी जैसा भिक्षु अक्सर अपने व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए विमान से यात्रा करता है, तो धर्मनिरपेक्ष समाज नहीं रह सकता है।" "विचारों का प्रसार अधिकांश धर्मों का पारंपरिक विषय रहा है, शाओलिन के विदेश में उद्यम चीन को अपनी पारंपरिक संस्कृति और सोच को फैलाने में मदद करते हैं, और एक नागरिक चैनल के माध्यम से अधिक समझ हासिल करते हैं।"
आस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट भी आलोचनाओं के घेरे में: शाओलिन मंदिर ने कुंग फू ट्रेनिंग के मोबाइल एप भी विकसित किए. फिर उन्होंने चाइनीज परंपरागत दवाओं की रेंज लांच की. कुछ भिक्षुओं को छोटी अवधि के एमबीए का कोर्स कराया गया ताकि उनकी प्रबंधकीय क्षमता में बढोतरी हो. बदलते समय के साथ मंदिर की इन गतिविधियों को मंदिर प्रशासन ने सही ठहराया. मंदिर को यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट का स्टेटस वर्ष 2010 में मिला. चीन शाओलिन मंदिर को साफ्ट पॉवर की तरह दुनिया में इस्तेमाल करता है. मंदिर के भिक्षु सीईओ रोज व्यापारिक डेलीगेट्स से मिलते हैं. वह क्वीन एलिजाबेथ से लेकर नेल्सन मंडेला तक से मिल चुके हैं. उन्होंने इस मंदिर को बखूबी सरकार से जोड़ रखा है. वह चीनी कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं. 1998 से 2018 तक वह नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के डेपुटी रह चुके हैं. चीन के बौद्ध धर्म के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
हालांकि शाओलिन के एक प्रोजेक्ट की काफी आलोचना हुई. ये 300 मिलियन डॉलर की लागत का आस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट था, जिसमें एक बड़े परिसर में मंदिर और होटल बनाया गया, साथ में 27 होल का गोल्फ कोर्स और साथ में कुंग फू ट्रेनिंग सेंटर. तब शाओलिन मंदिर ग्रुप पर आरोप लगे कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं तो उन्होंने ये प्रोजेक्ट क्यों लिया. दरअसल मंदिर ने आस्ट्रेलिया में इसके लिए फंड जुटाने को पार्टनर तलाशे. अभी इस पर काम चल ही रहा है.